दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना .. क्यों कि 'नकाब' हो या 'नसीब' सरकता जरूर है…
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की … आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है…
रुकावटे तो ज़िन्दा इन्सान के लिए हैं…..मय्यत के लिए तो सब रास्ता छोड़ देते है…
इंसान सिर्फ आग से नहीं जलता, कुछ लोग तो हमारे अंदाज से जल जाते है
तुझे तो मोहब्बत भी तेरी औकात से ज्यादा की थी… अब तो नफरत की बात है सोच ले तेरा क्या होगा…
उन्होंने तो हमें धक्का दिया था डुबाने के इरादे से… अंजाम ये निकला हम तैराक बन गए।
दाद देते है तुम्हारे 'नजर-अंदाज' करने के हुनर को.!! जिसने भी सिखाया वो उस्ताद कमाल का होगा..!!
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