चमगादड़ उल्लूगण
फिर से घात लगाये बैठे हैं ।
अँधकार के जीव नयन
मे प्रात सजाये बैठे हैं ।
काले विषधर निकले बिल
से बार बार फुफकार रहे ।
स्यार सिंह के द्वार खड़े हैं
बार बार ललकार रहे ।
बिल्ली आ कर रूदन कर
रही ऊँटों के दरबारों में ।
नकटी फिर ड्रामा करती
है जुटी हुई मनुहारों मे ।
सॉप नेवले एक हो गये
शेर पराजित करने में ।
सिंहासन पर लगे हुये हैं
गधा विराजित करने में ।
नागिन नाच रही है कातिल
बिच्छू की बारातों में ।
खड़े हुये हैं मगरमच्छ
भी जनवासी जामातों मे ।
रोड लाइट हैं सिर पर
रखे खच्चर राग सुनाते हैं ।
सुअर खौरहे कुछ कुत्ते
मिल कर के ढोल बजाते हैं ।
टर्र टर्र मेंढक करते हैं
बन्दर ज्ञान सिखाते हैं ।
कोयल चुप है काले कौव्वे
कॉव कॉव चिल्लाते हैं ।
आज भेड़िये सोंच रहे हैं
कैसे हम प्रतिकार करें ।
मच्छर मक्खी जुगुनू कैसे
गीदड़ को स्वीकार करें ।
कही शेर आ गया अगर
तो बोलो साथी क्या होगा ।
गर्दभ की चीपों चीपों का
और हाथी का क्या होगा ।
उदविलाव और नीलगाय
के वंशज दूर निराश खड़े ।
हिरन चौकड़ी भरकर कहता
गीदड़ पर विश्वास करें ।
कच्छप और खरगोशो
की दौड़ नही होने वाली ।
अब घोड़ो की मनमोहक
घुड़ दौण नही होने वाली ।
गैंडा कहता है भालू से
हमको भाई फिकर नही ।
स्यार स्यार है शेर शेर है
सत्य स्यार में जिगर नही ।
भैंसा कहता क्या मतलब
है मुझको न कुछ करना है ।
तब भी मुझको घास था चरना
अब भी घास ही चरना है ।
मैंनाये रो रही है कातर
गरूड़ पुकारे त्राहि माम ।
आस भरे तोते रटते है
किन्तु अभी तक सियाराम ।
जंगल का माहौल है बिगड़ा
वन को कौन संभालेगा ।
विजयी सिंह बने फिर से
वह सिक्का कौन उछालेगा ।
हे जीवों परजीवों सुन लो
अगर कही तुम चूके फिर ।
गीदण की जमात मे घुस कर
कुत्ते बनकर भूँके फिर ।
निश्चित है तब कोई
बचाने तुम्हे यहॉ न आयेगा ।
लोहा लेगा शेर ही अरि
से, गधा ठहर न पायेगा ।
सोंच विचार अभी कर लो
नया एक दंगल होगा ।
शेर अगर विजयी होगा
तो जंगल मे मंगल होगा ।
"--सिंहनादी--"🙏(आशा ही नही पूर्ण विश्वास है ,खूब शेयर करेंगे आप )
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