Wednesday, 20 July 2016

शेर के पंजे से क्या कोई उसकी जागीर छीन ले,

शेर के पंजे से क्या कोई
उसकी जागीर छीन ले,
शिकारी के हाथ से क्या
कोई उसकी शमसीर छीन
ले
एक भी हिन्दुस्तानी के
रंगो मे खुन है जब तक,
किसकी मजाल है जो वो
हमसे कश्मीर छीन ले

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