इंदिरा गाँधी को एक बहुत
ही जिम्मेदार ,
ताकतवर और राष्ट्रभक्त महिला बताया हैं ,
इसकी कुछ
कडवी हकीकत से आपको रूबरू करवा दे !
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में
अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर
पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड
विश्वविद्यालय में
भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से
जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन
के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद
उनको शांतिनिकेतन
विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु
देव रवीन्द्रनाथ
टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया.
शान्तिनिकेतन से
बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी.
राजनीतिज्ञ के रूप में
पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के
स्विट्जरलैंड में
मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़
खान नाम के
व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु
के घर पे
मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था.
फ़िरोज़ खान और
इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए.
महाराष्ट्र के तत्कालीन
राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी,
कि फिरोज खान के
साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में
तो था और
इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द
ही वह अपने धर्म
का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक
मस्जिद में
फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी.
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने
नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू
इस शादी से
काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और
ज्यादा बिगड़ गयी.
नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे
इंदिरा के
प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो,
नेहरू ने
युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से
गांधी कर लो.
परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ
कोई लेना -
देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम
परिवर्तन का एक
मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन
गया है, हालांकि यह
बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है.
दोनों ने ही भारत
की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब
वे भारत लौटे,
एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए
स्थापित
किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश
को काल्पनिक नाम
गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं.
जैसे एक गिरगिट
अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने
अपनी असली पहचान छुपाने के
लिए नाम बदले. . के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू
राजवंश" (10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से
लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र
नहीं था,
जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक
तथ्यों को सामने
रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है
की संजय गाँधी एक
और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था.
दिलचस्प बात
यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय
गाँधी के साथ
मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था. मोहम्मद यूनुस ही वह
व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के
बाद सबसे
ज्यादा रोया था. 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और
राजनीति" (persons passions and politics )
(ISBN-10:
0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के
जन्म के बाद
उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ
किया गया था. कैथरीन
फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi
(ISBN:
9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के
कुछ पर
प्रकाश डाला है. यह लिखा है
कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन
में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई,
(पिता के
सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ
और दिनेश सिंह
(विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए
प्रसिद्द हुई. पूर्व
विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के
लिए संबंध के बारे में
एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक
"profiles and
letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह
कहा गया है
कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के
रूप में
अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी .
नटवरसिंह एक
आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर
के
कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में
सैर के लिए बाहर
जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,
इंदिरा गांधी बाबर
की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह
इस
यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया.
अफगान
सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर
आपत्ति जताई पर
इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस
कब्रगाह पर गयी . यह
एक सुनसान जगह थी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर
आँखें बंद
करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब
इंदिरा ने
उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से
बोली "आज
मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we
have had our
brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे
की बाबर मुग़ल
साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान
इसी मुग़ल साम्राज्य
से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय
जनता इसी धोखे में है की नेहरु
एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य
है..... इस तरह इन
नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े
वृक्ष में
तब्दील हो गया हैं ,
जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओ ने
माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया हैं बाकी देश के
प्रति यदि आपकी भी कुछ
जिम्मेदारी बनती हो , तो अब आप लोग '' निःशब्द ''
ना बनियेगा ,, इसे
फैला दीजिए हर घर में !!!!
वन्देमातरम..
रॉबर्ट और प्रियंका की शादी सन 1997 में हुई
थी .लेकिन अगर कोई रॉबर्टको ध्यान से देखे तो यह
बात सोचेगा कि सोनिया ने रॉबर्ट जैसे कुरूप और
साधारण व्यक्ति से प्रियंका की शादी कैसे
करवा दी?
क्या उसे प्रियंका के लिएकोई उपयुक्त वर नहीं मिला ,
और यह शादी जल्दी में और चुप चाप
क्यों की गयी . ???
वास्तव में सोनिया ने रॉबर्ट से
प्रियंका की शादी अपनी पोल खुलने के डर से
की थी .
क्योंकि जिस समय सोनिया इंगलैंड में एक कैंटीन में
बारगर्ल थी . उसी समय उसी जगह रोबट
की माँ मौरीन (Maureen)
भी यही कामकरती थी .??
मौरीन को सोनिया और माधव राव की रास
लीला की बात पता थी ,
जबवह उसी कैंटीन सोनिया उनको शराब
पिलाया करती थी .
मौरीन यह भी जानती थी कि किन किनलोगों के
साथ सोनिया के अवैध सम्बन्ध थे .
जब सोनिया राजिव से शादी करके दिल्ली आ गयी ,
तो कुछ समय बाद मौरीन भी दिल्ली में बस गयी .
मौरीन जानती थी कि सोनिया सत्ता के लिए कुछ
भी कर सकती है ,
क्योंकि जो भी व्यक्ति उसके खतरा बन
सकता था सोनिया ने उसका पत्ता साफ कर दिया ,
जैसे संजय , माधव राव , पायलेट ,जितेन्द्र प्रसाद ,
योगी , यहाँ तक लोग तो यह भी शक है कि राजीव
की हत्या में सोनिया का भी हाथ है ,
वर्ना वह अपने पति केहत्यारों को माफ़ क्यों कर देती ?
चूँकि मौरीन का पति और रॉबर्ट का पिता राजेंदर
वडरा पुराना जनसंघी था ,
और सोनिया को डर था कि अगर अपने पति के दवाब ने
मौरीन अपना मुंहखोल देगी तो मुझे भारत पर हुकूमत करने
और अपने नालायक कु पुत्र राहुल को प्रधानमंत्री बनाने
में सफलता नहीं मिलेगी .
इसीलिए सोनिया ने मौरीन के लडके रॉबर्ट
की शादी प्रियंका से करवा दी .
............शादी के बाद-की कहानी -..........
राजेंद्र वडरा के दो पुत्र , रिचार्ड और रॉबर्ट और एक
पुत्री मिशेल थे .
और प्रियंका की शादी के बाद सभी एक एक कर मर गए
या मार दिएगए .
जैसे , मिशेल ( Michelle )सन 2001 में कार
दुर्घटना मेंमारी गयी ,
रिचार्ड ( Richard )ने सन 2003 में आत्मह्त्या कर ली .
और प्रियंका के ससुर सन 2009 में एक मोटेल में मरे हुए पाए
गए थे .
लेकिन इनकी मौत के कारणों की कोई जाँच नहीं कराई
गयी ,
और इसके बाद सोनिया ने रॉबर्ट को राष्ट्रपति और
प्रधान मंत्री केबराबर का दर्जा इनाम के तौर पर दे
दिया .
तब इस अधिकार को पर जिस रॉबर्ट को कोई पडौसी भी नहीं जानता था ,उसने मात्र आठ महीनों में करोड़ों की संपत्ति बना ली ,और कई कंपनियों का मालिक बन गया , साथ ही सैकड़ों एकड़ कीमती जमीने भी हथिया ली "अगर
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Friday, 2 September 2016
Gandhi family
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