Wednesday, 27 May 2015

गुरूजी अभी तक कोमा में हैं।


गुरु जी:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन।।
सन्ता, इसका अर्थ बता?

सन्ता -
काम नही होने से
राधिका रस्ते पर घूम रही है
कदाचित उसे फल खरीदने होंगे!

��������

गुरूजी :
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन!
इसका क्या अर्थ है ?

सन्ता : मेरे अनेक जन्म हो चुके  है पर तेरा जन्म चार जून को हुआ हे !

������

गुरूजी : अरे मूर्ख...चल अब बता..
"दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तु जनकात्मजा" का क्या अर्थ है?

सन्ता : दक्षिण की ओर से आकर लक्ष्मण बोला.. जनक... तुम्हारा तो मजा है !

��������

गुरूजी- चल इसका अर्थ ही बता दे
" हे पार्थ त्वया चापि मम चापि...!"

सन्ता- हे अर्जुन तुम भी चाय पियो मैं भी चाय पीता हूँ।

��������

गुरूजी अभी तक कोमा में हैं।

No comments:

Post a Comment