Saturday 31 March 2018

Brahmanvad

बाबा रामदेव ने कुछ नया नही कहा है, जबसे पैदा हुए हैं, यही सुनते आ रहे हैं, की ब्राह्मणों ने अत्याचार किये हैं। हमारी ये प्रस्तुति उन्ही लोंगो के लिए है।

सवर्णों में एक जाति आती है ब्राह्मण जिस पर सदियों से राक्षस, पिशाच, दैत्य, यवन, मुगल, अंग्रेज, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथी, भाजपा, सभी राजनीतिक पार्टियाँ, विभिन्न जातियाँ आक्रमण करते आ रहे है।

आरोप ये लगे कि  ब्राह्मणों ने जाति का बटवारा किया!

*उत्तर:-* सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद जो अपौरुषेय   जिसका संकलन वेदव्यास जी ने किया। जो मल्लाहिन के गर्भ से  उत्पन्न हुए।

१८-पुराण, महाभारत, गीता सब व्यास विरचित है जिसमें वर्णव्यवस्था और जाति व्यवस्था दी गई है। रचनाकार व्यास ब्राह्मण जाति से नही थे।

ऐसे ही कालीदासादि कई कवि जो वर्णव्यवस्था और जाति-व्यवस्था के पक्षधर थे और  जन्मजात ब्राह्मण नहीं थे।

*मेरा प्रश्न:-* कोई एक भी ग्रन्थ का नाम बतलाइए जिसमें जातिव्यवस्था लिखी गई हो और ब्राह्मण ने लिखा हो?

शायद एक भी नही मिलेगा। मुझे पता है आप मनु स्मृति का ही नाम लेंगे, जिसके लेखक मनु महाराज थे, जोकि क्षत्रिय थे, मनु स्मृति जिसे आपने कभी पढ़ा ही नहीं और पढ़ा भी तो टुकड़ों में! कुछ श्लोकों को जिसके कहने का प्रयोजन कुछ अन्य होता है और हम समझते अपने विचारानुसार है। मनु स्मृति पूर्वाग्रह रहित होकर सांगोपांग पढ़ें।छिद्रान्वेषण की अपेक्षा गुणग्राही बनकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

*अब रही बात कि ब्राह्मणों ने क्या किया?* तो सुनें! यंत्रसर्वस्वम् (इंजीनियरिंग का आदि ग्रन्थ)-भरद्वाज, वैमानिक शास्त्रम् (विमान बनाने हेतु)-भरद्वाज, सुश्रुतसंहिता (सर्जरी चिकित्सा)-सुश्रुत, चरकसंहिता (चिकित्सा) -चरक, अर्थशास्त्र(जिसमें सैन्यविज्ञान, राजनीति, युद्धनीति, दण्डविधान, कानून आदि कई महत्वपूर्ण विषय हैं)- कौटिल्य, आर्यभटीयम् (गणित)-आर्यभट्ट।_

ऐसे ही छन्दशास्त्र, नाट्यशास्त्र, शब्दानुशासन, परमाणुवाद, खगोल विज्ञान, योगविज्ञान सहित प्रकृति और मानव कल्याणार्थ समस्त विद्याओं का संचय अनुसंधान एवं प्रयोग हेतु ब्राह्मणों ने अपना पूरा जीवन भयानक जंगलों में, घोर दरिद्रता में बिताए। उसके पास दुनियाँ के प्रपंच हेतु समय ही कहाँ शेष था? कोई बताएगा समस्त विद्याओं में प्रवीण होते हुए भी, सर्वशक्तिमान् होते हुए भी ब्राह्मण ने पृथ्वी का भोग करने हेतु गद्दी स्वीकारा हो…?

विदेशी मानसिकता से ग्रसित कमनिष्ठों (वामपंथियों) ने कुचक्र रचकर गलत तथ्य पेश किए ।आजादी के बाद इतिहा संरचना इनके हाथों सौपी गई और ये विदेश संचालित षड़यन्त्रों के तहत देश में जहर बोने लगे।

ब्राह्मण हमेशा से यही चाहता रहा है कि हमारा राष्ट्र शक्तिशाली हो अखण्ड हो, न्याय व्यवस्स्था सुदृढ़ हो। *सर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे सन्तु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दु:ख भाग्भवेत्।* का मन्त्र देने वाला ब्राह्मण, वसुधैव कुटुम्बकम् का पालन करने वाला ब्राह्मण सर्वदा काँधे पर जनेऊ कमर में लंगोटी बाँधे एक गठरी में लेखनी, मसि, पत्ते, कागज, और पुस्तक लिए चरैवेति-चरैवेति का अनुशरण करता रहा। मन में एक ही भाव था लोक कल्याण!

ऐसा नहीं कि लोक कल्याण हेतु मात्र ब्राह्मणों ने ही काम किया। बहुत सारे ऋषि, मुनि, विद्वान्, महापुरुष अन्य वर्णों के भी हुए जिनका महत् योगदान रहा है। किन्तु आज ब्राह्मण के विषय में ही इसलिए कह रहा हूँ कि जिस देश  की शक्ति के संचार में ब्राह्मणों के त्याग तपस्या का इतना बड़ा योगदान रहा।

 जिसने मुगलों यवनों, अंग्रेजों और राक्षसी प्रवृत्ति के लोंगों का भयानक अत्याचार सहकर भी यहाँ की संस्कृति और ज्ञान को बचाए रखा। वेदों, शास्त्रों को जब जलाया जा रहा था तब ब्राह्मणों ने पूरा का पूरा वेद और शास्त्र कण्ठस्थ करके बचा लिया और आज भी वे इसे नई पीढ़ी में संचारित कर रहे हैं वे सामान्य कैसे हो सकते हैं..? उन्हें सामान्य जाति का कहकर आरक्षण के नाम पर सभी सरकारी सुविधाओं से रहित क्यों रखा जाता है?

*ब्राह्मण अपनी रोजी रोटी कैसे चलाए????

ब्राह्मण को देना पड़ता है:-
पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा फीस!
 काम्प्टीशन के लिए सबसे ज्यादा फीस!नौकरी मांगने के लिए लिए सबसे ज्यादा फीस!

और सरकारी सारी सुविधाएँ OBC, SC, ST, अल्पसंख्यक के नाम पर पूँजीपति या गरीब के नाम पर अयोग्य लोंगों को दी जाती हैं।इस देश में गरीबी से नहीं जातियों से लड़ा जाता है। एक ब्राह्मण के लिए सरकार कोई रोजगार नही देती कोई सुविधा नही देती। एक ब्राह्मण बहुत सारे व्यवसाय नहीं कर सकता  जैसेः-

पोल्ट्रीफार्म, अण्डा, मांस, मुर्गीपालन, कबूतरपालन, बकरी, गदहा, ऊँट, सुअरपालन, मछलीपालन, जूता, चप्पल, शराब आदि, बैण्डबाजा और विभिन्न जातियों के पैतृक व्यवसाय।

क्योंकि उसका धर्म एवं समाज दोनों ही इसकी अनुमति नही देते! ऐसा करने वालों से उनके समाज के लोग सम्बन्ध नहीं बनाते व निकृष्ट कर्म समझते हैं। वो शारीरिक परिश्रम करके अपना पेट पालना चाहे तो उसे मजदूरी नही मिलती। क्योंकि लोग ब्राह्मण से सेवा कराना पाप समझते है। हाँ उसे अपना घर छोड़कर दूर मजदूरी, दरवानी आदि करने के लिए जाना पड़ता है। कुछ को मजदूरी मिलती है कुछ को नहीं मिलती।

अब सवाल उठता है कि ऐसा हो क्यों रहा है? जिसने संसार के लिए इतनी कठिन तपस्या की उसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों?

जिसने शिक्षा को बचाने के लिए सर्वस्व त्याग दिया उसके साथ इतनी भयानक ईर्ष्या क्यों?

मैं ब्राह्मण हूँ अत: मुझे किसी जाति विशेष से द्वेष नही है। मैने शास्त्रों को जीने का प्रयास किया है अत: जातिगत छुआछूत को पाप मानता हूँ।

मैंने शास्त्रों को पढ़ा है अत: परस्त्रियों को मातृवत्, पराये धन को लोष्ठवत् और सबको आत्मवत् मानता हूँ! लेकिन मेरा सबसे निवेदन:-
 
गलत तथ्यों के आधार पर हमें क्यों सताया जा रहा है?हमारे धर्म के प्रतीक शिखा और यज्ञोपवीत, वेश भूषा का मजाक क्यों बनाया जा रहा हैं?

हमारे मन्त्रों और पूजा पद्धति का उपहास होता है और आप सहन कैसे करते हैं? विश्व की सबसे समृद्ध और एकमात्र वैज्ञानिक भाषा संस्कृत को हम भारतीय हेय दृष्टि से क्यों देखते हैं।
 
हमें पता है आप कुतर्क करेंगें! आजादी के बाद भी ७४ साल से अत्याचार होता रहा है, हमारा हक मारकर खैरात में बाँट दिया गया है किसी सरकार ने हमारा सहयोग तो नही किया किन्तु बढ़चढ़ के दबाने का प्रयास जरूर किया फिर भी हम जिन्दा है और जिन्दा रहेंगे, हर युग में ब्राह्मण के साथ भेदभाव, अत्याचार होता आया है, ब्राह्मण युवाओं की फौज तैयार हो रही है,, हर Point से ब्राह्मण विरोधियों को जबाब दिया जाएगा |

ब्राह्मण एकता *जागो ब्राह्मणों, समाज पुकारे आपको!*

Friday 30 March 2018

How human organ work.

क्यों हैरान करता है इंसान का शरीर, वैज्ञानिकों को
अद्भुत है इंसान का शरीर

*जबरदस्त फेफड़े*
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.

*ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं*
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.

*लाखों किलोमीटर की यात्रा*
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.

*धड़कन, धड़कन*
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.

*सारे कैमरे और दूरबीनें फेल*
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.

*नाक में एंयर कंडीशनर*
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.

*400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार*
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.

*जबरदस्त मिश्रण*
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.

*बेजोड़ झींक*
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.

*बैक्टीरिया का गोदाम*
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.

*ईएनटी की विचित्र दुनिया*
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.

*दांत संभाल के*
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.

*मुंह में नमी*
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.

*झपकती पलकें*
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.

*नाखून भी कमाल के*
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.

*तेज रफ्तार दाढ़ी*
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.

*खाने का अंबार*
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.

*बाल गिरने से परेशान*
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.

*सपनों की दुनिया*
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.

*नींद का महत्व*
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.

Tuesday 20 March 2018

Ek nayi shuruat

निजी स्कूलों की लूट से बचने के 10 रामवाण उपाय-

1- मोहल्ले के या नजदीक के 50 परिवार एक समूह बनाऐं।

2- उस समूह के सभी लोग अपने बच्चे सरकारी स्कूल में भरती कर दें।

3-केवल पहली साल के लिए  एक साल का निजी स्कूल का खर्च का केवल आधा भाग एडवाँस में उस सरकारी स्कूल को दान कर दें(नगद न दें वल्कि सामान खरीदकर दें और एज्युकेशन पोर्टल पर उस दान की ऐंट्री भी करा दें) ताकि उसमें इनफ्रा स्ट्रक्चर निजी स्कूलों जैसा हो जाए।

4- इन 50 परिवारों में से 5 परिवार कीं पढीं लिखी बहुऐं, बेटियाँ(जो घर पर रहतीं हों) एक महीने समय दान कर स्कूल में पढाने जाऐं और स्कूल की शिक्षा, व्यवस्था को अपने हिसाब का बनाने में टीचर्स का सहयोग कर दें।

इस तरह प्रति 5 परिवार के एक माह देखरेख से 50 परिवार पूरे 10 माह देखरेख कर सकेंगे।

5- प्रति रविवार किटी पार्टी की थीम एज्युकेशन पर रखें जिसमें बच्चों की पढाई, समस्याऐं और समाधान पर चर्चा करें।

6- यह सब केवल पहली साल करना है, अगली साल से बिना एक रुपये खर्च किए ही केवल समय दान करके ही यह सब हो जाएगा।

7- दो साल बाद यह ट्रेंड बन जाएगा और फिर आपको समय दान के दिए सात दिन तक मिलना मुश्किल हो जाएगा।

8- यह ऐसी शुरूआत होगी जो आगे चलकर समाज में सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढाने और  सरकारी स्कूल की मदद करने को फेशन बना देगी और समाज निजी स्कूलों, कोचिंगों की लूट से बच जाएगा।

9- कम से कम इसे शेयर करके संदेश तो मुफ्त में आगे बढा ही सकते हैं।

10 - पहले यह प्रयोग कक्षा 1 से 8 तक के लिए करके देखें। और आज से ही इसकी शुरूआत करें।
दूसरे लुट रहे लोग भी आपके साथ जल्दी ही खड़े मिलेंगे।