एक बहु और एक सास ,
और उनके पुत्र श्री प्रकाश ,
बैठे थे उदास ।
अचानक माँ ने कहा –
” बेटा कल्पना करो कि
हम और बहू दोनों गंगा जी नहाने जाएँ,
हमारा पैर फिसल जाये,
और हम दोनों डूबने लग जाएं,
तो तू अपना धरम कैसे निभाएगा
डूबती हुई माँ और बीबी में किसको बचाएगा ?”
मेहरबान ! कदरदान ! साहिबान !
लड़का था परेशान।
उसके दिमाग में कोई युक्ति नहीं आई ।
क्योंकी,
एक तरफ था कुआँ
और दूसरी तरफ था खाई । अचानक बीबी ने मुंह खोला
और यूँ बोली –
हे पतिदेव,
आप अपना धर्म
श्रवण कुमार की तरह निभाना
डूबती हुई माँ और बीबी में
अपनी माँ को ही बचाना ।
माँ की ममता की लाज को मत लजाना।
अरे हमारा क्या है
हम तो जवान हैं,
मौत से भी जूझ जायेंगे
और हमें बचाने
तो
जिन्हे तैरना नहीं आता
वो भी कूद जायेंगे।”
और उनके पुत्र श्री प्रकाश ,
बैठे थे उदास ।
अचानक माँ ने कहा –
” बेटा कल्पना करो कि
हम और बहू दोनों गंगा जी नहाने जाएँ,
हमारा पैर फिसल जाये,
और हम दोनों डूबने लग जाएं,
तो तू अपना धरम कैसे निभाएगा
डूबती हुई माँ और बीबी में किसको बचाएगा ?”
मेहरबान ! कदरदान ! साहिबान !
लड़का था परेशान।
उसके दिमाग में कोई युक्ति नहीं आई ।
क्योंकी,
एक तरफ था कुआँ
और दूसरी तरफ था खाई । अचानक बीबी ने मुंह खोला
और यूँ बोली –
हे पतिदेव,
आप अपना धर्म
श्रवण कुमार की तरह निभाना
डूबती हुई माँ और बीबी में
अपनी माँ को ही बचाना ।
माँ की ममता की लाज को मत लजाना।
अरे हमारा क्या है
हम तो जवान हैं,
मौत से भी जूझ जायेंगे
और हमें बचाने
तो
जिन्हे तैरना नहीं आता
वो भी कूद जायेंगे।”
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