Wednesday, 6 May 2015

यदि तुम ऐसा नही चाहते ,तो फिर तुमको जगना होगा ।

राणा ने वन मे भटक भटक ,जिस तन मे
प्राण प्रतिष्ठा की ।।

जौहर कुंडों में कूद-कूद, सतियों ने जिसे
दिया सत्व ।
गुरुओं-गुरुपुत्रों ने जिसमें चिर
बलिदानी भर दिया तत्व ।।

वह शाश्वत हिन्दू जीवन क्या स्मरणीय
मात्र रह जाएगा ?

इसकी पावन गंगा का जल क्या नालो मे
बह जाऐगा ??

इसके गंगाधर शिव शंकर क्या ले
समाधि सो जाएंगे ?

इसके पुष्कर इसके प्रयाग क्या गर्त
मात्र हो जाएंगे ??

यदि तुम ऐसा नही चाहते ,तो फिर
तुमको जगना होगा ।

हिन्दूराष्ट्र का बिगुल बजाकर ,दानव
दल को दलना होगा ।

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