बड़ी मेहनत के बाद मैंने प्राईवेट नौकरी पायी है,नौकरी में आया तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है।
जहाँ कदम कदम पर ज़िल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं।
अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं
फ़िर भी बात-बात पे डेबिट और Punishment ही पाने हैं.जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ।
जहाँ एक तरफ मुझे boss की, और दूसरी तरफ family वालो की भी सुननी है, यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं।
ड्यूटी अगर लेट हुयी तो boss चिल्लाते हैं गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं.दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ,क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ।
आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,परिवार के साथ वक़्त बिताना, और *Office*में job बचाना।परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,घर जैसे कोई मुसाफिर खाना हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ। फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ, क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ Promotion, incriment की बात पर, हमें सालो लटकाया जाताहै, हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है।
ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,क्योंकि मै प्राईवेट नौकरी वाला हूँ।
छुट्टी मिली ना घर जा सके, Duty में ही ईद-दिवाली-क्रिसमस मनाने का अजब कमाल है। टिफ़िन से टिफ़िन जब मिलते हैं, तो एक नया ही ज़ायका बन जाता है, खुद के बनाये खाने में, और घर के खाने में फ़र्क़ साफ़ नज़र आता है।
मजबूरी ने इतना कुछ सिखाया, आगे भी बहुत कुछ सीखने वाला हूँ, क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ।कईलोग समझते है कि बड़ा मजा करते है, प्राईवेट नौकरी मेंअब उन्हें कौन समझाए कि प्राईवेट कर्मी के लिए boss के पास सिर्फ वादे है, Boss चाहे मनमानी करे, स्टाफ के लिए बड़े सख्त कायदे हैं।सबको मैं बदल नहीं सकता, इसलिए अब ख़ुद को बदलने वाला हूँ, क्योंकि मैं प्राईवेट नौकरी वाला हूँ।
(ये कविता मेरे समस्त प्राईवेट कर्मियो को समर्पित है।*_
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