Sunday 6 May 2018

हस्त मुद्रा से चिकित्सा

*हस्त मुद्रा से चिकित्सा भी और सिद्धि भी*

        यह मानव शरीर पृथ्वी,जल,अग्नि,आकाश तथा वायु, पंचतत्व से निर्मित है और हाथों की पांचों उंगलियों मेंअलग-अलग तत्व मौजूद है जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी उंगली में वायु तत्व,मध्यमा उंगली में आकाश तत्व और अनामिका उंगली में पृथ्वी और कनिष्का उंगली में जलतत्व मौजूद है।

 शरीर में जो ठोस है,वह पृथ्वीतत्व ,जो तरल या द्रव्य है वह जल तत्व,जो ऊष्मा गर्म  है वह अग्नि तत्व,जो प्रवाहित होता हैवह वायु तत्व और समस्त क्षिद्र आकाश तत्व है।

साधारणतया आहार विहार का असंतुलन इन पंचतत्वों के संतुलन को विखण्डित करता है और फलस्वरूप मनुष्य शरीर भांति भांति के रोगों से ग्रसित हो जाता है यूँ तो नियमित व्यायाम तथा संतुलित आहार विहार सहज स्वाभाविक रूप से काया को निरोगी रखने में समर्थ हैं , परवर्तमान के द्रुतगामी व्यस्ततम समय में कुछ तो आलस्यवश और कुछ व्यस्तता वश नियमित योग सबके द्वारा संभव नहीं हो पाता , परन्तु योग में कुछ ऐसे साधन हैं जिनमे न ही अधिकश्रम की आवश्यकता है और न ही अतिरिक्त समय की. इसे " मुद्रा चिकित्सा " कहते हैं ।

विभिन्न हस्तमुद्राओं से अनेक व्याधियों से मुक्ति संभव है यह परम् सत्य है आज का आधुनिक बिज्ञान भी इससे सहमत है।
जो चीज असम्भव है वह चीजे अध्यतम विज्ञान में सम्भव है।
        योग में आसन प्राणायाम, मुद्रा, बंध अनेक विभाग बनाए गए हैं। इसमे हस्त मुद्राओं का बहुत ही खास स्थान है। मुद्रा जितनी भी प्रकार की होती है उन्हे करने के लिए हाथों की सिर्फ10 ही उंगलियों का उपयोग होता है। 

उंगलियों से बनने वाली मुद्राओं में रोगों को दूर करने का राज छिपा हुआ है। हाथों की सारी उंगलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं। 

मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। 

हठयोग के इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। इस ग्रंथ में योग के देवता भोले शंकर ने माता पार्वती से कहा है कि हे देवी, मैने तुम्हे मुद्राओं के बारें में ज्ञान दिया है सिर्फ इतने से ही ज्ञान से सारी सिद्धियां प्राप्त होती है।
          मुद्रा के द्वारा अनेक रोगों को दूर किया जा सकता है। उंगलियों के पांचों वर्ग पंच तत्वों के बारें में बताते हैं।

 जिससे अलग-अलग विद्युत धारा बहती है। इसलिये मुद्रा विज्ञान में जब उंगलियों का रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब विद्युत बहकर होकर शरीर में समाहित शक्ति जाग उठती है और हमारा शरीर निरोगी होने लगता है।
अँगुलियों को एक दुसरे से स्पर्श करते हुए स्थिति विशेष में इनकी जो आकृति बनती है,उसे मुद्राकहते हैं ।

 मुद्रा के द्वारा अनेक रोगों को दूर किया जा सकता है। उंगलियों के पांचों वर्ग पंचतत्वोंके बारें में बताते हैं। जिससे अलग-अलग विद्युत धारा बहती है। इसलिये मुद्रा विज्ञान में जबउंगलियों का रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब विद्युत बहकर होकर शरीर में समाहितशक्ति जाग उठती है और हमारा शरीर निरोगी होने लगता है। 

क्रमशः______🙏🕉

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