Wednesday, 29 July 2015

जीतने कि आदत बचपन से थी , इसलिए जीतते ही रहे थे,

जीतने कि आदत बचपन से थी , इसलिए जीतते ही रहे थे,
बस हार गये एक रोज दो ही कतरो से, जो तेरी ऑखो से बहे थे..!!
सुबह उसकी ऑखे बता रही थी, वो सो नहीं पाया,
शायद उसके दिल और आँखों में मैं रात भर जला...!!
बड़ा पथरीला है रास्ता- ए- मोहब्बत,
सुनो मैं बिखर जाता हूँ, तुम मेरे दिल पर पैर रख कर निकल जाना...!!
समंन्दर से भी ज़्यादा थी, सारी आँखों से बह गई,
मेरी पहली मोहब्बत ही अधूरी रह गई....
कुछ कतरे ही मिल जाएं, मुझे इस समुंदर की प्यास नहीं,
मैं खुद को ढूंढ रहा हूँ, मुझे "ख़ुदा" कि अब तलाश नहीं...!!
किस जुर्म मे छीन गयी मुझसे मेरी हँसी,
मैने तो किसी का दिल दुखाया भी ना था...!!
कुछ तेरे दर पर कटी और कुछ महखाने में कटी,
चार दिन कि जिन्दगी लाया था, दो तेरी याद में कटी और दो तुझे भूल जाने में कटी...!!
रोने से अगर वो मिल जाये तो,
भगवान की कसम इस धरती पे सावन की बरसात लगा दूँ..!!
उमीदों का सफर करता हूँ इसी सहारे पर,
के वो भी खड़ा होगा मेरे इंतज़ार में दूसरे किनारे पर...!!
कहते है कि मोहब्बत मे लोग कभी कभी दगा करते है,
मगर मेरे "खुदा" मुझे एक तो मिलें, जो ता- उमर वफा करते है...!!
जब भी कोइ दोस्त पूछता है हमसें भाभी कैसी है,
दिल की धड़कनें रुक जाती है और जूबान पे एक ही सवाल आता है,
कौन सी..😝😝😝😝😝
ना किया कर अपने दर्द- ए- दिल को शायरी में बयां,
लोग और टूट जाते हैं, हर लफ़्ज को अपनी दांस्तान समझकर...!!
तेरी गलियों में आना तो दूर, तुझे भूल से भी याद ना करेंगे,
बस एक बार तू कह दे कि, मैं किसी और की अमानत हूं..!!
वो पूछती थी अक्सर मैं समझा नहीं,
हम किसी और के हो जाए तो क्या करोगे...??
किसी के साथ प्यार से मजाक जरूर करना..
मगर कभी किसी से मजाक से प्यार न करना...!!
ये बड़ा बेदर्द कातिल है, रूह तक को मार देता है,
मोहब्बत नाम है जिसका, जिन्दा लाश बना देना काम है इसका..!!
खूबसूरती से धोख़ा न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो, मांगती तो खून ही है..!!
तुझे क्या देखा, खुद को ही भूल गए हम इस क़दर,
कि अपने ही घर आये तो औरों से पता पूछकर..!!

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