Wednesday, 6 May 2015

ये टिप्पणी.ईमान डाक्टर साहब के लिए नही है. कृपया वे अन्यथा न लें और आहत न हों।

ये टिप्पणी ईमान डाक्टर साहब के लिए नही है. कृपया वे अन्यथा न लें
और आहत न हों।

आप एक कसबे में रहते हैं, मोटरसाइकिल से
कही जा रहे थे, एक्सीडेंट हो गया, चोट लग
गयी। अस्पताल 2 km दूर है, बगल से एक
ऑटो रिक्शा वाला जा रहा है। अस्पताल
2 km दूर है ऑटो वाला कहता है 2000 रु
लूँगा पहले, तब छोडूंगा अस्पताल तक.. आप
क्या करेंगे??

मान लीजिये आपने मना कर
दिया दूसरा ऑटो वाला आ गया,
वो बोला चलो मैं 1000 में छोड़ देता हूँ।
पहला ऑटो वाला उस से भिड गया..
मेरी सवारी खराब कर रहा है, रेट बिगाड़
रहा है। दूसरा ऑटो वाला डर के भाग
गया.. आप क्या करेंगे ????

चलो इसे छोडिये अब.. ये सिर्फ समझाने के
लिये था। असली मुद्धे पर आते है।
आपके पिता जी को "हार्ट अटैक" हो गया..
डॉक्टर कहता है Streptokinase इंजेक्शन
ले के आओ..9000 रु का.... इंजेक्शन
की असली कीमत 700 - 900 रु के बीच है
पर उसपे MRP 9000 का है। आप
क्या करेंगे????

आपके बेटे को टाइफाइड हो गया. डॉक्टर ने
लिख दिया कुल 14 Monocef लगेंगे।
होलसेल दाम 25रु है. अस्पताल का केमिस्ट
आपको 53 रु में देता है.. आप क्या करेंगे??
आपकी माँ की किडनी फेल हो गयी है. हर
तीसरे दिन Dialysis होता है.. Dialysis के
बाद एक इंजेक्शन लगता है ( नाम मुझे मालूम
नहीं ) MRP शायद 1800 रु है। आप सोचते
हैं की बाज़ार से होलसेल मार्किट से ले
लेता हूँ। पूरा हिन्दुस्तान आप खोज मारते
हैं, कही नहीं मिलता.... क्यों ?
कम्पनी सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर
को सप्लाई देती है। इंजेक्शन
की असली कीमत 500 है पर डॉक्टर अपने
अस्पताल में MRP पे यानि 1800 में
देता है.... आप क्या करेंगे ??

आपके बेटे को इन्फेक्शन हो गया है. डॉक्टर
ने जो Antibiotic लिखी वो 540 रु
का एक पत्ता है. वही salt
किसी दूसरी कम्पनी का 150 का है और
जेनेरिक 45 रु का.... पर केमिस्ट
आपको मना कर देता है... नहीं जेनेरिक हम
रखते ही नहीं, दूसरी कम्पनी की देंगे नहीं..
वही देंगे जो डॉक्टर साहब ने लिखी है
यानी 540 वाली? आप क्या करेंगे??

बाज़ार में Ultrasound 750 रु में
होता है. चैरिटेबल डिस्पेंसरी 240 रु में
करती है। 750 में डॉक्टर का कमीशन 300
रु है। MRI में डॉक्टर का कमीशन 2000 से
3000 के बीच है।
डॉक्टर और अस्पतालों की ये लूट, ये
नंगा नाच बेधड़क बेखौफ्फ़ देश में चल रहा है।
Pharmaceutical कम्पनियों की lobby
इतनी मज़बूत है की उसने देश को सीधे सीधे
बंधक बना रखा है। स्वास्थय मंत्रालय और
सरकार एकदम लाचार है। डॉक्टर्स और
दवा कम्पनियां मिली हुई हैं। दोनों मिल
के सरकार को ब्लैकमेल करते हैं.. सरकार
पूरी तरह लाचार है ? या नकारा ?
नपुंसक ?
यक्ष प्रश्न.. मीडिया दिन रात दिखाता है, लाल किताब बेचता है,
समोसे के साथ बाबा जी की हरी चटनी,
सास बहू और साज़िश, सावधान, क्राइम
रिपोर्ट, राखी सावंत, Bigboss,
Cricketar की Girlfriend,
बिना ड्राईवर की कार, गड्ढे में
गिरा प्रिंस.. सब दिखाता है..... पर
Doctors, Hospitals और
Pharmaceutical कम्पनियों की ये लूट
क्यों नहीं दिखाता??
मीडिया नहीं दिखाएगा तो कौन
दिखाएगा?? मेडिकल lobby
की दादागिरी कैसे रुकेगी??

इस lobby ने सरकार को लाचार कर
रखा है। media क्यों चुप है ?
क्या मीडिया को भी खरीद लिया है
फार्म कंपनी ने ??
2000 रु मांगने वाले ऑटो वाले को तो आप
कालर पकड़ के मारेंगे चार झापड़... डॉक्टर
साहब का क्या करेंगे??????

स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित के बोल

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