"मधुशाला" बिहार संस्करण -
"फूट चुके मधु के प्याले,
टूट चुकी अब मधुशाला।
मयखाने वीरान हुये अब,
जहाँ छलकती थी हाला।
दिख रहा ग़मगीन क्लब,
जो था मय से मतवाला।
मधुशाला को छोड़ लोग,
अब मन्दिर-मस्जिद जाते हैं।
मन्दिर-मस्जिद मेल कराते,
अब जेल कराती मधुशाला।"
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