Tuesday, 24 May 2016

Salute to Indian Army

सहमत कितनी जनता है?
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अपने दिल की इक छोटी सी पीड़ा को बतलाता हूँ।
आओ तुम्हे इक कडवे सच की मै तस्वीर दिखाता हूँ।।

कल बिना सीट कुछ सैनिक देखे एक ट्रेन में खडे हुए।
कुछ खोल के बिस्तर बंद थे सम्मुख शौचालय के पडे हुए।।

सीट नही कन्फर्म तुम्हारी T.T. यूँ चिल्लाता था।
मार-मार धक्के जनरल डब्बे की तरफ भगाता था।।

तब लगा किसी ने मुझको मेरे अंदर से धिक्कारा है।
लगा किसी ने भारत माँ के मुँह पर थप्पड मारा है।।

तब लगा कि मैने अब तक सच में हिन्दुस्तान नही देखा।
मैने वीर जवानों का ऐसा अपमान नही देखा।।

कल ही तो मंजूर हुई थी छुट्टी उन बेचारों की।
कल ही वारंट, C.V. टूटी थी किस्मत के मारों की।।

रात-रात में फिर कैसे कन्फर्म सीट वो पा जाते।
लेकिन T.T तो T.T है उसको कैसे समझाते।।

मैने ऐसा दुखद नजारा देखा पहली बार था।
सीट पे बैठाने भर तक को नही कोई तैय्यार था।।

कितनी ही ट्रेनों में सैनिक आते -जाते देखा हूँ।
औरों को भी खुद की सीटों पर बैठाते देखा हूँ।।

पर आज एक सैनिक की बीवी गोद ले बच्चा खडी रही।
हैरत में था मगर आत्मा सबकी सोयी पडी रही।।

संकट मे हो देश तो सबसे पहले सैनिक जाते हैं।
देश की जनता की खातिर वो अपना शीश कटाते हैं।।

उस वक्त तो ये जनता भी उनकी जय जयकार लगाती है।
आज मगर वो ही जनता क्यों इनसे आँख चुराती है।।

रक्षा मंत्रालय भी अपना ध्यान हटाये बैठा है।
बस कुछ सीटें MCO में दे हर्षाये बैठा है।।

कदम रेलवे मंत्रालय क्यों अपने आप उठायेगा।
जब तक कि रक्षा मंत्रालय द्वार न इसके जायेगा।।

दिल्ली में ये खादी वाले देखो कुछ ना बोल रहे।
और ट्रेनों में वर्दी वाले धक्के खाते डोल रहे।।

कुछ तो ऐसे नियम लाओ सुन लो इन मनुहारों को।
कन्फर्म सीट हो सैनिक को और सैनिक के परिवारों को।।

जान झोंकने वालों का भई इतना तो हक बनता है।
चलो बता दो मेरे मत से सहमत कितनी जनता है ???

सहमत हो तो हमारे सिपाहियों को नमन करते हुये इस कविता को शेयर कीजिये!

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