नसीब दार है याकूब का परीवार की डेड बोडी तो सलामत मिली....
बाकि ब्लास्ट में मरे लोगो के परिवार को तो टुकड़े भी नसीब नहीं हुए थे....
साला एक आतंकवादी के लिए रात को 3 बजे सुप्रीम कोर्ट खोली जा सकती है....
और एक गरीब व्यक्ति के लिए अस्पताल तक नहीं खुलता...
क्या देश है अपना ?
No comments:
Post a Comment