Tuesday, 2 May 2017

हिंदी मुसलमान

पिछले 1400 सालों में मक्का में आजतक एक भी गैर अरबी मुस्लिम मुफ़्ती नही बना है , ना ही अरब का कोई किंग गैर अरबी है , ख़लीफ़ा भी कोई गैर अरबी नही बना है ,
यहाँ मक्का वही मक्का है यहाँ अरब वही अरब है , जहाँ के अरबी लोग कभी हम
भारतीय सब कॉन्टिनेंट के मुस्लिमो की ज़कात(खैरात) पर अपना गुजर बरस किया करते थे, या लुटेरे हुआ करते थे।। और यहाँ अरबी लोग आज भी हम भारतीय मुस्लिमो को #हिन्दी बोलकर अपने से अलग बताते है, हमे हिक़ारत की नजर से देखते है , हमे अपने अरबी देशो में नागरिकता तक नही देते है , एक अरबी कफ़ील नांमक व्यक्ति के नीचे लगाकर हमसे गुलामो की तरह बर्ताव करते है , तो क्यों हम इन अरबियों की नकल करे? क्यों हम इन अरबियों को ज़कात दे? क्यों हम इन अरबियों की तरह पोषाक पहने? क्यों हम इन अरबियों की तरह भाषा बोले? क्या हम इन अरबियों के मानसिक गुलाम है? इन अरबियों का हमारी संस्कृति से क्या लेना देना है?

अरे खुदको पहचानो हम भारत और सब कॉन्टिनेंट में रहने वाले सभी खालिस हिन्दू है और कुछ नही भारत का हर नागरिक हिन्दू है चाहे वोह सिक्ख हो या ईसाई हो या नकली अरबी मुस्लिम हो।।।बेशक मुस्लिम भाई भारत में अपने को हिन्दू न कहते हों और "हिन्दू " शब्द से घृणा करते हों पर विदेशो में अब भी हर भारतीय "हिन्दू" ही
कहलाता है यंहा तक की अरब में भी भारतीय मुसलमानों को "हिन्दू-मुसलमान " या
"हिंदी मुसलमान " कहा जाता है।।

#जिस_व्यक्ति_की_जन्मभूमि तथा पवित्र -भूमि भारत है , वह हिन्दू है "यानि
हिन्दू की परिभाषा स्थानवाचक है धर्मवाचक नहीं ।हिन्दू संस्कृति है धर्म नही
है।। गर्व से कहो हम सब हिन्दू है।।

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