गंगा में डुबकी लगाकर,तीर्थ किए हज़ार।
इनसे क्या होगा,अगर बदले नहीँ विचार।
"इस दुनियाँ के हर शख्स को नफरत है "झूठ" से...
मैं परेशान हूँ ये सोचकर, कि फिर ये "झूठ" बोलता कौन है"।
"निंदा "तो उसी की होती है जो"जिंदा" है।
मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं।
महसूस जब हुआ कि सारा शहर, मुझसे जलने लगा है,
तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है”
सदा उनके कर्जदार रहिये जो आपके लिए कभी खुद का वक्त नहीं देखता है,
और सदा उनसे वफ़ादार रहिये जो व्यस्त होने के बावजूद भी आपके लिए वक़्त निकालता है।
मोक्ष का एक ही मार्ग है। और
वह बिल्कुल सीधा ही है।अब मुशकिल उन्हें होती है। जिनकी चाल ही टेड़ी है।
हम जब दिन की शुरुआत करते है,
तब लगता है की, पैसा ही जीवन है ..
लेकिन, जब शाम को लौट कर घर आते है,
तब लगता है, शान्ति ही जीवन है ।
फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते है ,
सुखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते । कदर किरदार की होती है… वरना…
कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है......
पानी मर्यादा तोड़े तो "विनाश"
"और"
वाणी मर्यादा तोड़े तो "सर्वनाश"
इसलिए हमेशा अपनी वाणी पर संयम रखो।
इनसे क्या होगा,अगर बदले नहीँ विचार।
"इस दुनियाँ के हर शख्स को नफरत है "झूठ" से...
मैं परेशान हूँ ये सोचकर, कि फिर ये "झूठ" बोलता कौन है"।
"निंदा "तो उसी की होती है जो"जिंदा" है।
मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं।
महसूस जब हुआ कि सारा शहर, मुझसे जलने लगा है,
तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है”
सदा उनके कर्जदार रहिये जो आपके लिए कभी खुद का वक्त नहीं देखता है,
और सदा उनसे वफ़ादार रहिये जो व्यस्त होने के बावजूद भी आपके लिए वक़्त निकालता है।
मोक्ष का एक ही मार्ग है। और
वह बिल्कुल सीधा ही है।अब मुशकिल उन्हें होती है। जिनकी चाल ही टेड़ी है।
हम जब दिन की शुरुआत करते है,
तब लगता है की, पैसा ही जीवन है ..
लेकिन, जब शाम को लौट कर घर आते है,
तब लगता है, शान्ति ही जीवन है ।
फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते है ,
सुखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते । कदर किरदार की होती है… वरना…
कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है......
पानी मर्यादा तोड़े तो "विनाश"
"और"
वाणी मर्यादा तोड़े तो "सर्वनाश"
इसलिए हमेशा अपनी वाणी पर संयम रखो।
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