Sunday, 20 January 2019

Maha Gathbandhan

चमगादड़ उल्लूगण
 फिर से घात लगाये बैठे हैं ।
अँधकार के जीव नयन 
    मे प्रात सजाये बैठे हैं ।

काले विषधर निकले बिल 
  से बार बार फुफकार रहे ।
स्यार सिंह के द्वार खड़े हैं 
    बार बार ललकार रहे ।

बिल्ली आ कर रूदन कर 
   रही ऊँटों के दरबारों में ।
नकटी फिर ड्रामा करती 
   है जुटी हुई मनुहारों मे ।

सॉप नेवले एक हो गये 
    शेर पराजित करने में ।
सिंहासन पर लगे हुये हैं 
   गधा विराजित करने में ।

नागिन नाच रही है कातिल
  बिच्छू की बारातों में ।                                               
खड़े हुये हैं मगरमच्छ 
 भी जनवासी जामातों मे ।

रोड लाइट हैं सिर पर 
 रखे खच्चर राग सुनाते हैं ।
सुअर खौरहे कुछ कुत्ते 
मिल कर के ढोल बजाते हैं ।

टर्र टर्र मेंढक करते हैं 
   बन्दर ज्ञान सिखाते हैं ।
कोयल चुप है काले कौव्वे
   कॉव कॉव चिल्लाते हैं ।

आज भेड़िये सोंच रहे हैं 
   कैसे हम प्रतिकार करें ।
मच्छर मक्खी जुगुनू कैसे
  गीदड़ को स्वीकार करें ।

कही शेर आ गया अगर 
  तो बोलो साथी क्या होगा ।
गर्दभ की चीपों चीपों का
  और हाथी का क्या होगा ।

उदविलाव और नीलगाय 
 के वंशज दूर निराश खड़े ।
हिरन चौकड़ी भरकर कहता
   गीदड़ पर विश्वास करें ।

कच्छप और खरगोशो 
 की दौड़ नही होने वाली ।
अब घोड़ो की मनमोहक 
 घुड़ दौण नही होने वाली ।

गैंडा कहता है भालू से 
 हमको भाई फिकर नही ।
स्यार स्यार है शेर शेर है
 सत्य स्यार में जिगर नही ।

भैंसा कहता क्या मतलब 
 है मुझको न कुछ करना है ।
तब भी मुझको घास था चरना 
  अब भी घास ही चरना है । 

मैंनाये रो रही है कातर 
 गरूड़ पुकारे त्राहि माम ।
आस भरे तोते रटते है 
 किन्तु अभी तक सियाराम ।

जंगल का माहौल है बिगड़ा
   वन को कौन संभालेगा ।
विजयी सिंह बने फिर से 
 वह सिक्का कौन उछालेगा ।

हे जीवों परजीवों सुन लो
 अगर कही तुम चूके फिर ।
गीदण की जमात मे घुस कर
   कुत्ते बनकर भूँके फिर ।

निश्चित है तब कोई 
 बचाने तुम्हे यहॉ न आयेगा ।
लोहा लेगा शेर ही अरि 
   से, गधा ठहर न पायेगा ।

सोंच विचार अभी कर लो 
  नया एक दंगल होगा ।
शेर अगर विजयी होगा 
 तो जंगल मे मंगल होगा ।

"--सिंहनादी--"🙏(आशा ही नही पूर्ण विश्वास है ,खूब शेयर करेंगे आप )

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