Wednesday, 10 June 2015

#663 उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी है, परों की नहीं अब हौसलों की बारी है।



उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी है,
परों की नहीं अब हौसलों की बारी है।

मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ,
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है।

कोई बताये ये उसके बेवजह इतराने को,
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है। दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
ये एक चिराग कई आँधियों पे भारी है।

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