राजमहल को शर्म नहीं है घायल होती धरती पर,
भारत मुर्दाबाद लिखा है श्रीनगर की छाती पर ;
मन करता है फूल चढ़ा दूं लोकतंत्र की अर्थी पर,
भारत के बेटे निर्वासित हैं अपनी ही धरती पर l
वे घाटी से खेल रहे हैं गैरों के बलबूतेपर,
जिनकी नाक टिकी रहती है पाकिस्तानी जूतों पर !
अब केवल आवश्यकता है हिम्मत की खुद्दारी की
दिल्ली मोहलत दे दे केवल 2 दिन की तैयारी की
सेना को आदेश थमा दो घाटी ग़ैर नहीं होगी
जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा उनकी खैर नहीं होगी 👏🇮🇳
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