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Tuesday, 8 September 2015

Pahle Apni adat ko sudhare



Ye to msg atom bomb hai

माँ फोन पर बेटी से :- क्या दिया भाई ने राखी पर ?

बेटी :- एक साड़ी दी है, होगी हजार-बारा सौ की. माँ तुम्हें तो पता है भैय्या तो दिल का साफ है वो बहुत कुछ करना चाहता है लेकिन भाभी रोक देती है. वही लायी होगी इतनी सस्ती साड़ी. साल में एक बार तो देना होता है उसमें भी कंजूसी दिखा देती है.

माँ :- खैर छोड़ो.. क्या उसकी बातें करना. तु बता कल तेरी ननद आने वाली है. हो गई तैय्यारी. कर ली शॉपिंग.

बेटी :- हाँ , माँ हो गई शॉपिंग. ये तो कह रहे थे मीनू तीन साल में आ रही है. हम 5000 का लिफाफा दे देते है. समझाया मैंने इनको. इतना करने की क्या जरूरत है. चार दिन रूकेंगी भी. खाने-पीने पर खर्चा होगा फिर बच्चों के हाथ में भी पैसे देने होंगे. हमें अपना घर भी तो देखना. 800 का सूट ले आयी हूं. बड़ा अच्छा डिजाईन है.

माँ :- अच्छा किया बेटा. पहले अपना घर देखो.

Sunday, 16 August 2015

मनुष्य कितना मूर्ख है |

मनुष्य कितना मूर्ख है |
प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब  सुन रहा है,
पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है।
पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है,
पर पाप करते समय ये भूल जाता है।
दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है,
पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है।
प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है,
पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है।
..और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है।😇
क़दर किरदार की होती है,
वरना...
कद में तो साया भी
इंसान से बड़ा होता है......
 
मंदिर भी क्या गज़ब की जगह है...
गरीब बाहर भीख मांगते हैं और अमीर अन्दर....

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इन्सान ज़रा सी वात पे कैसे टूट जाता है

ॐ साईं राम
कभी तो कुम्हार भी मन मै मंद मंद हँसता होगा
यह देखकर की,
मिट्टी के बर्तन को अच्छी तरह से देखने वाला इन्सान ज़रा सी वात पे कैसे टूट जाता है

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Monday, 10 August 2015

भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है।

याकूब की फांसी के विरुद्ध दाऊद का गुर्गा छोटा शकील न्यूज चैनलों के माध्यम से भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है। हमारी न्याय प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
छोटा शकील की चेतावनी के विरुद्ध भारत माँ के एक लाल का आक्रोश  कविता के रूप में प्रस्तुत है।
पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइये।
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न्याय की बातें करने वाले गिरेबान में झाँक जरा
निर्दोषों की हत्याओं पर पहले माफ़ी मांग जरा
क्या गलती थी उन लोगों की जिनको तूने मार दिया
दो सौ तिरपन निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया
तब मानवता कहाँ गयी थी जब मुम्बई दहलायी थी
न्याय अन्याय की बातें याद नहीं तब आयी थीं
वो न्याय की बात करें जो अन्याय से खेले हैं
तेरा केवल एक मरा है हमने लाखों झेले हैं
कोई अपने घर से निकला था बच्चों को लाने को
कोई प्रसव पीड़ित पत्नी को डाक्टर को दिखाने को
कोई बेटी की शादी की बात चलाने निकला था
कोई घर से बस अपना परिवार चलाने निकला था
कुछ बूढी माँ की दवाई का पर्चा लेकर निकले थे
घूमने फिरने को पापा से खर्चा लेकर निकले थे
बड़ा पाव पानी पूरी खाने को सखियाँ निकलीं थी
चूड़ी बिंदी लाने को कुछ बहन बेटियां निकलीं थी
सच करने को निकले थे कुछ ख़्वाबों की तस्वीरों को
कुछ कर्मों से बदलने निकले थे अपनी तकदीरों को
अब तक उबर नहीं पायी है मुम्बई उन विस्फोटों से
खून अभी तक रिस्ता है उन निर्दोषों की चोटों से
न्याय अन्याय क्या है मत समझाओ उपदेशों से
कितनों ने पहचाना अपने लोगों को अवशेषों से
लाशों का अम्बार लगा यूं लगा गगन भी कफ़न हुआ
आधा शरीर जब नहीं मिला आधा शरीर ही दफ़न हुआ
बैठ के गोद में अब्बा की अब हमको आँख दिखाते हो
अपराधी होकर न्याय का पाठ हमें सिखलाते हो
हम न्याय नियम के पक्के हैं हम खूब कड़ाई करते हैं
फांसी के दो घंटे पहले तक सुनवाई करते हैं
तू बाइस बरस की सुनवाई को नहीं मानता न माने
तू अपनी हरकत को गलती नहीं मानता न माने
तू चैनल पर फोन के द्वारा हमको धमकी देता है
होकर नाली का कीड़ा सूरज से पंगा लेता है
देशद्रोह की राह है ये इस ओर कुंआ वो खाई है
इस गीदड़ की मौत ही इसको शहरों तक ले आई है
अंत समय जब आता है बुद्धि उल्टी हो जाती है
शिशुपाल की सौंवी गाली उसका वध करवाती है
तू बदले की बात न कर याकूब तो केवल झांकी है
निर्दोषों की हत्याओं का बदला लेना बाकी है
दाऊद मेमन और शकील अन्त निकट है तीनों का
पहले नागों को मारें फिर मुंह तोड़ेंगे बीनों को
हों कितनी मजबूत दीवारें हमें तोड़ना आता है
आँख दिखाने वालों हमको आँख फोड़ना आता है
तू अपने लोगों कह दे, लें जगह ढूंढ दफनाने की
कीमत तुझे चुकानी होगी, शेरों को उकसाने की .
🚩वन्दे मातरम् - वन्दे मातरम🚩
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प्रिय मित्रों,
अनुरोध है कि इस कविता को रुकने न दें।  जितना भी संभव हो अधिक से अधिक शेयर करें।
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Wednesday, 29 July 2015

पानी को बर्फ में… बदलने में वक्त लगता हैं..! ढले हुए सूरज को… निकलने में वक्त लगता हैं..!

पानी को बर्फ में…
बदलने में वक्त लगता हैं..!
ढले हुए सूरज को…
निकलने में वक्त लगता हैं..!
थोड़ा धीरज रख…
थोड़ा और जोर लगाता रहे…!
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को…
खुलने में वक्त लगता हैं..!
कुछ देर रुकने के बाद…
फिर से चल पड़ना दोस्त..!
हर ठोकर के बाद…
संभलने में वक्त लगता हैं..!
बिखरेगी फिर वही चमक…
तेरे वजूद से.. तू महसूस करना..!
टूटे हुए मन को…
संवरने में थोड़ा वक्त लगता हैं..!
जो तूने कहा..
कर दिखायेगा रख यकीन..!
गरजे जब बादल…
तो बरसने में वक्त लगता हैं..!
खुशी आ रही हैं…
और आएगी ही..! इन्तजार कर..!
जिद्दी दुख-दर्द को टलने में…
थोड़ा तो वक्त लगता है

देश के प्रधानमन्त्री, पूरी सरकार, सभी नेता (पक्ष-विपक्ष) से मेरा करबद निवेदन-

देश के प्रधानमन्त्री, पूरी सरकार, सभी नेता (पक्ष-विपक्ष) से मेरा करबद निवेदन-
"दिल्ली के ओरंगजेब रोड का नाम बदल कर कलाम साहब के नाम कर दिया जाय. 


एक लुटेरे के नाम से हटा कर देशभक्त के नाम कर राष्ट्र का मान बढाओ....!!!"
अगर मेरे सुझाव से सहमत हो तो आगे भेजो.
धन्यवाद.

भारत के गद्दार वही जो भारत माँ पर घात करे.!

"भारत के गद्दार वही जो भारत माँ पर घात करे.!"
.
"पहले उनको फाँसी दे दो जो माफ़ी की बात करे.!"
.
"वन्दे-मातरम्"
'जय माँ भारती'

समय' न लगाओ तय करने में, आप को करना क्या है...?

'समय' न लगाओ तय करने में, आप को करना क्या है...?
वरना 'समय' तय कर लेगा कि, आपका क्या करना है
" इस रण का मैं खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन हूँ ,
रोज़ अपना सारथी बनकर जीवन की महाभारत लड़ता हूँ ।"

Friday, 17 July 2015

पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है

Nice Lines:

पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है;
             लेकिन
इन्सान पैसा ऊपर नही ले जा सकता......


कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....
पर रोटी की साईज़ लगभग  सब घर में एक जैसी ही होती है।

शानदार बात

इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...
                   
‬ 'कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की...
महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में !!..

ज़माना जब भी मुझे मुश्किल मे डाल देता है. मेरा ख़ुदा हज़ार रास्ते निकाल देता है....

ज़माना जब भी मुझे मुश्किल मे डाल देता है.

मेरा ख़ुदा हज़ार रास्ते निकाल देता है....


जमाना आज भी उसकी मिसाल देता है

नेकिया कर के जो दरिया में डाल देता है

अपनी भूख का इलज़ाम उस खुदा को ना दे


वो माँ के पेट में भी बच्चे को पाल देता है......

लड़की को प्रपोज करने काअनोखा तरीका.....

लड़की को प्रपोज करने काअनोखा तरीका.....


लड़का: चलती है क्या 9 से 12 ?...


लड़की: चल !...लड़का: कहां?...


लड़की: प्रिंसिपल के पास !...


लड़का: लो अब हम मजाक भी...नहीं कर सकते ?..


लड़की: छुट्टी मांगने बेवकूफ.

Wednesday, 15 July 2015

मंजिल चाहे कितनी भी उंची क्यो ना हो दोस्तो..!!

मंजिल चाहे कितनी भी उंची क्यो ना हो दोस्तो..!!






रास्ते हमेशा पेरो के नीचे होते हे..!!

मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा उसकी आँखों के मैखाने में;

मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा उसकी आँखों के मैखाने में;






दुनिया मुझे आज तक नशे का आदि समझती है…

नहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक,

नहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक,




पर ये सितम अलग है की









मिले तुम भी नही..!!

उसने कहा की, ख़्वाब में आने का वक़्त दो..

उसने कहा की, ख़्वाब में आने का वक़्त दो..




मैंने कहा की, नींद का मौसम गुज़र गया.

सुना है आग लग गयी है

सुना है आग लग गयी है




बेवफाओ की बस्ती में...!




︴︴︴︴︴︴︴︴︴




या ................... खुदा !




मेरे मेहबूब की खैर रखना

मुहब्बत में अपने को हमेशा बादशाह समझा हमने,

मुहब्बत में अपने को हमेशा बादशाह समझा हमने,




एहसास तो तब हुआ जब




वफ़ा मांगी फकीरों की तरह…

लोग कहते हैं की तुम्हारी आस्तीन में सांप है।

लोग कहते हैं की तुम्हारी आस्तीन में सांप है।




यारों मै क्या करूँ मेरा वजूद ही चन्दन का है।।

ज़िँदग़ी गुज़र रही है, इम्तिहानो के दौर से।

ज़िँदग़ी गुज़र रही है, इम्तिहानो के दौर से।




एक ज़ख्म भरता नही दूसरा तैयार मिलता है

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,





सहारे कितने भी सच्चे








हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते है.”