Thursday, 2 June 2016

Kadva sach

इस कविता को पूरा पढ़ें दिल को छू जाए तो शेयर करना वरना डिलीट कर देना। गहरी बात लिख दी है किसी शख्शियत ने
👌👌👌👉👇👇👇👇👇👇👇👇👇

***************************
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में ।

उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।

****************************
सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ती के आगे ।

बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है ll
***************************
लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार,

पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।

****************************
वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए,

घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।

****************************
सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को,

आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।

****************************
जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन,

आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।
***************************
जिसने नहीं दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी ,

आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ll

****************************
दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने,

आज पिटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है ।

***************************
मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारों ,

जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है

**************************
जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों

आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।
***************************
बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,

अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।
*************************
आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,

अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।
************************
गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है

उन्होंने देख लिया कि,इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।
************************
कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि

क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान को देखा है ।

इस कविता को मैंने आप तक पहुंचाने में सिर्फ उंगली का उपयोग किया है और

🙏🙏

No comments:

Post a Comment