एक तमाचा मार गया, शामली का कैराना ।
अपनी ही मातृभू से हिन्दू, बन गया है विराना ।।
कहते थे बड़े प्यार से, हिन्दू मुस्लिम भाई भाई ।
फिर घर से बेघर होने की, नौबत उनपे क्यों आयी ??
कश्मीर आसाम बंगाल सिंध से, हिन्दू कहाँ खो गये ?
इफाजत कोई कर न सका, सब चैन अमन में सो गये ??
हिन्दुस्थान की भूमि पे फिर से , आ रहा है यवन राज ।
हिन्दू खुदको कहनेवाला, क्यों मुर्दा बनके पड़ा है आज ।।
पाकिस्तान के नारे गूँजते, भारत माँ के छातीपर ।
हम तो बस झगड़ रहे है, भाषा, वंश और जाती पर ।।
शिकस्त शिकस्त और शिकस्त, चारो ओर मुल्लो का जोर ।
सौं करोड़ हिन्दू का काफ़िला, क्यों पड़ा इतना कमजोर ??
बिगुल युद्ध का बज चुका है, उसकी तुम ललकारी सून ।
कूद पड़ो इस धर्मयुद्ध में, खौलने दो अब ठंडा खून ।।
जागो हिन्दू अब तो जागो, इतिहास लिखो बलिदान से ।
लहरावो अखंड हिन्दुस्थान में, हिन्दू का भगवा शान से ।।
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