बीवी चालीसा
बीवी सेवा सच्ची सेवा !
जो करे वो खाये मेवा !!
जो बीवी के पाँव दबावै !
बस वैकुंठ परम पद पावै !!
जो बीवी की करे गुलामी !
ना आये कोई परेशानी !!
जो बीवी की धोवे साड़ी !
उसकी किस्मत जग से न्यारी !!
भूत पिशाच निकट नहिं आवै !
जो बीवी के कीर्तन गावै !!
हाथ जोड़ कर कीजिये
पत्नी जी का ध्यान
घर में खुशहाली रहे
हो जाये कल्यान
घरवाली को नमन कर
माला लेकर हाथ
मुख से पत्नी-वन्दना
बोलो मेरे साथ
जय पत्नी देवी कल्यानी !
माया तेरी ना पहचानी !!
तुमसे सारे देवता हारे !
डर से थर-थर कांपें सारे !!
नहिं चरित्र तुम्हरा कोई जाना !
नर क्या ईश्वर ना पहचाना !!
अपरम्पार तुम्हारी माया !
कोई इसका पार न पाया !!
लगो देखने में तुम गुड़िया !
हो लेकिन आफत की पुड़िया !!
हे मेरे बच्चों की माता !
तुम हो मेरी भाग्यविधाता !!
है बेलन हथियार तुम्हारा !
जब चाहा सिर पर दे मारा !!
ऐसी तेरी निकले बोली !
जैसे हो बंदूक की गोली !!
हम तुमसे डरते हैं ऐसे !
चोर पुलिस से डरता जैसे !!
ऐसा है आतंक तुम्हारा !
बिच्छू जैसा डंक तुम्हारा !!
करे पति जो पत्नी-सेवा !
मिलती उसको सच्ची मेवा !!
पत्नी-वन्दना जो कोई गावे !
जीवन में कोई कष्ट न पावे !!
प्रभु दीक्षित कर पत्नी-वन्दन
पत्नी का कर लो अभिनन्दन !!
वन्दहु पत्नी मुख-कमल
गुण-अवगुण की खान !
मिले नहीं बिन आपके,
पतियों को सम्मान !!
!बोलो पत्नी रानी की जय!
बीवी सेवा सच्ची सेवा !
जो करे वो खाये मेवा !!
जो बीवी के पाँव दबावै !
बस वैकुंठ परम पद पावै !!
जो बीवी की करे गुलामी !
ना आये कोई परेशानी !!
जो बीवी की धोवे साड़ी !
उसकी किस्मत जग से न्यारी !!
भूत पिशाच निकट नहिं आवै !
जो बीवी के कीर्तन गावै !!
हाथ जोड़ कर कीजिये
पत्नी जी का ध्यान
घर में खुशहाली रहे
हो जाये कल्यान
घरवाली को नमन कर
माला लेकर हाथ
मुख से पत्नी-वन्दना
बोलो मेरे साथ
जय पत्नी देवी कल्यानी !
माया तेरी ना पहचानी !!
तुमसे सारे देवता हारे !
डर से थर-थर कांपें सारे !!
नहिं चरित्र तुम्हरा कोई जाना !
नर क्या ईश्वर ना पहचाना !!
अपरम्पार तुम्हारी माया !
कोई इसका पार न पाया !!
लगो देखने में तुम गुड़िया !
हो लेकिन आफत की पुड़िया !!
हे मेरे बच्चों की माता !
तुम हो मेरी भाग्यविधाता !!
है बेलन हथियार तुम्हारा !
जब चाहा सिर पर दे मारा !!
ऐसी तेरी निकले बोली !
जैसे हो बंदूक की गोली !!
हम तुमसे डरते हैं ऐसे !
चोर पुलिस से डरता जैसे !!
ऐसा है आतंक तुम्हारा !
बिच्छू जैसा डंक तुम्हारा !!
करे पति जो पत्नी-सेवा !
मिलती उसको सच्ची मेवा !!
पत्नी-वन्दना जो कोई गावे !
जीवन में कोई कष्ट न पावे !!
प्रभु दीक्षित कर पत्नी-वन्दन
पत्नी का कर लो अभिनन्दन !!
वन्दहु पत्नी मुख-कमल
गुण-अवगुण की खान !
मिले नहीं बिन आपके,
पतियों को सम्मान !!
!बोलो पत्नी रानी की जय!
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