Sunday, 18 September 2016

मैं भारत का वोटर हूँ, मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिय

*मैं भारत का वोटर हूँ, मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिये*

बिजली मैं बचाऊँगा नहीं, बिजली का बिल मुझे कम चाहिये

पेड़ मैं लगाऊँगा नहीं, मौसम मुझको नम चाहिये

शिकायत मैं करूँगा नहीं, कार्रवाई तुरंत चाहिये

बिना लिए कुछ काम न करूँ, पर भ्रष्टाचार का अंत चाहिये

पढ़ने को मेहनत न करूंगा, नौकरी  चाहिये

घर के बाहर से मतलब नहीं, पर शहर मुझे साफ चाहिये

काम करूँ न धेले भर का, वेतन लल्लनटाॅप चाहिये

एक नेता कुछ बोल गया, सो मुफ्त में पंद्रह लाख चाहिये

लाचारों से लाभ उठायें, फिर भी ऊँची साख चाहिये

लोन मिले बिल्कुल सस्ता, बचत पर ब्याज बढ़ा चाहिये

धर्म के नाम रेबडीयां खाएँ, पर देश धर्मनिरपेक्ष चाहिये

जाती के नाम पर वोट दे, पर अपराध मुक्त राज्य चाहिए

*मैं भारत का वोटर हूँ, मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिये*

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