Monday 29 January 2018

Kasganj Chandan Gupta

(कासगंज उ प्र में 26 जनवरी तिरंगा यात्रा में मुसलमानों द्वारा देश भक्त युवा चन्दन की गोली मारकर हत्या किए जाने पर सनातन समाज को चेताती नयी कविता)
रचनाकार-कवि गौरव चौहान इटावा उ प्र
9557062060

कोई हल्ला,कोई मातम,कोई क्रन्दन नही रहा,
कासगंज का ध्वज संवाहक,बेटा चन्दन नही रहा,

लिए हाथ में अमर तिरंगा,गद्दारों से छला गया,
आँखे खोलो,देखो,चन्दन गोली खाकर चला गया,

चीख सको तो चीखो,अपने भारत की बर्बादी पर,
डर सकते हो डरो,दुश्मनों की बढ़ती आबादी पर,

जान सको तो जानो,जेहादी घातक मंसूबो को,
केसरिया धरती पर उगती,हरी विषैली दूबों को,

मस्ज़िद वाले गली मुहल्ले,घात लगाए बैठे हैं,
और तिरंगे के पथ में बारूद सजाये बैठे हैं,

लो देखो आरम्भ हो गया,नारा ए तदबीरों का,
दाढ़ी टोपी पर इठलाती,धार दार शमशीरों का

लो देखो उन्मादी जमघट,हुआ खून का प्यासा है,
मज़हब की दुर्गंध उड़ाता,बलवा अच्छा खासा है,

वो देखो छाती पे चढ़कर आज तुम्हारी डोले है,
तुम घर में गमले रखते हो,वो रखते हथगोले हैं,

तुम भाई चारे में रह लो,वो नफरत से जुदा नही,
सिर्फ उन्हीं का खुदा-खुदा है,बाकी कोई खुदा नही,

कासगंज की गलियों में जो दहशत खुल कर नाचा है,
श्री राम के बेटों के गालों पर एक तमाचा है,

अरे हिंदुओं,कहाँ व्यस्त हो,घर की चार दिवारी में,
दीमक लग बैठी है शायद,तुम सब की खुद्दारी में,

बिजनिस,बीवी बच्चे,सुख वैभव में केवल सिमटे हो,
खड़े भेड़िये घर के बाहर,तुम दौलत से लिपटे हो,

घर में मंदिर एक बनाकर,हिन्दू बनकर ऐंठे हैं,
सड़कों पर हिंदुत्व मरा है,आँख मींच कर बैठे है,

ये जेहाद अभी सड़कों तक है,आगे भी होना है,
गोली खाओ,मर जाओ,बस यही तुम्हारा होना है,

मौन तुम्हारा,कायर बनकर,खुद की चिता बनायेगा,
कवि गौरव चौहान भला क्या तुमको आज जगायेगा?

चिंता अगर पीढ़ियों की है,वीर बाँकुरे पैदा कर,
हर हिन्दू अपने घर में इक बाल ठाकरे पैदा कर,

महंगी गाडी जायदाद,बंगले न जान बचाएंगे,
दुश्मन से लड़ने के जज़्बे काम तुम्हारे आएंगे,

घर में रक्खी चाक़ू छुरियां और कटारी रमा करो,
महंगे मोबाइल छोडो,बन्दूक तमंचे जमा करो,

जागे ना तो भीड़ बावली,हर घर आँगन फूंकेगी,
चन्दन की क़ुरबानी तुम पर बरस बरस तक थूकेंगी,
------कवि गौरव चौहान(अगर जागे हो तो औरों को भी जगाने के लिए कविता बिना एडिट किये भरपूर शेयर करें)

Wednesday 17 January 2018

Indian culture

पिछले दिनों Gurgoan जाना हुआ । 
वहां एक मित्र के घर रुका । उनकी छोटी बहन अमरीका में रहती हैं । छुट्टियों में घर आई हुई थीं ।
 बातों बातों में बताने लगी कि 
*अमरीका में बहुत गरीब मजदूर वर्ग McDonald , KFC और Pizza Hut का burger पिज़्ज़ा और chicken खाता है ।*
 

अमरीका और Europe के रईस धनाढ्य करोड़पति लोग *ताज़ी सब्जियों उबाल के खाते हैं ,*
ताज़े गुंधे आटे की गर्मा गर्म bread/रोटी खाना बहुत बड़ी luxury है ।
 
ताज़े फलों और सब्जियों का Salad वहां नसीब वालों को नसीब होता है ........ 
ताजी हरी पत्तेदार सब्जियां अमीर लोग ही Afford कर पाते हैं । 

गरीब लोग Packaged food खाते हैं । 
हफ़्ते / महीने भर का Ration अपने तहखानों में रखे Freezer में रख लेते हैं और उसी को Micro Wave Oven में गर्म कर कर के खाते रहते हैं ।

आजकल भारतीय शहरों के नव धनाढ्य लोग 
*अपने बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाते हैं ।*
 उधर अमरीका में कोई ठीक ठाक सा मिडल किलास आदमी McDonalds में अपने बच्चे का हैप्पी बड्डे मनाने की सोच भी नही सकता ......... 
लोग क्या सोचेंगे ?
 इतने बुरे दिन आ गए ? *इतनी गरीबी आ गयी कि अब बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाना पड़ रहा है ?*

भारत का गरीब से गरीब आदमी भी ताजी सब्जी , ताजी उबली हुई दाल भात खाता है ......... 
ताजा खीरा ककड़ी खाता है।
 अब यहां गुलामी की मानसिकता हमारे दिल दिमाग़ पे किस कदर तारी है ये इस से समझ लीजिये कि
 *Europe अमरीका हमारी तरह ताज़ा भोजन खाने को तरस रहा है और हम हैं कि Fridge में रखा बासी packaged food खाने को तरस रहे हैं ।*

 अमरीकियों की Luxury जो हमें सहज उपलब्ध है हम उसे भूल *उनकी दरिद्रता अपनाने के लिए मरे जाते हैं ।*

ताज़े फल सब्जी खाने हो तो फसल चक्र के हिसाब से दाम घटते बढ़ते रहते है ।

इसके विपरीत डिब्बाबंद Packaged Food के दाम साल भर स्थिर रहते है बल्कि समय के साथ सस्ते होते जाते हैं । 
जस जस Expiry date नज़दीक आती जाती है , डिब्बाबंद भोजन सस्ता होता जाता है और एक दिन वो भी आ जाता है कि Store के बाहर रख दिया जाता है , 
*लो भाई ले जाओ , मुफ्त में।*
 हर रात 11 बजे Stores के बाहर सैकड़ों लोग इंतज़ार करते हैं ....... 
*Expiry date वाले भोजन का।*

125 करोड़ लोगों की विशाल जनसंख्या का हमारा देश आज तक किसी तरह ताज़ी फल सब्जी भोजन ही खाता आया है ।
*ताज़े भोजन की एक तमीज़ तहज़ीब होती है । ताज़े भोजन की उपलब्धता का एक चक्र होता है । ताज़ा भोजन समय के साथ महंगा सस्ता होता रहता है।*

 आजकल समाचार माध्यमों में टमाटर और हरी सब्जियों के बढ़ते दामों के लेकर जो चिहाड़ मची है 
*वो एक गुलाम कौम का विलाप है ........* 
जो अपनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को भूल अपनी गुलामी का विलाप कर रही है ।

*भारत बहुत तेज़ी से ताजे भोजन की समृद्धि को त्याग डिब्बेबन्द भोजन की दरिद्रता की ओर अग्रसर है।*

मित्रों इस पोस्ट को हर हिंदुस्तानी के 
*मोबाइल और मन मष्तिष्क* में पहुँचा दो

Tuesday 16 January 2018

Lalu in Jail update

एक बार एक प्रदेश के C.M और विपक्ष के नेता साथ साथ दौरे पर निकले ।
सबसे पहले एक जेल पड़ी,
उसका मुआयना किया और जेलर से पूछा कितनी ग्रांट चाहिए ?
जेलर- कुछ विशेष नहीं सर, सब ठीक चल रहा है ।
C.M- फिर भी । 
जेलर - अगर आप देना ही चाहते हैं, तो 5 lakh रुपये दे दीजिए ।
P.A ने नोट किया । 

दोनों लोग आगे बढ़े तो एक स्कूल पड़ा,
वहाँ जा कर प्रिन्सिपल से भी वही बात पूछी । 
प्रिन्सिपल लगे रोने और कहा कि सर ना तो स्टाफ़ है और ना ही संसाधन ।
विद्यालय भवन भी जर्जर है,
ना फ़र्नीचर और ना ही लैब में सामान है । 
C.M ने डाँटा, ठीक है, रो मत
बताओ कितनी ग्रांट चाहिए ?
प्रिन्सिपल - कम से कम 50 lakh

P.A ने नोट किया ।
दोनो नेता राजधानी वापस आ गये ।

अगले दिन C.M ने जेल को 50 lakh और स्कूल को 5 lakh जारी कर दिया ।
इस पर विपक्ष के नेता ने नाराज़ होते हुए कहा कि आपने तो उलटा कर दिया । 
तब C.M ने कहा कि अगर तुम्हारे पास इतनी ही अक़्ल होती तो आज तुम मेरी कुर्सी पर होते । 

विपक्ष के नेता - मतलब ? 

C.M - अरे यार स्कूल ना हमको जाना है ना तुमको जाना है ,
पर जेल हमको भी जाना है और जेल तुमको भी जाना है । 
इसलिये वहां सारी सुविधायें होना जरूरी है ।।

*लालू जी को समर्पित*

*रांची जेल का उद्घाटन लालू ही किये थे*

स्वयम पर श्रद्धा रखो!

🌿 *स्वयम पर श्रद्धा रखो! तभी दूसरे पर रख पाओगे!!*🌿

लोगों के जीवन प्रेम से रिक्त हैं, क्योंकि कोई भी स्वयं पर श्रद्धा नहीं करता है!

स्वयं पर श्रद्धा करना शुरू करो -- यह पहला पाठ है जो व्यक्ति को सीखना चाहिए। स्वयं को प्रेम करना शुरू करो! यदि तुम स्वयं को प्रेम नहीं कर सकते तो भला और कौन करेगा? 

लेकिन यह भी याद रखो कि यदि तुम सिर्फ स्वयं को ही प्रेम करोगे तो तुम्हारा प्रेम बहुत गरीब होगा।

हिलेल ने कहा है, "यदि तुम ही स्वयं के लिए नहीं हो, तो फिर तुम्हारे लिए कौन होगा?" और यह भी कहा है, "यदि तुम केवल अपने ही लिए हो तो तुम्हारे जीवन का क्या अर्थ रह जायेगा?"

याद रखो: स्वयं को प्रेम करो, क्योंकि यदि तुम स्वयं को प्रेम नहीं करते तो कोई और तुम्हें कभी भी प्रेम नहीं कर पायेगा! जो व्यक्ति स्वयं से घृणा करता हो, उसे भला कैसे प्रेम किया जा सकता है?

और इस अभागी पृथ्वी पर लगभग सभी स्वयं को घृणा करते हैं, सभी स्व-निंदा से भरे हैं!

             

मास्टर_तो_मास्टर_होवे

#मास्टर_तो_मास्टर_होवे 😜😂

एक मास्टर जी के घर मे 7-8 मास्टर मेहमान आ गए...

मास्टर जी की बीवी बोली, "घर मे चीनी नहीं है, चाय कैसे बनाऊँ?"

मास्टर ने कहा, तुम सिर्फ चाय बनाकर ले आओ, बाकी मै सम्भाल लूंगा ".

बीवी चाय बनाकर ले आई।
मास्टरजी ने कहा," जिस के हिस्से में फिकी चाय आएगी, कल हम सब उनके घर मेहमान बनकर खाने के लिए आएंगे "

सभी मास्टरों ने खुशी से चाय पी ली। एक ने तो यहाँ तक कह दिया, "मेरी चाय मे तो इतनी चीनी है,कि डर है कहीं डायबिटीज ना हो जाए......!!!
🙄🙄😂😂😜😜😜😋😜😂

भीतर के "मैं" का मिटना ज़रूरी है!

भीतर के "मैं" का मिटना ज़रूरी है!

सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे। उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी। वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा, तुम क्यों रो रहे हो? लड़के  ने  कहा यह जो मेरे हाथ में प्याला है मैं उसमें इस  समुन्द्र को भरना चाहता हूँ पर यह मेरे प्याले में समाता ही नहीं। बच्चे की बात सुनकर सुकरात विस्माद में चले गये और स्वयं भी रोने लगे। अब पूछने की बारी बच्चे की थी। बच्चा कहने लगा- आप भी मेरी तरह रोने लगे पर आपका प्याला कहाँ है? सुकरात  ने  जवाब  दिया बालक, तुम छोटे से प्याले में समुन्द्र भरना चाहते  हो, और मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जानकारी भरना चाहता  हूँ। आज तुमने  सिखा दिया कि समुन्द्र प्याले में नहीं समा सकता है, मैं व्यर्थ ही बेचैन रहा यह सुनके बच्चे ने प्याले को दूर समुन्द्र  में फेंक दिया और बोला "सागर अगर  तू मेरे प्याले में नहीं समा सकता तो मेरा  प्याला तो तुम्हारे में समा सकता  है। इतना सुनना था कि सुकरात बच्चे  के पैरों में गिर पड़े और बोले- बहुत  कीमती सूत्र हाथ में लगा है। हे परमात्मा! आप तो सारा का सारा मुझ में नहीं समा सकते हैं पर मैं तो सारा का  सारा आपमें लीन हो सकता हूँ। ईश्वर की खोज में भटकते सुकरात को ज्ञान देना था तो भगवान उस बालक में समा गए। सुकरात का सारा अभिमान ध्वस्त कराया। जिस सुकरात से मिलने को सम्राट समय लेते थे वह सुकरात एक बच्चे के चरणों में लोट गए थे।
ईश्वर जब आपको अपनी शरण में लेते हैं तब आपके अंदर का "मैं" सबसे पहले  मिटता है। या यूँ कहें *जब आपके अंदर का "मैं" मिटता है तभी ईश्वर की कृपा होती है।*

Sunday 14 January 2018

Best Modi ji Tricks

*मोदी ने जबर्दस्त कीटनाशक डाला है बिलों में...*
*अब तो सुप्रीम कोर्ट तक से कीड़े बाहर निकल रहे हैं*
*हराम के बांटे गए अवार्ड वापस आ गए अब हराम के बनाए गए जज भी बाहर आ रहे है*
*लोकतंत्र नही तुम्हारा बाप खतरे में हैं*

Congress in Danger

पहले काँग्रेस का एक उपराष्ट्रपति  हामिद अंसारी जाते जाते यह कह गया कि इस देश का मुस्लिम खतरे में है,
और आज काँग्रेस कि पैदावार के चार जज भी यही कह रहे हैं कि इस  का लोकतंत्र खतरे में हैं....
अरे इस देश में ना मुस्लिम खतरे में है ना लोकतंत्र खतरे मे है
 अगर कोई खतरे मे है तो वो है इस देश कि काँग्रेस खतरे में है.....

Inside the Supreme Court fight

जस्टिस जे. चेलमेस्वर
जस्टिस कूरियन जोसेफ
जस्टिस रंजन गोगोई 
जस्टिस मेदान लोकूर......
कांग्रेस के हमदर्द,  वामपंथी सोच वाले इन मिलार्डों से 1984 के दंगों में मारे गए हजारों निर्दोष सिखों पर कोई फैसला नहीं हो पाया.
समय के साथ यह मामला ठंढे बस्ते में जाने वाला था कि जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस केस को दुबारा खोलने का आदेश दे दिया.
और यही बात इन मामनीयों से हजम नहीं हो रही.
गौरतलब है कि 84 के दंगे कांग्रेसीयों के पाप की वो दास्तान है कि यदि सही न्याय हो जाय तो पता नहीं कितने कांग्रेसी नेता जेल के अंदर हों .
संविधान की अवहेलना करते हुए इन चारणभाटों ने गांधी परिवार के दलाल और कुख्यात वामपंथी पत्रकार शेखर गुप्ता की अगुवाई में प्रेस वार्ता बुलाई और देश को खतरे में बता कर एक कांग्रेसी नेता डी राजा के साथ गुप्त मिटिंग पर चले गए.
मामला साफ हो गया है कि न्यायालय भी अवार्ड लौटाऊ गैंग का ही एक हिस्सा है.
वहां भी स्वच्छता अभियान चलाया जाना चाहिए.

Tuesday 9 January 2018

Regular practice

*गिद्धों का एक झुण्ड खाने की तलाश में भटक रहा था।*

उड़ते – उड़ते वे एक टापू पे पहुँच गए। 

वो जगह उनके लिए स्वर्ग के समान थी। 

हर तरफ खाने के लिए मेंढक, मछलियाँ और समुद्री जीव मौजूद थे 

और 

इससे भी बड़ी बात ये थी कि... 

वहां इन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था 

और वे बिना किसी भय के वहां रह सकते थे।

युवा गिद्ध  कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे, उनमे से एक बोला, 

" वाह ! मजा आ गया, अब तो मैं यहाँ से कहीं नहीं जाने वाला, यहाँ तो बिना किसी मेहनत के ही हमें बैठे -बैठे खाने को मिल रहा है!"

बाकी गिद्ध भी उसकी हाँ में हाँ मिला ख़ुशी से झूमने लगे।

सबके दिन मौज -मस्ती में बीत रहे थे 

लेकिन झुण्ड का सबसे बूढ़ा गिद्ध इससे खुश नहीं था।

एक दिन अपनी चिंता जाहिर करते हुए वो बोला, 

*" भाइयों, हम गिद्ध हैं, हमें हमारी ऊँची उड़ान और अचूक वार करने की ताकत के लिए जाना जाता है।*

पर जबसे हम यहाँ आये हैं हर कोई आराम तलब हो गया है …

*ऊँची उड़ान तो दूर ज्यादातर गिद्ध तो कई महीनो से उड़े तक नहीं हैं…*

और आसानी से मिलने वाले भोजन की वजह से अब हम सब शिकार करना भी भूल रहे हैं … 

ये हमारे भविष्य के लिए अच्छा नहीं है …

*मैंने फैसला किया है कि मैं इस टापू को छोड़ वापस उन पुराने जंगलो में लौट जाऊँगा …*

अगर मेरे साथ कोई चलना चाहे तो चल सकता है !"

बूढ़े गिद्ध की बात सुन बाकी गिद्ध हंसने लगे। 

किसी ने उसे पागल कहा तो कोई उसे मूर्ख की उपाधि देने लगा। 

बेचारा बूढ़ा गिद्ध अकेले ही वापस लौट गया।

समय बीता, 

कुछ वर्षों बाद बूढ़े गिद्ध ने सोचा, 

" ना जाने मैं अब कितने दिन जीवित रहूँ, क्यों न एक बार चल कर अपने पुराने साथियों से मिल लिया जाए!"

*लम्बी यात्रा के बाद जब वो टापू पे पहुंचा तो वहां का दृश्य भयावह था।*

ज्यादातर गिद्ध मारे जा चुके थे और जो बचे थे वे बुरी तरह घायल थे।

"ये कैसे हो गया ?", बूढ़े गिद्ध ने पूछा।

कराहते हुए एक घायल गिद्ध बोला, 

"हमे क्षमा कीजियेगा, हमने आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया और आपका मजाक तक उड़ाया … 

दरअसल, आपके जाने के कुछ महीनो बाद एक बड़ी सी जहाज इस टापू पे आई …

और चीतों का एक दल यहाँ छोड़ गयी। 

चीतों ने पहले तो हम पर हमला नहीं किया, 

पर ................

*जैसे ही उन्हें पता चला कि हम सब न ऊँचा उड़ सकते हैं और न अपने पंजो से हमला कर सकते हैं…*

उन्होंने हमे खाना शुरू कर दिया। 

अब हमारी आबादी खत्म होने की कगार पर है .. 

बस हम जैसे कुछ घायल गिद्ध ही ज़िंदा बचे हैं !"

बूढ़ा गिद्ध उन्हें देखकर बस अफ़सोस कर सकता था, वो वापस जंगलों की तरफ उड़ चला।

दोस्तों, 

*अगर हम अपनी किसी शक्ति का उपयोग नहीं करते तो धीरे-धीरे हम उसे  गँवा देते हैं।*

जैसे की अगर हम अपने दिमाग का उपयोग नहीं करते तो उसकी sharpness घटती जाती है, 

अगर हम अपनी muscles का उपयोग नही करते तो
उनकी ताकत घट जाती है… 

इसी तरह अगर हम अपनी skills को polish नहीं करते तो हमारी काम करने की क्षमता कम होती जाती है!

*तेजी से बदलती इस दुनिया में हमें खुद को बदलाव के लिए तैयार रखना चाहिए।* 

पर ...................

*बहुत बार हम अपनी current job या business में इतने comfortable हो जाते हैं कि बदलाव के बारे में सोचते ही नहीं |*

और अपने अन्दर कोई नयी skills add नहीं करते, 

अपनी knowledge बढ़ाने के लिए कोई किताब नहीं पढ़ते 

कोई training program नहीं attend करते, 

यहाँ तक की हम उन चीजों में भी dull हो जाते हैं जिनकी वजह से कभी हमे जाना जाता था 

और फिर जब market conditions change होती हैं 

और 

हमारी नौकरी या बिज़नेस पे आंच आती है तो हम हालात को दोष देने लगते हैं।

ऐसा मत करिए…

अपनी काबिलियत, अपनी ताकत को जिंदा रखिये…

*अपने कौशल, अपने हुनर को और तराशिये…*

उसपे धूल मत जमने दीजिये…

और 

*जब आप ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी आप ऊँची उड़ान भर पायेंगे!*🙏

जो इक्छा कर ही मन माही

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे 
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

जो इक्छा कर ही मन माही
प्रभू कृपा कछु दुर्लभ नही

एक बाद नारद जी ने भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु आपके भक्त गरीब क्यों होते हैं? 
तो भगवान बोले - "नारद जी ! मेरी  कृपा को समझना बड़ा कठिन है।" इतना कहकर भगवान नारद के साथ साधु भेष में पृथ्वी पर पधारे और एक सेठ जी के घर भिक्षा मांगने के लिए दरवाजा खटखटाने लगे। सेठ जी बिगड़ते हुए दरवाजे की तरफ आए और देखा तो दो साधु खड़े हैं।
भगवान बोले - "भैया ! बड़े जोरों की भूख लगी है। थोड़ा सा खाना मिल जाए।"
सेठ जी बिगड़कर बोले "तुम दोनों को शर्म नहीं आती। तुम्हारे बाप का माल है ? कर्म करके खाने में शर्म आती है, जाओ-जाओ किसी होटल में खाना मांगना।"
नारद जी बोले - "देखा प्रभु ! यह आपके भक्तों और आपका निरादर करने वाला सुखी प्राणी है। इसको अभी शाप दीजिये।" नारद जी की बात सुनते ही भगवान ने उस सेठ को अधिक धन सम्पत्ति बढ़ाने वाला वरदान दे दिया।
इसके बाद भगवान नारद जी को लेकर एक बुढ़िया मैया के घर में गए। जिसकी एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसमें एक गाय के अलावा और कुछ भी नहीं था। जैसे ही भगवान ने भिक्षा के लिए आवाज लगायी, बुढ़िया मैया बड़ी खुशी के साथ बाहर आयी। दोनों सन्तों को आसन देकर बिठाया और उनके पीने के लिए दुध लेकर आयीं और बोली - "प्रभु ! मेरे पास और कुछ नहीं है, इसे ही स्वीकार कीजिये।"
भगवान ने बड़े प्रेम से स्वीकार किया। तब नारद जी ने भगवान से कहा - "प्रभु ! आपके भक्तों की इस संसार में देखो कैसी दुर्दशा है, मेरे पास तो देखी नहीं जाती। यह बेचारी बुढ़िया मैया आपका भजन करती है और अतिथि सत्कार भी करती है। आप इसको कोई अच्छा सा आशीर्वाद दीजिए।"
भगवान ने थोड़ा सोचकर उसकी गाय को मरने का अभिशाप दे डाला।"  यह सुनकर नारद जी बिगड़ गए और कहा - "प्रभु जी ! यह आपने क्या किया ?"
भगवान बोले - "यह बुढ़िया मैया मेरा बहुत भजन करती है। कुछ दिनों में इसकी मृत्यु हो जाएगी और मरते समय इसको गाय की चिन्ता सताएगी कि मेरे मरने के बाद मेरी गाय को कोई कसाई न ले जाकर काट दे, मेरे मरने के बाद इसको कौन देखेगा ? 
तब इस मैया को मरते समय मेरा स्मरण न होकर बस गाय की चिन्ता रहेगी और वह मेरे धाम को न जाकर गाय की योनि में चली जाएगी।" 
उधर सेठ को धन बढ़ाने वाला वरदान दिया कि मरने वक़्त धन तथा तिजोरी का ध्यान करेगा और वह तिजोरी के नीचे साँप बनेगा।
प्रकृति का नियम है जिस चीज मे अति लगाव रहेगा यह जीव मरने के बाद बही जनम लेता है ओर बहुत दुख भोगता है 
अतः अपना चिंतन प्रभू की तरफ अधिक रखे 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे 
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

खाली पेट

*खाली पेट -* (लघुकथा)

लगभग दस साल का बालक राधा का गेट बजा रहा है।
राधा ने बाहर आकर पूंछा
"क्या है ? "
"आंटी जी क्या मैं आपका गार्डन साफ कर दूं ?"
"नहीं, हमें नहीं करवाना।"
हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में "प्लीज आंटी जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा।"
द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा ?"
"पैसा नहीं आंटी जी, खाना दे देना।"
" ओह !! अच्छे से काम करना।"
"लगता है, बेचारा भूखा है।पहले खाना दे देती हूँ। राधा बुदबुदायी।"
"ऐ 
लड़के ! पहले खाना खा ले, फिर काम करना।
"नहीं आंटी जी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना।"
"ठीक है ! कहकर राधा अपने काम में लग गयी।"
एक घंटे बाद "आंटी जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं।"
"अरे वाह! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी करीने से जमा दिए।यहाॅं बैठ, मैं खाना लाती हूँ।"
जैसे ही राधा ने उसे खाना दिया वह जेब से पन्नी निकाल कर उसमें खाना रखने लगा।"
"भूखे काम किया है, अब खाना तो यहीं बैठकर खा ले।जरूरत होगी तो और दे दूंगी।"
"नहीं आंटी, मेरी बीमार माँ घर पर है।सरकारी अस्पताल से दवा तो मिल गयी है,पर डाॅ साहब ने कहा है दवा खाली पेट नहीं खाना है।"
राधा रो पड़ी..
और अपने हाथों से मासुम को उसकी दुसरी माँ बनकर खाना खिलाया..
फिर... उसकी माँ के लिए रोटियां बनाई .. और साथ उसके घर जाकर उसकी माँ को रोटियां दे आयी .. 
और कह आयी .. बहन आप बहुत अमीर हो ..
जो दौलत आपने अपने बेटे को दी है वो हम अपने बच्चो को भी नहीं दे पाते ..
खुद्धारी की ...

✍🏻 * राधे राधे *

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       *"जय श्री कृष्ण"*
           *"राधे राधे"*
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Thursday 4 January 2018

भगवान हैं

एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानों की एक टुकड़ी हिमालय के अपने रास्ते पर थी उन्हें ऊपर कहीं अगले तीन महीने के लिए दूसरी टुकड़ी की जगह तैनात होना था दुर्गम स्थान, ठण्ड और बर्फ़बारी ने चढ़ाई की कठिनाई और बढ़ा दी थी बेतहाशा ठण्ड में मेजर ने सोचा की अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय मिल जाती तो आगे बढ़ने की ताकत आ जाती लेकिन रात का समय था आपस कोई बस्ती भी नहीं थी लगभग एक घंटे की चढ़ाई के पश्चात् उन्हें एक जर्जर चाय की दुकान दिखाई दी  लेकिन अफ़सोस उस पर ताला लगा था. भूख और थकान की तीव्रता के चलते जवानों के आग्रह पर मेजर साहब दुकान का ताला तुड़वाने को राज़ी हो गया खैर ताला तोडा गया तो अंदर उन्हें चाय बनाने का सभी सामान मिल गया जवानों ने चाय बनाई साथ वहां रखे बिस्किट आदि खाकर खुद को राहत दी  थकान से उबरने के पश्चात् सभी आगे बढ़ने की तैयारी करने लगे लेकिन मेजर साहब को यूँ चोरो की तरह दुकान का ताला तोड़ने के कारण आत्मग्लानि हो रही थी उन्होंने अपने पर्स में से एक हज़ार का नोट निकाला और चीनी के डब्बे के नीचे दबाकर रख दिया तथा दुकान का शटर ठीक से बंद करवाकर आगे बढ़ गए.  इससे मेजर की आत्मग्लानि कुछ हद तक कम हो गई और टुकड़ी अपने गंतव्य की और बढ़ चली वहां पहले से तैनात टुकड़ी उनका इंतज़ार कर रही थी इस टुकड़ी ने उनसे अगले तीन महीने के लिए चार्ज लिया व् अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गए हो गए  

तीन महीने की समाप्ति पर इस टुकड़ी के सभी 15 जवान सकुशल अपने मेजर के नेतृत्व में उसी रास्ते से वापिस आ रहे थे रास्ते में उसी चाय की दुकान को खुला देखकर वहां विश्राम करने के लिए रुक गए 

उस दुकान का मालिक एक बूढ़ा चाय वाला था जो एक साथ इतने ग्राहक देखकर खुश हो गया और उनके लिए चाय बनाने लगा     

चाय की चुस्कियों और बिस्कुटों के बीच वो बूढ़े चाय वाले से उसके जीवन के  अनुभव पूछने लगे खास्तौर पर इतने बीहड़ में दूकान चलाने के बारे में     

बूढ़ा उन्हें कईं कहानियां सुनाता रहा और साथ ही भगवान का शुक्र अदा करता रहा  

तभी एक जवान बोला "बाबा आप भगवान को इतना मानते हो अगर भगवान सच में होता तो फिर उसने तुम्हे इतने बुरे हाल में क्यों रखा हुआ है"  

बाबा बोला "नहीं साहब ऐसा नहीं कहते भगवान के बारे में,भगवान् तो है और सच में है .... मैंने देखा है"

आखरी वाक्य सुनकर सभी जवान कोतुहल से बूढ़े की ओर देखने लगे 

बूढ़ा बोला "साहब मै बहुत मुसीबत में था एक दिन मेरे इकलौते बेटे को आतंकवादीयों ने पकड़ लिया उन्होंने उसे बहुत मारा पिटा लेकिन उसके पास कोई जानकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने उसे मार पीट कर छोड़ दिया" 

"मैं दुकान बंद करके उसे हॉस्पिटल ले गया मै बहुत तंगी में था साहब  और आतंकवादियों के डर से किसी ने उधार भी नहीं दिया"

"मेरे पास दवाइयों के पैसे भी नहीं थे और मुझे कोई उम्मीद नज़र नहीं आती थी उस रात साहब मै बहुत रोया और मैंने भगवान से प्रार्थना की और मदद मांगी "और साहब ...  उस रात भगवान मेरी दुकान में खुद आए"

"मै सुबह अपनी दुकान पर पहुंचा ताला टूटा देखकर मुझे लगा की मेरे पास जो कुछ भी थोड़ा बहुत था वो भी सब लुट गया" 

"मै दुकान में घुसा तो देखा  1000 रूपए का एक नोट, चीनी के डब्बे के नीचे भगवान ने मेरे लिए रखा हुआ है"   

"साहब ..... उस दिन एक हज़ार के नोट की कीमत मेरे लिए क्या थी शायद मै बयान न कर पाऊं ... लेकिन भगवान् है साहब ... भगवान् तो है" बूढ़ा फिर अपने आप में बड़बड़ाया  

भगवान् के होने का आत्मविश्वास उसकी आँखों में साफ़ चमक रहा था 

यह सुनकर वहां सन्नाटा छा गया 

पंद्रह जोड़ी आंखे मेजर की तरफ देख रही थी जिसकी आंख में उन्हें अपने  लिए स्पष्ट आदेश था *"चुप  रहो "

मेजर साहब उठे, चाय का बिल अदा किया और बूढ़े चाय वाले को गले लगाते हुए बोले "हाँ बाबा मै जनता हूँ भगवान् है....और तुम्हारी चाय भी शानदार थी" 

और उस दिन उन पंद्रह जोड़ी आँखों ने पहली बार मेजर की आँखों में चमकते पानी के दुर्लभ दृश्य का साक्ष्य किया 

और 

सच्चाई यही है की भगवान तुम्हे कब किसी का भगवान बनाकर कहीं भेज दे ये खुद तुम भी नहीं जानते...........

 कूपवाड़ा सेक्टर में घटित एक जवान द्वारा शेयर की गई सच्ची घटना (जम्मू एवं कश्मीर-भारत)