(कासगंज उ प्र में 26 जनवरी तिरंगा यात्रा में मुसलमानों द्वारा देश भक्त युवा चन्दन की गोली मारकर हत्या किए जाने पर सनातन समाज को चेताती नयी कविता)
रचनाकार-कवि गौरव चौहान इटावा उ प्र
9557062060
कोई हल्ला,कोई मातम,कोई क्रन्दन नही रहा,
कासगंज का ध्वज संवाहक,बेटा चन्दन नही रहा,
लिए हाथ में अमर तिरंगा,गद्दारों से छला गया,
आँखे खोलो,देखो,चन्दन गोली खाकर चला गया,
चीख सको तो चीखो,अपने भारत की बर्बादी पर,
डर सकते हो डरो,दुश्मनों की बढ़ती आबादी पर,
जान सको तो जानो,जेहादी घातक मंसूबो को,
केसरिया धरती पर उगती,हरी विषैली दूबों को,
मस्ज़िद वाले गली मुहल्ले,घात लगाए बैठे हैं,
और तिरंगे के पथ में बारूद सजाये बैठे हैं,
लो देखो आरम्भ हो गया,नारा ए तदबीरों का,
दाढ़ी टोपी पर इठलाती,धार दार शमशीरों का
लो देखो उन्मादी जमघट,हुआ खून का प्यासा है,
मज़हब की दुर्गंध उड़ाता,बलवा अच्छा खासा है,
वो देखो छाती पे चढ़कर आज तुम्हारी डोले है,
तुम घर में गमले रखते हो,वो रखते हथगोले हैं,
तुम भाई चारे में रह लो,वो नफरत से जुदा नही,
सिर्फ उन्हीं का खुदा-खुदा है,बाकी कोई खुदा नही,
कासगंज की गलियों में जो दहशत खुल कर नाचा है,
श्री राम के बेटों के गालों पर एक तमाचा है,
अरे हिंदुओं,कहाँ व्यस्त हो,घर की चार दिवारी में,
दीमक लग बैठी है शायद,तुम सब की खुद्दारी में,
बिजनिस,बीवी बच्चे,सुख वैभव में केवल सिमटे हो,
खड़े भेड़िये घर के बाहर,तुम दौलत से लिपटे हो,
घर में मंदिर एक बनाकर,हिन्दू बनकर ऐंठे हैं,
सड़कों पर हिंदुत्व मरा है,आँख मींच कर बैठे है,
ये जेहाद अभी सड़कों तक है,आगे भी होना है,
गोली खाओ,मर जाओ,बस यही तुम्हारा होना है,
मौन तुम्हारा,कायर बनकर,खुद की चिता बनायेगा,
कवि गौरव चौहान भला क्या तुमको आज जगायेगा?
चिंता अगर पीढ़ियों की है,वीर बाँकुरे पैदा कर,
हर हिन्दू अपने घर में इक बाल ठाकरे पैदा कर,
महंगी गाडी जायदाद,बंगले न जान बचाएंगे,
दुश्मन से लड़ने के जज़्बे काम तुम्हारे आएंगे,
घर में रक्खी चाक़ू छुरियां और कटारी रमा करो,
महंगे मोबाइल छोडो,बन्दूक तमंचे जमा करो,
जागे ना तो भीड़ बावली,हर घर आँगन फूंकेगी,
चन्दन की क़ुरबानी तुम पर बरस बरस तक थूकेंगी,
------कवि गौरव चौहान(अगर जागे हो तो औरों को भी जगाने के लिए कविता बिना एडिट किये भरपूर शेयर करें)
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