सलमान खान की सजा प्रकरण पर इटावा निवासी मित्र कवि गौरव चौहान की ताज़ा रचना-
प्रभु सुनता है इक दिन तो भूखे असहाय गरीबों की,
राजमहल तक ख़ाक हुए,
जब लगती हाय गरीबो की,
जब दरिद्र के घावों में
पीड़ा की फसलें बोते है,
खड़े कटघरे में दबंग
तब फूट फूट कर रोते है,
फुटपाथों पर जमा खून अब साफ़ हुआ है, अच्छा है,
सलमानी करतूतों पर
इन्साफ हुआ है, अच्छा है,
तुम रब्बो रुआब में जिससे भी मन आया लड़ बैठे,
दारू पीकर कार चलाई फुटपाथों पर चढ़ बैठे,
माना तुम मायानगरी के प्रियतम राजदुलारे हो,
और कई भटकी कन्याओं की आँखों के तारे हो,
हो चाहे कुबेर के बेटे,
किन्तु समय से हारे हो,
वर्तमान के शिलालेख पर
तुम केवल हत्यारे हो,
शुक्र मनाओ बड़े चैन से
अब तक गाडी हांकी है,
काले हिरनों के शिकार का दंड अभी भी बाकी है,
उन पर है धिक्कार जिन्हें सलमान अभी भी प्यारे हैं,
इतने बौराए, बोलें
सल्लू हम साथ तुम्हारे हैं,
हीरो हीरोईन का जत्था भी सल्लू के घर आया,
बोलीवुड का नंगा चेहरा हमको आज नज़र आया,
कोई नही दिखा हमको रोता लाचार गरीबों पर,
जो मजदूर मरा था
उसके घर के तंग नसीबों पर,
खड़ी रहे पगली जनरेशन
साथ भले हत्यारों के,
कवि की कलम सदा गाएगी गीत यहाँ लाचारों के,
जेल मिले या बेल मिले सब लम्हे हैं बदरंगी के,
जान बचे जीवन में
भजन करो बजरंगी के,
.............कवि गौरव चौहान
प्रभु सुनता है इक दिन तो भूखे असहाय गरीबों की,
राजमहल तक ख़ाक हुए,
जब लगती हाय गरीबो की,
जब दरिद्र के घावों में
पीड़ा की फसलें बोते है,
खड़े कटघरे में दबंग
तब फूट फूट कर रोते है,
फुटपाथों पर जमा खून अब साफ़ हुआ है, अच्छा है,
सलमानी करतूतों पर
इन्साफ हुआ है, अच्छा है,
तुम रब्बो रुआब में जिससे भी मन आया लड़ बैठे,
दारू पीकर कार चलाई फुटपाथों पर चढ़ बैठे,
माना तुम मायानगरी के प्रियतम राजदुलारे हो,
और कई भटकी कन्याओं की आँखों के तारे हो,
हो चाहे कुबेर के बेटे,
किन्तु समय से हारे हो,
वर्तमान के शिलालेख पर
तुम केवल हत्यारे हो,
शुक्र मनाओ बड़े चैन से
अब तक गाडी हांकी है,
काले हिरनों के शिकार का दंड अभी भी बाकी है,
उन पर है धिक्कार जिन्हें सलमान अभी भी प्यारे हैं,
इतने बौराए, बोलें
सल्लू हम साथ तुम्हारे हैं,
हीरो हीरोईन का जत्था भी सल्लू के घर आया,
बोलीवुड का नंगा चेहरा हमको आज नज़र आया,
कोई नही दिखा हमको रोता लाचार गरीबों पर,
जो मजदूर मरा था
उसके घर के तंग नसीबों पर,
खड़ी रहे पगली जनरेशन
साथ भले हत्यारों के,
कवि की कलम सदा गाएगी गीत यहाँ लाचारों के,
जेल मिले या बेल मिले सब लम्हे हैं बदरंगी के,
जान बचे जीवन में
भजन करो बजरंगी के,
.............कवि गौरव चौहान
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