Thursday 31 August 2017

Sadhu sant kaun hai

*साधु किसे कहते है ।*

*तरुण सागर जी महाराज ---*

   जिसके पेरौ मे जूता नही 
      सिर पर छाता नही 
      बेंक  मे खाता नही 
      परिवार से नाता नही 
      उसे कहते है  साधु ।

     जिसके तन पे कपडा नही 
       वचन मे लफड़ा नही
       मन मे क्षगडा नही 
       उसे कहते है साधु ।

     जिसका कोई घर नही 
        किसी बात का डर नही 
        दुनिया का असर नही 
        उसे कहते है  साधु ।

      जिसके पास बीबी नही 
        साथ टीवी नही 
        अमीरी गरीबी नही
        नाश्ते मे जलेबी नही 
        उसे कहते है  साधु ।

      जो कचचे पानी को छूता नही  
         बिसतर पर सोता नही 
         होटेल मे खाता नही 
         उसे कहते है साधु ।

      जिसे नाई की जररूत नही 
          जिसे तेली की जररूत नही 
          जिसे सुनार  की जररूत नही 
          जिसे लुहार  की जररूत नही 
          जिसे दर्जी  की जररूत नही 
          जिसे व्यापार  की जररूत नही 
          जिसे  धोबी की जररूत नही 
          फिर भी सबको धोता है 
          उसे कहते है  साधु ।

Wednesday 30 August 2017

Always think positive

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।

वहां पहुँचते  ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।

उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ? 

क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?

हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।

*हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।*


कुछ लोग हमारी *सराहना* करेंगे,
कुछ लोग हमारी *आलोचना* करेंगे।

दोनों ही मामलों में हम *फायदे* में हैं,

एक हमें *प्रेरित* करेगा और
दूसरा हमारे भीतर *सुधार* लाएगा।।

       *अच्छा सोचें*

Sunday 27 August 2017

About Dr. Kalam

दूरदर्शन के एक दक्षिण भारतीय भाषा के चैनल से श्री पी एम नायर जोकि एक सेवा निवर्त प्रसाशनिक अधिकारी है और वो पूर्व राष्ट्रपति स्व श्री ए पी जे कालाम साहब के निजी सचिव उस वक्त थे जब कालाम साहब देश के राष्ट्रपति थे।

उनके उस इंटरव्यू के दौरान  श्री नायर साहब ने जो कुछ भी कहा वो पूरी तरह से तो यहा नही पेश के पाऊंगा पर कुछ महत्व पूर्ण बिंदुओं को आपके सामने लाना चाहता हूं।

श्री नायर ने एक किताब भी लिखी है जिसका शीर्षक है *"कालाम इफ़ेक्ट"*

१. डॉ कालाम अपनी हर विदेश यात्रा में बहुमूल्य उपहार प्राप्त करते थे जो कि प्रथा अनुसार मेजबान देश के प्रमुख  मेहमान देश प्रमुख को उनके सम्मान स्वरूप देते है। 

उन उपहारों को प्राप्त करने से मना करना मेजबान देश का अपमान होगा अतः कालाम साहब उन उपहारों को धन्यवाद के साथ स्वीकार करते थे।

परंतु देश वापिस आते ही वो उन उपहारों के फोटो खिंचवाकर उनकी सूची तैयार करवाकर उन को राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय को सौप देते थे। फिर कभी भी उन उपहारों के बारे में पूछते भी नही थे।

कालाम साहब जब सेवा निवर्त हुए तो उन उपहारों से एक पेंसिल भी अपने साथ नही ले गए। सारे के सारे उपहार राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में रहे।

२.  २००२, ये वो साल है जब श्री कालाम भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए थे, रमजान जुलाई अगस्त के महीने में आया था।

इस अवसर पर इफ्तार की भोज को आयोजन करना राष्ट्रपति भवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी। 

डॉ कालाम ने श्री नायर को बुलाकर इस आयोजन पर आने वाले खर्च को पूछा और साथ मे पूछा कि वो क्यो इस इफ्तार भोज का आयोजन ऐसे व्यक्तियों के लिए करे जो स्वयम ही पहले से समर्थ है और प्रतिदिन अच्छा भोजन  प्राप्त करते है?

श्री नायर ने उन्हें बताया कि तकरीबन बाइस लाख रुपया उस इफ्तार भोज के आयोजन पर राष्ट्रपति भवन का खर्च होता था।

डॉ कालाम ने उन्हें आदेश दिया कि वो सारी रकम  को कुछ अनाथालयों में वस्त्र, भोजन और कम्बलों के रूप में दान की जाए।

उन्होंने अनाथालयों  का चुनाव करने के लिए एक टीम को जिम्मेदारी दी उस चुनाव के कार्य मे उन्होंने किसी भी प्रकार का दखल नही दिया।

जब टीम ने अनाथालयों की सूची तैयार कर ली तो कालाम साहब ने श्री नायर को अपने कमरे में बुला कर एक लाख रुपये का चेक, जो कि उनके निजी खाते से काटा हुआ था, दिया और कहा कि वो अपनी निजी बचत से ये थोड़ा सा धन दे रहे है जो अनाथलयो में दान किया जाए। उन्होंने साथ मे ये हिदायत दी कि उस चेक के बारे किसी को भी न बताया जाए।

श्री नायर ने उस इंटरव्यू में बताया कि वो कालाम साहब की उस हिदायत को सुनकर अचंभे में आ गये। उन्होंने कालाम साहब को कहा कि वो क्यो न सबको उस बात को बताये की इस देश के राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति है जो न केवल अपने अधिकार से जो खर्च कर सकते वो सारा धन, दान में देते है बल्कि खुद के निजी खाते से भी दान देते है

डॉ कालाम यद्यपि एक धार्मिक मुस्लिम थे, पर उनके कार्यकाल
में राष्ट्रपति भवन में इफ्तार का भोज का आयोजन नही हुआ।

३. डॉ कालाम को हा में हा मिलाने वाले लोग पसंद नही थे।

एक बार देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति महोदय से मुलाकात को पधारे थे और किसी विषय पर विचार विमर्श के दौरान डॉ कालाम ने एक बिंदु पर किसी बात पर अपने विचार प्रकट किए फिर उन्होंने नायर साहब से पूछा कि "क्या आप मेरी बात से सहमत है?"

"नही श्रीमान मैं आपकी बात से सहमत नही हूँ।" नायर साहब ने उनको जवाब दिया।

मुख्य न्यायाधीश महोदय को अपने कानों पर विश्वास नही हुआ कि एक सचिव की इतनी हिम्मत की वो राष्ट्रपति जी की बात से सहमत न हो और वो भी अन्य उपस्थित व्यक्तियों के समक्ष।

तब श्री नायर ने उन्हें बताया कि राष्ट्रपति जी उनसे पूछेगें की वो क्यो असहमत है और वो यदि मेरे कारण बताने के बाद यदि उन्हें मेरे बताये कारण सही लगे तो 99% ये बात सही है कि वो अपना निर्णय बदल देंगे।

४. एक बार उन्होंने अपने पचास रिस्तेदारो को दिल्ली बुलाया और उन्हें राष्ट्रपति भवन में ठहराया।

उन्होंने उनके दिल्ली दर्शन के लिए एक बस का प्रबंध करवाया और उस बस का किराया स्वयम के निजी खाते से वहन किया।
कोई भी सरकारी वाहन उन रिस्तेदारो के लाने लेजाने के लिए प्रयोग नही किया।

उन रिस्तेदारो के ठहरने के दौरान उन रिस्तेदारो के ऊपर जो भी खर्च उनको भोजन और ठहरने की व्यवस्था पर हुआ उसका पूरा हिसाब मांगा जो लगभग दौ लाख के आसपास हुआ। कालाम साहब ने वो सारा खर्च अपने निजी धन से वहन किया।

इस देश के इतिहास में उनसे पहले किसी ने भी ऐसा नही किया था।

अब आप एक और घटना को सुने।

डॉ कालाम के बड़े भाई उनके साथ उन्ही कमरे में पूरे एक सप्ताह रहे। ऐसा डॉ कालाम की इच्छा के अनुसार हुआ।

जब वो वापिस गए तो डॉ कालाम ने उनके रहने के दिनों का किराया भी देना चाहा।

जरा कल्पना कीजिये कि कोई राष्ट्रपति अपने रहने के कमरे का भी किराया देना चाहता था।

ये वैसे राष्ट्रपति भवन के कर्मचारियों ने नही माना और सबने सोचा कि ये तो ईमानदारी की परकाष्ठा थी।

५.  जब राष्ट्रपति कालाम साहब का कार्यकाल पूरा हुआ तब राष्ट्रपति भवन के सभी कर्मचारी अपने परिवार सहित उनके सम्मानार्थ उनसे भेंट करने गए।

श्री नायर उनसे मिलने अकेले गए तो कालाम साहब ने उनके परिवार के बारे में पूछा तब उन्हें पता चला की नायर साहब की पत्नी एक दुर्घटना के कारण पांव की हड्डी टूटने की वजह से चल नही पा रही थी और घर पर थी।

अगले दिन सुबह श्री नायर ने देखा कि बहुत से पुलिस वाले उनके घर के बाहर खड़े थे तो उन्होंने उसका कारण पूछा तो पता चला कि राष्ट्रपति महोदय स्वयम ही उनके घर आ रहे थे। कालाम साहब श्री नायर के घर जाकर उनकी पत्नी से मिले उनका हाल चाल पूछा और कुछ समय भी बिताया।

श्री नायर ने बताया कि कोई भी राष्ट्रपति अपने सचिव के घर कभी भी नही जाएगा और वो भी इतने साधारण वजह के लिए।

मेरे मित्र ने सोचा कि वो हमें ज्यादा से ज्यादा उस प्रसारित इंटरव्यू की बाते हमको बताये क्योकि वो दक्षिण भाषा के दूरदर्शन चेनल से प्रसारित हुआ था जिसे शायद ही किसी ने इस देश के भाग में देखा हो। इसलिए ये उस इंटरव्यू की बाते मुझे इंग्लिश भाषा मे भेजी उसे मैने सब की जानकारी के लिए हिंदी भाषा मे रूपान्तरित किया है।

हा एक बात और जो उस इंटरव्यू के दौरान पता चली की कालाम साहब के छोटे भाई एक छतरी की मरम्मत करने की दुकान चलाते है।  श्री नायर उनसे जब श्री कालाम साहब के अंतिम संस्कार के दौरान मिले तो उन्होंने श्री नायर के पांव छू लिए जोकि उनकी अपने बड़े भाई कालाम साहब और श्री नायर के प्रति श्रद्धा का प्रतीक था।

ये कुछ ऐसी बाते है जिनका प्रसार जन जन के बीच हो ताकि इनसे प्रेरणा लेकर शायद कुछ और कालाम इस पवित्र धरती पर पैदा हो। 

व्यवसायी प्रसार के साधन शायद ही इन बातों को प्रसारित करे क्योकि इन बातों की टेलिविज़न रेटिंग पॉइंट यानी टीआरपी कीमत नही है। 

कृपया आप इसे अवश्य ज्यादा से ज्यादा आगे इसे प्रसारित करे ताकि संसार को इस विभूति के बारे में ज्यादा से ज्यादा पता चले।

Friday 25 August 2017

Gurmeet Ram Raheem

गुरमीत राम रहीम पर उनके ही डेरे की एक साध्‍वी ने 2002 में रेप के सनसनीखेज आरोप लगाते हुए तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी और हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. इसमें उसने कहा था कि किस तरह राम रहीम ने उसके और उसकी जैसी दूसरी साध्वियों के साथ बलात्‍कार किया. अलग अलग मीडिया रिपोर्ट के हवाले से आई खबरों के अनुसार, साध्‍वी का कहना है कि डेरे में उसका तीन साल तक शोषण किया गया. कई साध्वियों ने तो हालात से समझौता कर लिया, लेकिन उसने इस पाप के खिलाफ आवाज उठाने की सोची. साध्‍वी के अनुसार, उसने इसके बारे में अपने परिवार को भी बताया, लेकिन कोई बात नहीं बनीं. बल्कि परिवार ने गुरमीत  को भगवान बता दिया. पढ़ि‍ए उस साध्‍वी ने अपने पत्र में राम रहीम के किन किन कुकर्मों का खुलासा किया था...

श्रीमान जी मैं पंजाब की रहने वाली लड़की हूं. पांच साल से डेरा सच्‍चा सौदा सिरसा में साधु लड़की के रूप में काम कर रही हूं. मेरे साथ यहां सैकड़ों लड़कियां भी डेरे में 16 से 18 घंटे तक सेवा करती हैं. हमारा यहां शारीरिक शोषण किया जा रहा है. डेरे के महाराज गुरमीत सिंह द्वारा यौनिक शोषण (बलात्‍कार) किया जा रहा है. मैं बीए पास लड़की हूं. मेरे परिवार के सदस्‍य महाराज के श्रद्धालु हैं. जिनकी प्रेरणा से साधु बनी थी. साधु बनने के दो तीन साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत राम रहीम की खास साधु गुरुजोत ने रात 10 बजे मुझे बताया कि मुझे महाराज जी ने गुफा में बुलाया है. 

यह भी पढ़ें : राम रहीम की रहस्‍यमयी और आलीशान गुफा, यहीं लगा था यौन शोषण का आरोप

हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, साध्‍वी ने कहा- मैं पहली बार वहां जा रही थी. बहुत खुश थी, मुझे लग रहा था खुद परमात्‍मा ने बुलाया है. अंदर जाकर मैंने देखा कि महाराज बैड पर बैठे हैं. वहां पर टीवी पर एक पोर्न फि‍ल्‍म चल रही है.  वहां पहुंचते ही महाराज ने मुझे बाहों में लेते हुए कहा कि हम तुझे दिल से चाहते हैं. तुम्‍हारे साथ प्‍यार करना चाहते हैं, क्‍योंकि तुमने हमारे साथ साधु बनते वक्‍त तन मन धन सब सतगुरु को अर्पण करने को कहा था तो अब ये तन मन हमारा है. महाराज मेरे साथ जबर्दस्‍ती कर रहे थे. मैंने विरोध किया तो उन्‍होंने कहा- इसमें कोई शक नहीं कि हम ही खुदा हैं. जब मैंने उनसे कहा कि क्‍या खुदा ये काम करता है, तो उन्‍होंने कहा श्रीकृष्‍ण भगवान थे. उनके यहां 360 गोपियां थीं. जिनसे वह हर रोज प्रेम लीला करते थे. फि‍र भी लोग उन्‍हें परमात्‍मा मानते हैं. ये कोई नई बात नहीं है. अगर हम चाहें तो तुम्‍हारी जान लेकर तुम्‍हारा दाह संस्‍कार कर सकते हैं. तुम्‍हारे घर वाले हर प्रकार से हम पर विश्‍वास करते हैं और हमारे गुलाम हैं. वो मुझसे बाहर नहीं जा सकते. ये तुम्‍हें भी अच्‍छी तरह पता है. इसके बाद गुरमीत ने मेरे साथ बलात्‍कार किया. ये सिलसिला तीन साल तक चला. 

इंडियन एक्‍सप्रेस की खबरों के अनुसार, गुरमीत ने साध्‍वी से आगे कहा- हमारी सरकार में बहुत चलती है. हरियाणा और पंजाब के मुख्‍यमंत्री, पंजाब के केंद्रीय मंत्री हमारे चरण छूते हैं. राजनेता हमसे समर्थन लेते हैं. पैसा लेते हैं. और हमारे खिलाफ कभी नहीं जाएंगे. हम तुम्‍हारे परिवार से नौकरी लगे सदस्‍यों को बर्खास्‍त करा देंगे. सभी सदस्‍यों को मरवा देंगे और कोई सबूत भी नहीं छोड़ेंगे. ये तुझे अच्‍छी तरह से पता है. हमने गुंडों से डेरे के मैनेजर को भी मरवा दिया था और आज तक इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता. न ही इसके कोई सबूत हैं. क्‍योंकि पैसों के बल पर हम राजनेताओं, पुलिस और न्‍याय को खरीद लेंगे. इसके बाद महाराज ने मेरे साथ बलात्‍कार किया और पिछले तीन सालों से वो लगातार मेरे साथ बलात्‍कार करता आ रहा है. 

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आज मुझे पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं. उनके साथ भी ये बलात्‍कार कर चुका है. डेरे में मौजूद 35 से 40 साधु लड़कियां 40 से अधिक उम्र की हैं. जिनकी शादी की उम्र निकल चुकी है. उन्‍होंने परिस्थितियों से समझौता कर लिया. इसमें से ज्‍यादातर बीए, एमए, बीएड पास हैं. घरवालों के कट्टर अंधविश्‍वास होने के कारण नरक का जीवन जी रही हैं. हमें सफेद कपड़े पहना, सिर पर चुन्‍नी रखना, किसी आदमी की तरफ आंख ना उठाकर देखना, आदमी से पांच दस फुट की दूरी पर रहना, ऐसा महाराज का आदेश था. हम दिखाने के लिए देवी हैं मगर हमारी हालत वैश्‍याओं जैसी है. 

जब मैंने अपने घरवालों से इस बारे में बात की तो वह मुझसे गुस्‍से में कहने लगे कि अगर भगवान के पास रहते हुए ठीक नहीं है तो ठीक कहां है. तेरे मन में बुरे विचार आने लग गए हैं. सतगुरु का सिमरण किया कर. मैं मजबूर हूं यहां सतगुरु के  आदेश मानने पड़ते हैं. यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकतीं. घर पर फोन पर बात नहीं कर सकतीं. यदि कोई लड़की आवाज उठाती है तो बाबा का आदेश है कि उनका मुंह बंद कर दो. 

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संगरूर जिले की एक लड़की ने जब सच कहना चाहा तो डेरे के गुंडों ने उसे प्रताडि़त किया जाए. मैं मरना नहीं चाहती डेरे की सच्‍चाई सामने लाना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि मेरा मेडिकल कराया जाए. उससे पता चल जाएगा कि हमारे साथ किसने गलत किए. इसके बाद वाजपेयी सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. 2008 में सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि राम रहीम ने कई साध्वियों के साथ बलात्‍कार किया. इसके अलावा उन्‍हें धमकियां भी दीं.

Colonel Purohit

कितना सच है और कितना झूठ, पता नहीं, फ़ेस बुक पर था यह लेख सो पोस्ट कर दिया ************
#स्तब्ध_कर_देने_वाला_खुलासा

#कर्नल_पुरोहित को 9 साल बाद नवी मुंबई की तालोजा जेल से रिहा हो गए हैं. उनकी रिहाई के बाद कई खुलासे सामने आ रहे हैं. एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा #डाटा_वैज्ञानिक_गौरव_प्रधान ने किया है...

#डॉक्टर_गौरव_प्रधान ने कई बड़े नेताओं पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं, जिनकी सत्यता की जांच की जानी बेहद जरूरी हो गयी है.

#2010_में_होनी_थी_सोनिया_गाँधी_और_हाफिज_सईद_की_मुलाकात ?

#डॉक्टर_प्रधान ने खुलासा किया है कि 2010 में सोनिया गाँधी और हाफिज सईद की मुलाकात होनी थी. पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद इटालियन माता से 2010 में मिलना चाहता था, मगर इटालियन माता ने इंकार कर दिया क्योंकि इसमें काफी रिस्क था.

वैसे सोनिया गांधी की आतंकियों से हमदर्दी कोई नयी बात नहीं है, इससे पहले पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद भी आजमगढ़ की चुनावी रैली में कबूल कर चुके हैं कि बाटला हाउस एनकाउंटर में आतंकियों के मारे जाने की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थी.

#दाऊद_को_बचाने_के_लिए_अजित_डोवाल_को_करवाया_गिरफ्तार ?

#डॉक्टर_प्रधान ने ये भी खुलासा किया कि 2005 में सोनिया-मनमोहन की सरकार के दौरान आज के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान मे बैठे दाऊद को मारने की पूरी योजना बना ली थी.

#पाकिस्तान_के_कहने_पर_कर्नल_पुरोहित_को_किया_गिरफ्तार !

#डॉक्टर_गौरव_प्रधान ने ये भी खुलासा किया कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले से ठीक पहले ही #कर्नल_पुरोहित को गिरफ्तार किया गया, क्योंकि #कर्नल_पुरोहित सेना के जासूस थे और 26/11 आतंकी हमले के प्लान के बारे में जानते थे.

#डॉ_गौरव ने ये भी बताया कि #कर्नल_पुरोहित की पत्नी #अपर्णा_पुरोहित ने कहा था कि पाकिस्तान चाहता था कि #कर्नल_पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया जाए और सोनिया-मनमोहन सरकार भी इसके बारे में विचार भी कर रही थी..

अपने खुफिया मिशन के दौरान #कर्नल_पुरोहित पाकिस्तान के कई संवेदनशील और नापाक राज जान गए थे, #कर्नल_पुरोहित का बड़ा जासूसी नेटवर्क भी पाकिस्तान में खुफिया जानकारियां जुटा रहा था. इसीलिए पाकिस्तान #कर्नल_पुरोहित की कस्टडी की मांग कर रहा था..

#गौरव_प्रधान ने आगे खुलासा किया कि पाकिस्तानी #जनरल_पाशा के कहने पर ही #कर्नल_पुरोहित को ठीक 26/11 आतंकी हमले से पहले गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि पाकिस्तानियों को शक था कि #कर्नल_पुरोहित को इस आतंकी हमले की भनक लग चुकी थी और वो हमले को विफल कर सकते थे..

#कश्मीरी_और_कोंग्रेसी_नेता_आतंकियों_की_मदद_करते_थे ?

इसके बाद #डॉक्टर_प्रधान ने और भी ज्यादा सनसनीखेज खुलासे करते हुए बताया कि #कर्नल_पुरोहित को पता चल गया था कि एक कश्मीरी नेता जो जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री भी था, वो और कोंग्रेसी नेता "मिया आज़ाद" (गुलाम नबी आज़ाद) एक ही गाड़ी में घुमते थे और उनके साथ उसी गाडी में आतंकी भी घूमते थे. गाड़ी पर लाल बत्ती लगी होने के चलते किसी को कानो-कान खबर तक नहीं होती थी. इसी नेता की गाड़ी का इस्तेमाल करके 2005 से लेकर 2010 तक कश्मीर में पैसों की फंडिंग में भी की गयी.

#हिन्दू_आतंकवाद_जुमले_को_साबित_करने_की_साजिश ?

#डॉक्टर_गौरव_प्रधान ने खुलासा किया कि 26/11 मुंबई हमले का पूरा षड्यंत्र हिन्दुओ को आतंकी घोषित करने के लिए पाकिस्तान ने रचा था, ताकि इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकियों पर से ध्यान हटाया जा सके. प्लान था कि आतंकी हमला करने के बाद सभी आतंकियों को मार दिया जाएगा और इस हमले को भी हिन्दू आतंकवाद से जोड़ दिया जाएगा..

उन्होंने बताया कि "26/11 आरएसएस की साजिश" नाम की किताब तो पहले से छाप कर रख ली गयी थी, जिसका विमोचन कोंग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने खुद किया था. #गौरव_प्रधान ने खुलासा किया कि जब आतंकी मुंबई में घुसे, उससे पहले ही देश के कई नेता इसके बारे में जानते थे और उन्होंने #हेमंत_करकरे को ख़ास निर्देश दिए थे कि एक भी आतंकी ज़िंदा ना बचने पाए..

मगर सिपाही #तुकाराम_ओम्बले ने कांग्रेस और पाकिस्तान की सारी योजना पर पानी फेर दिया और आतंकी #कसाब को जिन्दा पकड़ लिए गया. आतंकियों ने हेमंत करकरे को पहचाना नहीं और धोखे से उन्हें गोली मार दी..

#पी_चिदंबरम_सुशील_कुमार_शिंदे_अहमद_पटेल_और_सोनिया_गांधी_का_साजिश_में_हाथ ?

इस पूरी साजिश के पीछे डॉक्टर प्रधान ने पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम, पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और अहमद पटेल का नाम लिया. उन्होंने साजिश के पीछे इटालियन आंटी कहते हुए सोनिया गाँधी की और भी इशारा किया.

#लाल_कृष्ण_आडवाणी_नरेंद्र_मोदी_और_बाल_ठाकरे_को_मारने_की_साजिश ?

#डॉक्टर_प्रधान ने खुलासा किया कि मुद्रिक में पाकिस्तानियों और भारत के गद्दारों की एक मीटिंग हुई थी, पाकिस्तान भारत की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसियों के बारे में जानना चाहता था. इसी मीटिंग में योजना रखी गयी कि बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को मार दिया जाये. मगर इटालियन माता ने इंकार कर दिया क्योंकि 2009 के चुनाव आने वाले थे और हिंदूवादी नेताओं के मारे जाने से कांग्रेस को चुनाव में नुक्सान होने का डर था.

#मोदी_को_फंसाने_के_लिए_असीमानंद_पर_दबाव ?

उन्होंने आगे खुलासा किया कि 26/11 हमले का पूरा का पूरा प्लान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को आतंकी संगठन बताकर हिन्दू आतंकवाद को सिद्ध करने के मकसद से बनाया गया था. इसी तरह समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में ब्लास्ट के बाद गिरफ्तार किये गए पाकिस्तानी आतंकी को छोड़ दिया गया और स्वामी असीमानंद को इस केस में फंसा दिया गया.

स्वामी असीमानंद को गिरफ्तार करके थर्ड डिग्री की यातनाएं दी गयीं और उनसे कहा गया कि यदि इन यातनाओं से बचना है तो गुजरात के एक बड़े बीजेपी नेता (नरेंद्र मोदी) का नाम ले लो. इंकार करने पर असीमानंद को और यातनाएं दी गयी, ऐसा ही साध्वी प्रज्ञा के साथ भी किया गया.

योजना थी कि 26/11 के आतंकी हमले में सभी आतंकियों को मार कर सारा इल्जाम आरएसएस पर लगा कर संघ को आतंकी संगठन घोषित किया जाएगा. इसके बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी इसी तरह के केस में फंसा दिया जाएगा क्योंकि इटालियन माता 2004 से ही जानती थी की ये दोनों उसके लिए बड़ा खतरा है.

#10_सालों_तक_जनरल_पाशा_का_था_भारत_पर_राज ?

#गौरव_प्रधान ने दावा किया कि दरअसल 2004 से 2014 तक देश में मनमोहन-सोनिया नहीं बल्कि पाक आईएसआई का #जनरल_पाशा राज कर रहा था, जो वो चाहता था वही यहाँ होता था. डॉक्टर गौरव प्रधान ने बताया कि #कर्नल_पुरोहित का पाकिस्तान में काफी अच्छा जासूसी नेटवर्क था, जिसके कायल खुद #अजित_डोभाल भी थे. #अजित_डोभाल भी ये देखकर हैरान थे कि #कर्नल_पुरोहित ने अपने इसी जासूसी नेटवर्क के दम पर सात बार पाकिस्तान की साजिशों और हमलों को विफल कर दिया था..

#डॉक्टर_प्रधान ने ये खुलासा भी किया कि #कर्नल_पुरोहित का पाकिस्तान में जासूसी नेटवर्क इतना मजबूत था कि आतंकी #हाफिज_सईद और #लख्वी तक उनसे डरते थे. इसी डर से दोनों आतंकी आकाओं की सुरक्षा भी पाकिस्तान ने बढ़ा दी थी.

#कर्नल_पुरोहित पाक खुफिया एजेंसी और पाक आतंकियों दोनों के निशाने पर थे. #जनरल_पाशा के इशारे पर कांग्रेस सरकार ने #कर्नल_पुरोहित को गिरफ्तार कर जेल में डलवा दिया और बेपनाह यातनाएं दी. पूरी कोशिश की गयी कि इस देशभक्त सेना के अफसर को आतंकी घोषित कर दिया जाए..

#कीड़े_पडेंगे_सालों_तुम्हे।

Wednesday 23 August 2017

बीजेपी ने 2 लाख मुसलमान लड़कों को ‘गायब’ कराया !

बीजेपी ने 2 लाख मुसलमान लड़कों को 'गायब' कराया !

देश में मुसलमान कितने खतरे में हैं इसकी एक और बड़ी मिसाल सामने आई है। उत्तराखंड में मदरसे में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुसलमान लड़के रातों-रात गायब हो गए! दरअसल ये वो छात्र हैं जो हर महीने सरकार से वजीफा यानी स्कॉलरशिप पा रहे थे। लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने उन्हें अपने बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए। 

अभी तक इन छात्रों को सरकारें हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं। लेकिन अब ये सिर्फ 2 करोड़ रुपये रह गई है। ये अकेले उत्तराखंड का मामला है। अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया।

तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?
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बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुसलमान खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं इस बात से साबित हो गया है। क्योंकि 2014-15 तक 2 लाख 21 हजार 800 मुसलमान छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे। आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर 26 हजार 440 हो गई है। यानी एक साथ करीब 88 फीसदी मुसलमान छात्रों की संख्या कम हो गई। ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल परिवारों के छात्रों को दी जाती है। जिन छात्रों के पास आधार नहीं हैं, उन्हें भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन उन्हें इसके लिए जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है। फिलहाल जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

अल्पसंख्यक कोटे के नाम पर धांधली
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यह बात भी सामने आई है कि कई मदरसे और स्कूल सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं और वो फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे। उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया। सबसे ज्यादा धांधली हरिद्वार जिले में पकड़ी गई है। इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं। कुछ जिलों में अब तक जितने अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी उतनी तो उनकी वहां आबादी भी नहीं है। अब तक कांग्रेस के दौर में तुष्टीकरण की राजनीति के तहत बिना जांच पड़ताल के ये काम चल रहा था। जाहिर है बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई।

यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत
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यूपी में भी इसी तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मदरसों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है। राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। और इन मदरसों को फंड कहां से मिल रहा है इसकी भी कोई जानकारी नहीं होती। इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होताष जबकि ये अपने छात्रों को अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे पहुंचाते रहते हैं। यूपी सरकार राज्य में करीब 800 मदरसों पर हर साल 400 करोड़ के करीब खर्च करती है। जब इन मदरसों का रजिस्ट्रेशन होगा तो सही तस्वीर सामने आ पाएगी कि कितना पैसा वाकई गरीब छात्रों के पास पहुंच रहा है और कितना उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान रहते हैं।

Monday 21 August 2017

POWER OF POSITIVE THOUGHT

आज इस पोस्ट को पढ़कर सारी ज़िन्दगी की टेंशन खत्म हो जायेगी...👍👍👍

बस धैर्य ओर शांति से पढ़े

POWER OF POSITIVE THOUGHT

एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है,

इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था।

एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी।

होमवर्क का टाइटल था...

 "वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं।"

इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था...

● मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं।

● मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं।

● मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ।

● मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं।

बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया।

●● मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है।

●● मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं।

●● मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं।

हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• 
मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।

इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।

हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।

💐💐💐💐💐💐💐

अगर आपको  बात अच्छी लगे तो उसका अनुकरण करके जिन्दगीको खुशहाल बनाइये...

Thursday 17 August 2017

This is the best thing I read today.

If you are Muslim and suddenly start feeling unsafe in country where you lived for more than thousand years..

If you are Dalit and start feeling insulted on every moment of life..

If you are Hindu and suddenly start feeling that cows are being slaughtered everywhere...

If you are a Jain and suddenly start feeling that your religious piety is being compromised...

If you are punjabi and think all the youth are on drugs.

Just do one thing...

- Stay away from social media...

- Don't watch news...

- Stay away from debates on religion...

Just look around you at your friends who belong to different castes , communities and religions...

And you will find that you are living in one of the best countries in the world!!

This is the best thing I read today…

Friday 11 August 2017

Who is Veer Savarkar

वीर सावरकर कौन थे?
जिन्हें आज कांग्रेसी कोस रहे और क्यों?
सभी राष्ट्रवादी कांगियों को सीना ठोक कर जवाब जरूर दें॥

ये 26 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा,इसको पढ़े बिना आजादी का ज्ञान अधूरा है!

आइए जानते है एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारें में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेली की उसके बारें में कल्पना करके ही इस देश के करोड़ो भारत माँ के कायर पुत्रों में सिहरन पैदा हो जायेगी।

जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता
भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंर माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी। वो थे हमारे परम पूज्य वीर सावरकर।

1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने_ 

1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें?

क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई है.?

2. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को
त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ !

3. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी…।

4. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी
वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र 'इन्डियन ओपीनियन' में गाँधी ने निंदा की थी…।

5. सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस प्रथम घटना के 16 वर्ष बाद गाँधी उनके मार्ग पर चले और 11 जुलाई 1921 को मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया…।

6. सावरकर पहले भारतीय थे जिनको 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्म्युसन कॉलेज से निकाल दिया गया और दस रूपये जुरमाना किया… इसके विरोध में हड़ताल हुई… स्वयं तिलक जी ने 'केसरी' पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा…।

7. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली… इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया…।

8. वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को '1857 का स्वातंत्र्य समर' नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया…।

9. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे '1857 का स्वातंत्र्य समर' पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था…।

10. '1857 का स्वातंत्र्य समर' विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी… भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी… पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी…।

11. वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे…।

12. सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका मुकद्दमाअंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नही मिला और बंदी बनाकर भारत लाया गया…।

13. वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी…।

14. सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले-"चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया."…..।

15. वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला
पानी की सजा के समय 10 साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला…।

16. वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकर कोयले से कवितायें लिखी और 6000 पंक्तियाँ याद रखी..।

17. वीर सावरकर पहले देशभक्त लेखक थे, जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध लगा रहा…।

18. वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि 

'आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका,
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः.'

अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है, जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है..।

19. वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया… देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था…।

20. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी थे जब उनका 26 फरवरी 1966 को उनका स्वर्गारोहण हुआ तब भारतीय संसद में कुछ सांसदों ने शोक प्रस्ताव रखा तो यह कहकर रोक दिया गया कि वे संसद सदस्य नही थे जबकि चर्चिल की मौत पर शोक मनाया गया था…।

21. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त स्वातंत्र्य वीर
थे जिनके मरणोपरांत 26 फरवरी 2003 को उसी संसद में मूर्ति लगी जिसमे कभी उनके निधन पर शोक प्रस्ताव भी रोका गया था…।

22. वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके
चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा लेकिन
राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया…।

23. वीर सावरकर पहले ऐसे राष्ट्रभक्त हुए जिनके शिलालेख को अंडमान द्वीप की सेल्युलर जेल के कीर्ति स्तम्भ से UPA सरकार के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हटवा दिया था और उसकी जगह गांधी का शिलालेख लगवा दिया..।

24. वीर सावरकर ने दस साल आजादी के लिए काला पानी में कोल्हू चलाया था जबकि गाँधी ने काला पानी की उस जेल में कभी दस मिनट चरखा नही चलाया..?

25. वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका गया… पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे को चीरकर आज वीर सावरकर सभी मे लोकप्रिय और युवाओं के आदर्श बन रहे है।।

26.  वीर सावरकर ने यह उद्घोष किया था कि धर्मांतरण से राष्ट्रांतरण होता है। उनकी यह उक्ति समय के साथ सत्य सिद्ध हुई।

वन्दे मातरम्।।

इस पोस्ट को जन जन तक पहुंचाने के लिए आप सभी का योगदान आवश्यक है॥🙏🙏

Wednesday 9 August 2017

तुलसी कौन थी?

*तुलसी कौन थी?*

```तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा``` -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर``` आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।

सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।

भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?

उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।

सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।

उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग```
```स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में```
```किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !```

*इस कथा को कम से कम दो लोगों को अवश्य सुनाए आप को पुण्य  अवश्य मिलेगा।  या चार ग्रुप मे प्रेषित करें।*  🙏🙏

Tuesday 8 August 2017

तुलसीदास जी ने भी बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया है!

*पढ़ें तुलसीदास जी ने भी बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया है!*

आम तौर पर हिंदुस्तान में ऐसे परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई जब राम -मंदिर और बाबरी मस्जिद (ढांचा ) एक विचार-विमर्श का मुद्दा बना और कई विद्वानों ने चाहे वो इस पक्ष के हो या उस पक्ष के अपने विचार रखे . कई बार तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर भी सवाल खड़े किये गए की अगर बाबर ने राम -मंदिर का विध्वंश किया तो तुलसीदास जी ने इस घटना का जिक्र क्यों नही किया . 
सच ये है कि कई लोग तुलसीदास जी कि रचनाओं से अनभिज्ञ है और अज्ञानतावश ऐसी बातें करते हैं . वस्तुतः रामचरित्रमानस के अलावा तुलसीदास जी ने कई अन्य ग्रंथो की भी रचना की है . तुलसीदास जी ने तुलसी शतक में इस घंटना का विस्तार से विवरण भी दिया है .

हमारे वामपंथी विचारको तथा इतिहासकारो ने ये भ्रम की स्थति उतप्पन की , कि रामचरितमानस में ऐसी कोई घटना का वर्णन नही है . श्री नित्यानंद मिश्रा ने जिज्ञाशु के एक पत्र व्यवहार में "तुलसी दोहा शतक " का अर्थ इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया है | हमनें भी उस अर्थो को आप तक पहुंचने का प्रयास किया है | प्रत्येक दोहे का अर्थ उनके नीचे दिया गया है , ध्यान से पढ़ें |

*(1) मन्त्र उपनिषद ब्राह्मनहुँ बहु पुरान इतिहास ।*
*जवन जराये रोष भरि करि तुलसी परिहास ॥*

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि क्रोध से ओतप्रोत यवनों ने बहुत सारे मन्त्र (संहिता), उपनिषद, ब्राह्मणग्रन्थों (जो वेद के अंग होते हैं) तथा पुराण और इतिहास सम्बन्धी ग्रन्थों का उपहास करते हुये उन्हें जला दिया ।

*(2) सिखा सूत्र से हीन करि बल ते हिन्दू लोग ।*
*भमरि भगाये देश ते तुलसी कठिन कुजोग ॥*

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि ताकत से हिंदुओं की शिखा (चोटी) और यग्योपवित से रहित करके उनको गृहविहीन कर अपने पैतृक देश से भगा दिया ।

*(3) बाबर बर्बर आइके कर लीन्हे करवाल ।*
*हने पचारि पचारि जन जन तुलसी काल कराल ॥*

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि हाँथ में तलवार लिये हुये बर्बर बाबर आया और लोगों को ललकार ललकार कर हत्या की । यह समय अत्यन्त भीषण था ।

*(4) सम्बत सर वसु बान नभ ग्रीष्म ऋतु अनुमानि ।*
*तुलसी अवधहिं जड़ जवन अनरथ किये अनखानि ॥*

(इस दोहा में ज्योतिषीय काल गणना में अंक दायें से बाईं ओर लिखे जाते थे, सर (शर) = 5, वसु = 8, बान (बाण) = 5, नभ = 1 अर्थात विक्रम सम्वत 1585 और विक्रम सम्वत में से 57 वर्ष घटा देने से ईस्वी सन 1528 आता है ।)
श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि सम्वत् 1585 विक्रमी (सन 1528 ई) अनुमानतः ग्रीष्मकाल में जड़ यवनों अवध में वर्णनातीत अनर्थ किये । (वर्णन न करने योग्य) ।

*(5) राम जनम महि मंदरहिं, तोरि मसीत बनाय ।*
*जवहिं बहुत हिन्दू हते, तुलसी किन्ही हाय ॥*

जन्मभूमि का मन्दिर नष्ट करके, उन्होंने एक मस्जिद बनाई । साथ ही तेज गति उन्होंने बहुत से हिंदुओं की हत्या की । इसे सोचकर तुलसीदास शोकाकुल हुये ।

*(6) दल्यो मीरबाकी अवध मन्दिर रामसमाज ।*
*तुलसी रोवत ह्रदय हति हति त्राहि त्राहि रघुराज ॥*

मीरबकी ने मन्दिर तथा रामसमाज (राम दरबार की मूर्तियों) को नष्ट किया । राम से रक्षा की याचना करते हुए विदिर्ण ह्रदय तुलसी रोये ।

*(7) राम जनम मन्दिर जहाँ तसत अवध के बीच ।*
*तुलसी रची मसीत तहँ मीरबाकी खाल नीच ॥*

तुलसीदास जी कहते हैं कि अयोध्या के मध्य जहाँ राममन्दिर था वहाँ नीच मीरबकी ने मस्जिद बनाई ।

*(8)रामायन घरि घट जँह, श्रुति पुरान उपखान ।*
*तुलसी जवन अजान तँह, कइयों कुरान अज़ान ॥*

श्री तुलसीदास जी कहते है कि जहाँ रामायण, श्रुति, वेद, पुराण से सम्बंधित प्रवचन होते थे, घण्टे, घड़ियाल बजते थे, वहाँ अज्ञानी यवनों की कुरआन और अज़ान होने लगे।


अब यह स्पष्ट हो गया कि गोस्वामी तुलसीदास जी की इस रचना में जन्मभूमि विध्वंस का विस्तृत रूप से वर्णन किया किया 
है!

Sunday 6 August 2017

Choti kato gang

2-4 के घर पर सोते सोते के बाल क्या कट गए जनाब....

पूरा प्रदेश डर सा गया है ।

वतन के रखवालो से पूछो 

 ....जहाँ सोते सोते के सिर काट दिए जाते है 
फिर भी  वे सदा निडर खड़े रहते है ।

 #Salute_to_INDIAN_ARMED_FORCES

Saturday 5 August 2017

Happy Rakshabandhan

😢
°°°°°°°°°°°°°°°°°°

कल फोन आया था ,
वो एक बजे ट्रेन से आ रही है..!
किसी को स्टेशन भेजने की  बात चल ऱही थी 

आज बिटिया ससुराल से.. दूसरी बार दामाद जी के साथ.. आ रही हैं , 
घर के माहौल में 
एक उत्साह सा महसूस हो रहा हैं 

इसी बीच .....एक तेज आवाज आती हैं ~

"इतना सब देने की क्या जरूरत है ??
बेकार फिजूलखर्ची क्यों करना ??
और हाँ आ भी रही है तो कहो 
कि टैक्सी करके आ जाये स्टेशन से।" 
(बहन के आने की बात सुनकर भाई भुनभुनाया )

माँ तो एक दम से सकते में आ गई
कि आखिर यह हो क्या रहा हैं ????

माँ बोली .....

"जब घर में दो-दो गाड़ियाँ हैं 
तो टैक्सी करके क्यों आएगी मेरी बेटी ??

और दामाद जी का कोई मान सम्मान है 
कि नहीं ???

पिता जी ने कहा कि.. 
ससुराल में उसे कुछ सुनना न पड़े। 
मैं खुद चला जाऊंगा उसे लेने, 
तुम्हे तकलीफ है तो तुम रहने दो।" 

पिता गुस्से से.. एक सांस में यह सब बोल गए !!

"और ये इतना सारा सामान का खर्चा क्यों? 
शादी में दे दिया न। 
अब और पैसा फूँकने से क्या मतलब।" 
भाई ने बहन बहनोई के लिए आये कीमती उपहारों की ओर देखकर ताना कसा ....
पिता जी बोले बकवास बंद कर !
"तुमसे तो नहीं माँग रहे हैं। 
मेरा पैसा है, 
मैं अपनी बेटी को चाहे जो दूँ। 
तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या 
जो ऐसी बातें कर रहे हो।" 
पिता फिर से  गुस्से में बोले।

इस बार भाई दबी आवाज में फिर बोला -

"चाहे जब चली आती है मुँह उठाये।"

पिता अब अपने गुस्से पर 
काबू नही कर पाये और चिल्ला कर बोले 
"क्यों न आएगी ????
हाँ इस घर की बेटी है वो।

तभी.. माँ भी बीच में टोकते हुए वोलीं - 
मेरी बेटी हैं वो ,
ये उसका भी घर है। 
जब चाहे जितने दिन के लिए चाहे 
वह रह सकती हैं। 
बराबरी का हक है उसका।
आखिर  तुम्हे हो क्या गया है ? 
जो ऐसा अनाप-शनाप बके जा रहे हो।"

अब बारी.. बेटे की थी ...

"मुझे कुछ नही हुआ है.. माँ !!
आज मैं बस वही बोल रहा हूँ 
जो आप हमेशा #बुआ के लिए बोलते थे।

आज अपनी बेटी के लिए.. 
आज आपको बड़ा दर्द हो रहा है 
लेकिन.. कभी #दादाजी के 
दर्द.. के बारे में सोचा है?????

कभी बुआ की ससुराल और 
#फूफाजी के मान-सम्मान की बात 
नहीं सोची ???

माँ और पिता जी एक दम से सन्नाटे में चले गए ...
बेटा लगातार बोल जा रहा हैं

"दादाजी ने कभी आपसे एक धेला नहीं मांगा 
वो खुद आपसे ज्यादा सक्षम थे 
फिर भी आपको बुआ का आना, 
दादाजी का उन्हें कुछ देना 
नहीं सुहाया....क्यों ???

और हाँ बात अगर बराबरी और हक की ही है 
तो आपकी बेटी से भी पहले 
बुआ का हक है इस घर पर।" 

बेटे की आवाज आंसूओ की भर्रा सी गई थी अफसोस भरे स्वर में बोला।

माँ-पिता की गर्दन शर्म से नीची हो गयी 
पर बेटा नही रूका 

"आपके खुदगर्ज स्वभाव के कारण 
बुआ ने यहाँ आना ही छोड़ दिया।
दादाजी इसी गम में घुलकर मर गए ...

और हाँ में खुद जा रहा हूँ स्टेशन 
दीदी को लेने पर मुझे आज भी खुशी है कि 
मैं कम से कम आपके जैसा 
खुदगर्ज भाई तो नहीं हूँ।"

कहते हुए बेटा कार की चाबी उठाकर 
स्टेशन जाने के लिए निकल गया।
पिता आसूँ पौंछते हुए अपनी बहन  को फोन लगाने लगे।

दीवार पर लगी.. दादाजी की तस्वीर जैसे मुस्कुरा रही थी।
( उन बहनो को समर्पित जो मायक़े नहीं जा पाती )🙁

 रक्षाबंधन की अग्रिम शुभकामनाएं

Tuesday 1 August 2017

Bharat ka jativad system

*टाईम निकाल कर एक बार अवश्य पढ़े*

```एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बेडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी। रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते।

राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे। दूर-दूर तक फैली सफ़ेद चादर। अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता हुआ ।

राष्ट्रपति ने पीए को कहा -उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत पूछो।

दो घंटे बाद पीए ने राष्ट्रपति को बताया - सर, वो एक भिखारी है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा -ठीक है, उसे कंबल दे दो।

अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से पर्दा हटाया। उन्हें घोर हैरानी हुई। वो भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है।

राष्ट्रपति गुस्सा हुए और पीए से पूछा - यह क्या है? उस भिखारी को अभी तक कंबल क्यों नहीं दिया गया?

पीए ने कहा -मैंने आपका आदेश सेक्रेटरी होम को बढ़ा दिया था। मैं अभी देखता हूं कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।

थोड़ी देर बाद सेक्रेटरी होम राष्ट्रपति के सामने पेश हुए और सफाई देते हुए बोले - सर, हमारे शहर में हज़ारों भिखारी हैं। अगर एक भिखारी को कंबल दिया तो शहर के बाकी भिखारियों को भी देना पड़ेगा और शायद पूरे मुल्क में भी। अगर न दिया तो आम आदमी और मीडिया हम पर भेदभाव का इल्ज़ाम लगायेगा।

राष्ट्रपति को गुस्सा आया - तो फिर ऐसा क्या होना चाहिए कि उस ज़रूरतमंद भिखारी को कंबल मिल जाए।

सेक्रेटरी होम ने सुझाव दिया -सर, ज़रूरतमंद तो हर भिखारी है। आपके नाम से एक 'कंबल ओढ़ाओ, भिखारी बचाओ' योजना शुरू की जाये। उसके अंतर्गत मुल्क के सारे भिखारियों को कंबल बांट दिया जाए।

राष्ट्रपति खुश हुए। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से परदा हटाया तो देखा कि वो भिखारी अभी तक बेंच पर बैठा है। राष्ट्रपति आग-बबूला हुए। सेक्रेटरी होम तलब हुए। 

उन्होंने स्पष्टीकरण दिया -सर, भिखारियों की गिनती की जा रही है ताकि उतने ही कंबल की खरीद हो सके।

राष्ट्रपति दांत पीस कर रह गए। अगली सुबह राष्ट्रपति को फिर वही भिखारी दिखा वहां। खून का घूंट पीकर रहे गए वो।
सेक्रेटरी होम की फ़ौरन पेशी हुई।

विनम्र सेक्रेटरी ने बताया -सर, ऑडिट ऑब्जेक्शन से बचने के लिए कंबल ख़रीद का शार्ट-टर्म कोटेशन डाला गया है। आज शाम तक कंबल ख़रीद हो जायेगी और रात में बांट भी दिए जाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा -यह आख़िरी चेतावनी है। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की पर से परदा हटाया तो देखा बेंच के इर्द-गिर्द भीड़ जमा है। राष्ट्रपति ने पीए को भेज कर पता लगाया। 

पीए ने लौट कर बताया -कंबल नहीं होने के कारण उस भिखारी की ठंड से मौत हो गयी है।

गुस्से से लाल-पीले राष्ट्रपति ने फौरन से सेक्रेटरी होम को तलब किया। 

सेक्रेटरी होम ने बड़े अदब से सफाई दी -सर, खरीद की कार्यवाही पूरी हो गई थी। आनन-फानन में हमने सारे कंबल बांट भी दिए। मगर अफ़सोस कंबल कम पड़ गये।

राष्ट्रपति ने पैर पटके -आख़िर क्यों? मुझे अभी जवाब चाहिये।

सेक्रेटरी होम ने नज़रें झुकाकर बोले: श्रीमान पहले हमने कम्बल अनुसूचित जाती ओर जनजाती के लोगो को दिया. फिर अल्पसंख्यक लोगो को. फिर ओ बी सी ... करके उसने अपनी बात उनके सामने रख दी. आख़िर में जब उस भिखारी का नंबर आया तो कंबल ख़त्म हो गए।

राष्ट्रपति चिंघाड़े -आखिर में ही क्यों?

सेक्रेटरी होम ने भोलेपन से कहा -सर, इसलिये कि उस भिखारी की जाती ऊँची थी और  वह आरक्षण की श्रेणी में नही आता था, इसलिये उस को नही दे पाये ओर जब उसका नम्बर आया तो कम्बल ख़त्म हो गये. 

नोट : वह बड़ा मुल्क भारत है जहाँ की योजनाएं इसी तरह चलती हैं और कहा जाता है कि भारत में सब समान हैं सबका बराबर का हक़ है।

- किसी ने फ़ॉर्वर्ड किया था अच्छा लगा है इसलिए आपके साथ सांझा कर रहा हूँ।

        जय भारत.............```