Thursday, 4 August 2016

Dirty politics

कभी चम्बल के बीहड़ो के सरताज हुआ करते थे डाकू मानसिंह 1939 से 1955 तक एकछत्र राज्य किया !!! एक बार आगरा में डकैती करने गए सेठ को पहले सूचना भेज दी गयी थी (उस समय डकैती करने से पहले सूचना चिठ्ठी के द्वारा भेज दी जाती थी) अंग्रेजो का कप्तान छुट्टी लेकर आगरा से भाग गया तय समय पर डकैती शुरू मान सिंह सेठ के साथ उसके बैठक में बैठ गए सेठ ने तिजोरी की सभी चाभियां मान सिंह को दे दी और बोला मेरी चार जवान बेटिया घर में है इनकी इज्जत मत लूटना !!!

मान सिंह ने कहा हम धन लूटते है इज्जत नहीं इसी बीच एक डकैत ने सेठ की एक बेटी से छेड़खानी कर बैठा लडकी चिल्लाने लगी.. लडकी की आवाज सुनकर सेठ घर के अंदर की ओर भागा बेटी ने कहा एक डकैत ने मेरे साथ छेड़खानी की है मान सिंह ने पुरे गिरोह को लाइन में खड़ा किया लड़की को अपने पास बुलाया बोले बेटी पहचान कौन था जैसे ही लड़की ने डाकू को पहचाना मानसिंह ने डाकू को गोली मार दी उस सेठ से माफ़ी मांगी व सारा सामान उसके घर में छोड़ साथी की लाश लेकर लौट गए !!!

ये था भारत के डकैतो का चरित्र आज सफ़ेद पोश राजनैतिक डकैतो ने अपनी सारी हदें पार कर दी है बेटी की चीखे आज भी बुलंदशहर के वीराने में गूंज रही है कोई उस चीख को सुनना नहीं चाहता कोई उन हैवानो के खिलाफ नहीं बोल रहा है राजनैतिक अराजकता सर चढ़ कर बोल रही है !!!
विनाश के लक्षण है !!!

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