Friday 28 April 2017

Police condition in India

पल्लवी त्रिवेदी म.प्र. पुलिस में अपर पुलिस अधीक्षक हैं। आजकल AIG hdqrtr के पद पर हैं । उनका ये लेख पढ़ने योग्य है -



आज कुछ बातें मेरे विभाग के बारे में .... पुलिस को कोसिये ज़रूर कोसिये मगर इसे भी पढ़िए और कोसते समय दिमाग में रखिये !

1 - आपका या आम जनता का सीधा वास्ता पुलिस के सबसे निचले कर्मचारियों खासकर सिपाही और हवलदार से पड़ता है! उसमे भी सबसे ज्यादा ट्रैफिक के दौरान ! जब वो आपको रोकता है तो सबसे पहले रसीद काटने की बात करता है , वो आप है जो उसे रसीद न काटने के लिए पैसे ऑफर करते हैं ! जिसे आप दोनों ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करते हैं , क्योंकि इसमें दोनों को सुविधा है! अब से सिर्फ इतना करना शुरू कीजिये कि ट्रैफिक का चालान होने की नौबत आने पर ख़ुशी ख़ुशी चालान भरिये ! न किसी नेता से उस सिपाही को फोन कराइए और न उसे सौ का नोट दिखाइये !


2 - हमारा सिपाही और हवलदार चौबीस घंटे ड्यूटी करता है , उसकी कम तनख्वाह का एक हिस्सा उसकी मोटरसाइकल में पेट्रोल डलवाने में और कागजों की फोटोकॉपी कराने में जाता है , जो उसके सरकारी काम का हिस्सा हैं ! ज़ाहिर है ये पैसा वह कहाँ से प्राप्त करता होगा ! 

दिन भर वह चकरघिन्नी बना कभी जुलूस निपटाता है , कभी मंत्री जी के कार्यक्रम में खडा रहता है , कभी वारंटी पकड़ रहा होता है , कभी डॉक्टर को बमुश्किल पकड़कर शव का पोस्ट मार्टम करवा रहा होता है और कभी भागी हुई लडकी की तलाश में गाँव गाँव घूम रहा होता है और सारे गाँव वालों का विरोध झेल रहा होता है ! ( ये सारे काम एक ही दिन के हैं ) और रात को थाने पर बैठे चोर से चोरी उगलवा रहा होता है! उससे कितने मधुर व्यवहार की अपेक्षा रीजनेबल होगी , तय कर लीजिये! 

3 - वो त्यौहार मनाना नहीं जानता , कभी टीचर पेरेंट मीटिंग में भाग नहीं लेता , उसके सरकारी घर में आप एक दिन भी नहीं गुज़ार सकते! उसे नहीं मालूम होता , उसका बच्चा पढाई में कैसा है , कहीं गलत संगत में तो नहीं पड़ गया है ? उसकी तोंद निकल गयी है , उसका बी .पी . हाई है , डायबिटीज़ भी है ! उसे फुर्सत नहीं कि वह एक्सर्साइज़ या डायटिंग कर सके

हाँ , वो भ्रष्ट है क्योंकि भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय चरित्र है ! जिस प्रकार न्यायपालिका , कलेक्ट्रेट , एम् .पी .ई. बी., पी.डव्लू .डी., स्वास्थ्य सेवाएँ , नगर पालिका , हमारे नेता भ्रष्ट हैं , उसी प्रकार वो भी भ्रष्ट है! जिस दिन हमारा समाज भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा , हमारी पुलिस से भी भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेगा! 

5 - आप विदेशों से हमारी पुलिस की तुलना करते हैं तो कुछ बातें जान लीजिये फिर तुलना कीजिये! 
a - विदेशों में पुलिस जनता की मित्र है , हमारे यहाँ बच्चे को सुलाने के लिए या उसकी शरारतों को रोकने के लिए भी पुलिस का नाम लेकर डराया जाता है ! आप जैसी पुलिस चाहते हैं , वैसी पुलिस आपके सामने हाज़िर है!

b - सारे विकसित देशों में कोई भी पुलिस कर्मचारी आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करता , और हमारे यहाँ छह घंटे सो ले , वही एक लक्ज़री है !

c - उन देशों में पुलिस का काम घर घर जाकर निगरानी करना नहीं है , हर व्यक्ति के घर में अपना सिक्युरिटी सिस्टम है , अलार्म बजने पर पुलिस पहुँचती है ! अपने घर की रक्षा घर का मालिक स्वयं करता है! हमारे यहाँ पंद्रह मोहल्लों पर दो पुलिस वाले हैं , जिनसे अपेक्षा है कि वे किसी घर में चोरी न होने दें!

d - जो लोग पानी पी पी कर पुलिस को कोसते हैं , वही सबसे पहले कॉन्स्टेबल या सब इंस्पेक्टर का फार्म भरते हैं !जनता की सेवा के लिए नहीं पावर और पैसे के लिए !ये हमारा समाज है ! हम और आप हैं !

e - जो भ्रष्टाचार पुलिस के बड़े अधिकारियों में है बावजूद मोटी तनख्वाह और तमाम सुविधाओं के , उसके लिए विभाग ज़िम्मेदार नहीं है ! वे जिस भी विभाग में होते ,भ्रष्ट ही होते ! 

फिर भी मान लिया कि पुलिस कोई काम नहीं करती तो क्यों न ऐसा करें कि एक दिन के लिए देश के सारे थाने बंद कर दिए जाएँ और ट्रैफिक से भी पुलिस हटा दी जाए! इस प्रयोग के बाद अगर पुलिस की आवश्यकता न हो तो विभाग ही ख़तम कर दिया जाए! 

या मेरा दूसरा सुझाव है कि हम सबको एक एक हफ्ते किसी पुलिस वाले के साथ उसकी परछाई बनकर रहना चाहिए! शायद हमारे विचार कुछ बदलें !

अंत में ,हमारे देश में जिसको जहां मौका मिलता है वहीं भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है ! चाहे एक सीधे सादे टीचर को मध्यान्ह भोजन का प्रभारी बना दिया जाये या अस्पताल की कैंटीन का चार्ज किसी भोले भाले डॉक्टर को दे दिया जाए! यहाँ तक कि प्रायवेट कम्पनी में जॉब करने वाले भी कम बजट के होटल में ठहरकर बड़े होटल का बिल प्रस्तुत करते हैं ! 
और ऐसा भी नहीं कि गरीबो के केस सॉल्व नहीं होते ..बस उन्हें प्रकाशित करने में मीडिया की कोई रूचि नहीं होती और वे आप तक पहुँचते नहीं ! हम जानते हैं कि  कैसे एक अनजान भिखारी के अंधे क़त्ल के केस को हल करने हमारा एक हवालदार विशाखापट्नम से लेकर कन्याकुमारी  तक जाता है ! और कातिल को पकड़कर थाने लाता है ! ये जनता को कभी नहीं दिखाई देगा ! ये हमारी फाइलों में दर्ज है ! जब एक बलात्कार की शिकार चौदह साल की लड़की अपने नवजात बच्चे को गला घोंटकर मार देती है और प्रसूति वार्ड से सीधे हवालात आ जाती है तब जो सिपाही उसके लिए कम्बल खरीदकर लाया है और जो हवालदार उसके लिए जापे के बाद खाए जाने वाले लड्डू दो घंटे में अपने घर से बनवाकर लाया है , यह किसी फ़ाइल में दर्ज नहीं है !

याद रखिये कि जब आप अति सामान्यीकरण करते हुए सारे पुलिस वालों को गाली देते हैं तब मैं और मेरे जैसे मेरे कई साथी पुलिस वाले आहत होते हैं ! हम ईमानदार भी हैं , मानवीय भी और व्यावसायिक रूप से दक्ष भी ! 


और इस पर भी आपको अगर ये लगता है कि मैं पुलिस में भ्रष्टाचार और खराब व्यवहार की हिमायती हूँ तो आप सर्वथा गलत है ! आप जो देखते हैं वह तो सत्य है ही , मैं सिर्फ आपको वो दिखा रही हूँ जो आप नहीं देख पाते हैं ! इसके बाद भी हम लगातार अपने विभाग की छवि सुधारने के लिए प्रयासरत हैं !हम भी चाहते हैं कि  तमाम तनावों के बावजूद पुलिस बहुत मानवीय बने क्योंकि चाहे जितना भी गाली दीजिये पुलिस आज भी दुखियों के लिए आस की एक किरण है और ये भी जानती हूँ कि ये असंभव नहीं है ! आप कोशिश कीजिये कि समाज सुन्दर बने ! हम पुलिस को सुन्दर बनाने के लिए प्रयासरत हैं ! 
जय हिन्द

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