आज कल के माँ बाप सुबह स्कूल बस में बच्चे
को बिठा के
ऐसे
बाय बाय करते हैं जैसे पढ़ने
नहीं विदेश यात्रा भेज रहें हो....
और
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.एक हम थे जो रोज़ लात खा के स्कूल
जाते थे.
आधा बचपन तो इसी कन्फ्यूजन में बीत गया कि समबाहु, विषमबाहु और समद्विबाहु त्रिभुज के नाम हैं या राक्षसों के
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