इनसे क्या होगा,अगर बदले नहीँ विचार।
मैं परेशान हूँ ये सोचकर, कि फिर ये "झूठ" बोलता कौन है"।
मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं।
तब समझ आ गया कि अपना नाम भी, चलने लगा है”
और सदा उनसे वफ़ादार रहिये जो व्यस्त होने के बावजूद भी आपके लिए वक़्त निकालता है।
वह बिल्कुल सीधा ही है।अब मुशकिल उन्हें होती है। जिनकी चाल ही टेड़ी है।
तब लगता है की, पैसा ही जीवन है ..
लेकिन, जब शाम को लौट कर घर आते है,
तब लगता है, शान्ति ही जीवन है ।
सुखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते । कदर किरदार की होती है… वरना…
कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है......
"और"
वाणी मर्यादा तोड़े तो "सर्वनाश"
इसलिए हमेशा अपनी वाणी पर संयम रखो।
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