Wednesday, 13 July 2016

बुरहानी के पीछे लाखों #याकूबों को पहचानो

'#शवयात्रा' ने रोक दिया है '#शिवयात्रा' को घाटी में
नागफनी के पेड़ उगे हैं केसर की परिपाटी में

#आतंकवाद का धर्म नही ये चिल्लाते जो घूम रहे
उनके साथी काश्मीर में #आतंकी को चूम रहे

नीलगगन फट सकता था उनके जेहादी नारों से
और जनाजा ऐंठ रहा था लोगो के अंबारों से

जो भारत में विस्फोटों का मर्म जान न पाएंगे
वो लोग कभी आतंकवाद का धर्म जान न पाएंगे

आँख खोल इनके जेहादी मंसूबो को पहचानो
बुरहानी के पीछे लाखों  #याकूबों को पहचानो

अपने घर पे राष्ट्रभक्ति का टूटा दर्पण रखते हैं
ये हिंदुस्तानी तन में #पाकिस्तानी मन रखते है

ऐसे भारत के मानचित्र का सिर खंडित हो जायेगा
इक दिन पूरा भारत कश्मीरी पंडित हो जायेगा

मातृभूमि की रक्षा में मस्तक पर तिलक लगाने दो
सेना संग सारे #बजरंगी काश्मीर में जाने दो

चाँद सितारा टाँगे तब हर एक किला ढह जायेगा
पाकिस्तान बनाने का सपना सपना रह जायेगा

ले लेंगे सारा हिसाब सेना पर फेकें पत्थर का
घाटी से दाग मिटा देंगे हम धारा #तीन सौ सत्तर का

तब हथगोले वाला हर बागी बमभोले को पूजेगा
एटम बम की गलियो  में बस #हर_हर_बम_बम गूजेंगा

नयन तीसरा खोल के जब #कैलाश का राजा निकलेगा
सभी जनाजे वालों का उस रोज जनाजा निकलेगा l

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