Saturday 10 September 2016

Baluchistan

"बिना सिंध के हिन्द कहाँ है, रावी बिन पंजाब नहीं.!
गंगा कैसे सुखी रहेगी, जब तक संग चिनाब नहीं.!"
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"लाहौर बिना तो संविधान की, अपनी बात अधूरी है.!
बिना बलूचिस्तान के कैसे कह दें, यह आज़ादी पूरी है.!"
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"आज़ादी का जश्न मनेगा, पेशावर की गलियों में.!
तभी तो खुशबू आ पाएगी, काश्मीर की कलियों में.!"
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"दिल्ली तुझे कसम है अबकी, मत रोड़े अटकाना.!
ताशकंद व शिमला जैसे, समझौते मत दोहराना.!"
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"वचन हमारा रणभूमि में, ऐसी तान बजायेंगे.!
गाड़ तिरंगा सिन्धु तट पर, वन्दे मातरम् गायेंगे.!"
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"साँप सपोलों ने दिल्ली को, आज पुन: ललकारा है.!
घोंप कटारी कह दो उनको, पकिस्तान हमारा है.!"

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