आंसुओं का अंबार न करना
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माँ बाप के विश्वास को शर्मसार न करना
बिटिया, किसी ऐरे गैरे से प्यार न करना
खून से सींचो तो पनपती हैं प्यारी बेटियां
बहककर घर की लाज तार तार न करना
बेटी की सराहना से महकता है आशियाना
उंगली उठे तुम पर ऐसा व्यवहार न करना
हुनर के काजल-गजरों से सजाना खुद को
बाजारू समझे ऐसा भौंडा श्रृंगार न करना
तुम आशा हो आने वाले कल की 'मधु'
बूढी आँखों में आंसुओं का अंबार न करना
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