तीन चार दिन से फेसबुक पर देख रहा हूँ , फेसबुक पर ' वीर रस ' का सैलाब उमड़ रहा है ।
राजनाथ को छोड़ो , मोदी को लानतें भेजी जा रहीं हैं ।
ताने कसे जा रहें हैं कि मनमोहन क्या बुरे थे ?
फेसबुकिया वीर डोले शोले दिखा रहे हैं --
" मोदिया तो कायर है । "
" मोदिया सैक्यूलर हो गया है "
" मोदिया को नोबेल प्राइज की हवस हो गयी है "
" मोदिया को सत्ता सुख का चस्का लग गया है "
वामियों कामियों इस्लामियों की बांछें खिली जा रही हैं और वे भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं ।
मैं भी कहता हूँ मोदीजी भी थोड़े ज्यादा ही दयालु हो रहे हैं । उन्हें पूरे भारत में #अनिवार्य #सैनिक #सेवा लागू कर देनी चाहिये और एक फेसबुक बटालियन का गठन करके इन सारे " #फेसबुक #बहादुरों " को मिलिट्री ट्रेनिंग देनी चाहिये ।
शाम को जब फचूकर फैंकते और रेंगते हुये ये फेसबुकिया वीर जब लौटें तब मोदी हाथ में बेसबॉल का डंडा लेकर इनसे पूछें कि जंग के लिये तैयार हो ?
99% फेसबुकियों के पेट के नीचे के भाग में गुड़गुड़ाहट होने लगेगी ।
अगर 40 से ऊपर के हो तो अपने बच्चे को आर्मी की भर्ती की तैयारी में लगाओ क्योंकि इस बार जो युद्ध होगा उंसमें हजारों नहीं भारत माँ के लाखों बच्चों की जरूरत होगी । तैयार हो ?
नहीं ना ?
क्योंकि आपको अपने बच्चे को डॉक्टर , इंजीनियर , आइ ए एस बनाना है , फौज में मरने के लिये तो पड़ौसी का बच्चा है ना ।
तो हे फेसबुकिया एवेंजर्स , मोदी को अपना नहीं आपका बच्चा देखना है वरना उसे क्या दिक्कत है ?
आगे नाथ ना पीछे पगहा ।
राष्ट्रीय आपातकाल में किसी की हिम्मत भी नहीं होगी जो उसके खिलाफ उंगली उठा सके ।
परमाणु युद्ध हुआ तो " अवाक्स सिस्टम " की मेहरबानी से वो पहले ही " इंटरनल टनल " के जरिये " एटॉमिक बॉम्ब प्रूफ बंकर " में चला जायेगा । पर आपका और आपके बच्चों का क्या होगा ? पल भर में भाप बन जाओगे ।
आप कहेंगे कि नक्सलियों के खिलाफ कुछ क्यों नहीं कर रहा तो भैया ये अलग अलग घटनाएं नहीं बल्कि एक ही युद्ध के तीन मोर्चे हैं । एक पाकिस्तान , दूसरा नक्सलवाद और तीसरे 20 करोड़ मोमिन । इनमें से दो तो खुले हुये हैं तीसरे के खुलते ही युद्ध शुरू हो जाएगा ।
फिर भी भुजायें ज्यादा फड़क रहीं हैं तो बनाओ एक " फेसबुकिया मिलीशिया " और जाओ बस्तर । देखें कितने नक्सलवादी ' पहचान ' पाते हो और कितने मार पाते हो ?
और हाँ कई लोग जो मेरी इस पोस्ट से विरोध जताना चाहते हैं उनका हार्दिक स्वागत है पर एक शर्त है --
अगर 40 से नीचे के हो तो नजदीक का जिम ज्वाइन करो और अपनी बढ़ी तोंद और फूले चर्बीदार गालों को अंदर करो फिर फेसबुक पर वीर रस बहाना ।
तो फिलहाल चलें जिम ?
क्या हुआ ? फूली हुई तोंद में गैस बनने लगी ??
है ना ???
तो चुपचाप गैस पास करो और मोदी को अपना काम करने दो और हां मोदी की प्रवृत्ति से उल्टी ' रहस्यमय चुप्पी ' की तुलना मनमोहन के ' सन्नाटे ' से मत करो ।
' रणनीति ' और ' बेबसी ' में अंतर समझ नहीं आता तो ये तुम्हारी मोटी बुद्धि का दोष है , मोदी का नहीं ।
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