Sunday 14 January 2018

Inside the Supreme Court fight

जस्टिस जे. चेलमेस्वर
जस्टिस कूरियन जोसेफ
जस्टिस रंजन गोगोई 
जस्टिस मेदान लोकूर......
कांग्रेस के हमदर्द,  वामपंथी सोच वाले इन मिलार्डों से 1984 के दंगों में मारे गए हजारों निर्दोष सिखों पर कोई फैसला नहीं हो पाया.
समय के साथ यह मामला ठंढे बस्ते में जाने वाला था कि जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस केस को दुबारा खोलने का आदेश दे दिया.
और यही बात इन मामनीयों से हजम नहीं हो रही.
गौरतलब है कि 84 के दंगे कांग्रेसीयों के पाप की वो दास्तान है कि यदि सही न्याय हो जाय तो पता नहीं कितने कांग्रेसी नेता जेल के अंदर हों .
संविधान की अवहेलना करते हुए इन चारणभाटों ने गांधी परिवार के दलाल और कुख्यात वामपंथी पत्रकार शेखर गुप्ता की अगुवाई में प्रेस वार्ता बुलाई और देश को खतरे में बता कर एक कांग्रेसी नेता डी राजा के साथ गुप्त मिटिंग पर चले गए.
मामला साफ हो गया है कि न्यायालय भी अवार्ड लौटाऊ गैंग का ही एक हिस्सा है.
वहां भी स्वच्छता अभियान चलाया जाना चाहिए.

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