Wednesday, 3 May 2017

कैसे गांधी जी ने एक श्लोक और एक भजन को बदला देखें

कैसे गांधी जी ने एक श्लोक और एक भजन को बदला देखें

भारत में महाभारत का एक श्लोक अधूरा  पढाया जाता है क्यों ??
शायद गांधी जी की वजह से।
"अहिंसा परमो धर्मः"
जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है:-

"अहिंसा परमो धर्मः,धर्महिंसा तदैव च l

अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है
और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है..🕉

#गांधी #जी ने सिर्फ इस ☝☝#श्लोक को ही नही बल्कि उसके अलावा भी उन्होंने एक प्रशिद्ध भजन को बदल दिया 

-'रघुपति राघव राजा राम' इस प्रसिद्ध-भजन का नाम है.
."राम-धुन" .
जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था.. गाँधी ने बड़ी चालाकी से इसमें परिवर्तन करते हुए
 अल्लाह 
शब्द जोड़ दिया..
आप भी नीचे देख लीजिए..
असली भजन और गाँधी द्वारा बेहद चालाकी से किया गया परिवर्तन..
गाँधी का भजन
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज प्यारे तू सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान...

** असली राम धुन भजन **
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम
और बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी  सब जगह गाते हैं यहां तक कि मंदिरो में भी  उन्हें रोके कौन?
-अब सवाल ये उठता है कि गाँधी जी को ये अधिकार किसने दिया की,.. हमारे 'श्रीराम को सुमिरन' करने के भजन में ही अल्लाह को घुसा दे..
(अल्लाह का हमसे क्या संबंध?)
-इस भजन को जिन्होंने बनाया था उनका नाम था लक्ष्मणाचार्य 
ये भजन 
"श्री नमः रामनायनम" 
नामक हिन्दू-ग्रन्थ से लिया गयाहै 
परन्तु 
मोहनदास-गाँधी ने इसमें किसकी आज्ञा से मिलावट की,
 क्या उसने 'लक्ष्मणाचार्यजी' से अनुमति ली!
कोई भी हमारे धर्मग्रंथोंऔर पूजा पद्धिति भजनों में मिलावट करने का  अधिकार रखता है?
हम आप लोगों से निवेदन करेंगे कि, गाँधी के इस मिलावट वाले भजन को तुरंत हटाएं और असली-भजन को गाएँ 
आप इस मूव रामधुन भजन का अपमान बिलकुल भी न करें, 
पोस्ट शेयर जरूर करें ताकि लोग जागरूक हो सकें। धन्यवाद
                    यथाप्राप्त प्रेषित

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