आज सुबह पेपर में गोरखपुर की महिला एसपी चारू निगम के आंख से निकले फटकार के आंसुओं पर उद्वेलित अखबार और जनता की प्रतिक्रियाएं पढ़ने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे है कि आंसुओं का भी वर्गीकरण पद और प्रतिष्ठा के आधार पर किया जा चुका है वर्ना रोने को तो उन बेचारी आठ महिलाओं ने जी भर के रोया होगा जब महिला एसपी चारू निगम उन पर लाठीया बरसा रही थी , मगर खबर केवल एसपी साहिबा का ही बना क्योंकि अखबार और समाज की नजर में एक एसपी के आंसुओं का निकलना उसका स्वाभिमान था और गरीब के आंसू उसका भाग्य।।
- साभार कापी
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