महर्षि बाल्मीकि ने रामराज्य का वर्णन निम्नलिखित शब्दों में किया है:-
(1) श्रीराम के राज्य में स्त्रियां विधवा नहीं होती थी,सर्पों से किसी को भय नहीं था और रोगों का आक्रमण भी नहीं होता था।
(2) राम-राज्य में चोरों और डाकुओं का नाम तक न था।दूसरे के धन को लेने की तो बात ही क्या,कोई उसे छूता तक न था।राम राज्य में बूढ़े बालकों का मृतक-कर्म नहीं करते थे अर्थात् बाल-मृत्यु नहीं होती थी।
(3) रामराज्य में सब लोग वर्णानुसार अपने धर्मकृत्यों का अनुष्ठान करने के कारण प्रसन्न रहते थे।श्रीराम उदास होंगे,यह सोचकर कोई किसी का ह्रदय नहीं दुखाता था।
(4) राम-राज्य में वृक्ष सदा पुष्पों से लदे रहते थे,वे सदा फला करते थे।उनकी डालियां विस्तृत हुआ करती थी।यथासमय वृष्टि होती थी और सुखस्पृशी वायु चला करती थी।
(5) ब्राह्मण,क्षत्रीय,वैश्य और शूद्र कोई भी लोभी नहीं था।सब अपना-अपना कार्य करते हुए सन्तुष्ट रहते थे।राम-राज्य में सारी प्रजा धर्मरत और झूठ से दूर रहती थी।सब लोग शुभ लक्षणों से युक्त और धर्म परायण होते थे।
इस प्रकार श्रीराम ने ११,००० वर्ष, ११ माह और ११ दिन(ग्यारह सहस्र) तक पृथ्वी पर शासन किया।
(ग्यारह सहस्र शब्द देखकर चौंकिये मत।ग्यारह सहस्र का अर्थ है तीस वर्ष एक मास और बीस दिन।आपका प्रश्न हो सकता है-कैसे?सुनिये--
मीमांसा दर्शन में सहस्रों वर्षों के यज्ञ करने का वर्णन है।वहाँ शंका की गयी इतने वर्षों का यज्ञ कैसे हो सकता है क्योंकि मनुष्य की आयु तो इतनी होती ही नहीं?
वहाँ उत्तर दिया गया--
*संवत्सरो विचालित्वात्।-(मी० द० ६/७/३८)*
संवत्सर केवल वर्ष का वाचक नहीं है;कहीं यह ऋतु के अर्थ में आता है और कहीं अन्यार्थ में।
*अहानि वाsभिसंख्यत्वात् ।।-(मी० द० ६/७/४०)*
दिंन-वाचक भी संवत्सर आदि शब्द होते हैं।
अतः श्रीराम ने लगभग तीस वर्ष तक राज्य किया।
जय माँ भारतीय,
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