Tuesday, 26 June 2018

Ramcharitmanas chaupai

,*रामचरितमानस* की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप
से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट से भी मुक्त हो जाता है।
इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे _*प्रभु श्रीराम*_ आप के जीवन को
सुखमय बना देगे।

_*1. रक्षा के लिए*_
मामभिरक्षक रघुकुल नायक |
घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||

_*2. विपत्ति दूर करने के लिए*_
राजिव नयन धरे धनु सायक |
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||

_*3. *सहायता के लिए*_
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |
एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||

_*4*. *सब काम बनाने के लिए*_
वंदौ बाल रुप सोई रामू |
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||

_*5*. *वश मे करने के लिए*_
सुमिर पवन सुत पावन नामू |
अपने वश कर राखे राम ||

_*6*. *संकट से बचने के लिए*_
दीन दयालु विरद संभारी |
हरहु नाथ मम संकट भारी ||

_*7*. *विघ्न विनाश के लिए*_
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||

_*8*. *रोग विनाश के लिए*_
राम कृपा नाशहि सव रोगा |
जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||

_*9. ज्वार ताप दूर करने के लिए*_
दैहिक दैविक भोतिक तापा |
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||

_*10. दुःख नाश के लिए*_
राम भक्ति मणि उस बस जाके |
दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||

_*11. खोई चीज पाने के लिए*_
गई बहोरि गरीब नेवाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||

_*12. अनुराग बढाने के लिए*_
सीता राम चरण रत मोरे |
अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||

_*13. घर मे सुख लाने के लिए*_
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||

_*14. सुधार करने के लिए*_
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |
जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||

_*15. विद्या पाने के लिए*_
गुरू गृह पढन गए रघुराई |
अल्प काल विधा सब आई ||

_*16. सरस्वती निवास के लिए*_
जेहि पर कृपा करहि जन जानी |
कवि उर अजिर नचावहि बानी ||

_*17. निर्मल बुद्धि के लिए*_
ताके युग पदं कमल मनाऊँ |
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||

_*18. मोह नाश के लिए*_
होय विवेक मोह भ्रम भागा |
तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||

_*19. प्रेम बढाने के लिए*_
सब नर करहिं परस्पर प्रीती |
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||

_*20. प्रीति बढाने के लिए*_
बैर न कर काह सन कोई |
जासन बैर प्रीति कर सोई ||

_*21. सुख प्रप्ति के लिए*_
अनुजन संयुत भोजन करही |
देखि सकल जननी सुख भरहीं ||

_*22. भाई का प्रेम पाने के लिए*_
सेवाहि सानुकूल सब भाई |
राम चरण रति अति अधिकाई ||

_*23. बैर दूर करने के लिए*_
बैर न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||

_*24. मेल कराने के लिए*_
गरल सुधा रिपु करही मिलाई |
गोपद सिंधु अनल सितलाई ||

_*25. शत्रु नाश के लिए*_
जाके सुमिरन ते रिपु नासा |
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||

_*26. रोजगार पाने के लिए*_
विश्व भरण पोषण करि जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||

_*27. इच्छा पूरी करने के लिए*_
राम सदा सेवक रूचि राखी |
वेद पुराण साधु सुर साखी ||

_*28. पाप विनाश के लिए*_
पापी जाकर नाम सुमिरहीं |
अति अपार भव भवसागर तरहीं ||

_*29. अल्प मृत्यु न होने के लिए*_
अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||

_*30. दरिद्रता दूर के लिए*_
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना |

_*31. प्रभु दर्शन पाने के लिए*_
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||

_*32. शोक दूर करने के लिए*_
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |
आए जन्म फल होहिं विशोकी ||

_*33. क्षमा माँगने के लिए*_
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||
जय जयश्रीराम💐💐💐💐💐

Friday, 15 June 2018

Medical kidnapping and murder

अभिनव वर्मा की माँ ,जो सिर्फ 50 बरस की थीं , पेट में दर्द उठा ,नज़दीक ही फोर्टिस अस्पताल बनेरघट्टा, बंगलौर है ! डा कनिराज ने माँ को देखा और अल्ट्रा साउंड कराने को कहा ! फोर्टिस में ही अल्ट्रा साउंड हुआ और डा कनिराज ने बताया कि गाल ब्लैडर में पथरी है ! एक छोटा सा ऑपरेशन होगा,माँ स्वस्थ हो जाएंगी ! अभिनव माँ को घर लेकर आ गए और पेन-किलर के उपयोग से दर्द खत्म भी हो गया !!
                  कुछ दिन बाद अभिनव वर्मा को फोर्टिस से फोन कर डा कनिराज ने हिदायत दी कि यूँ पथरी का गाल ब्लैडर में रहना खतरनाक होगा,अतः अभिनव को अपनी माँ का ऑपरेशन तुरंत करा लेना ज़रूरी है ! अभिनव जब अपनी माँ को फोर्टिस बंगलौर लेकर पहुचे तो एक दूसरे डॉक्टर मो शब्बीर अहमद ने अटेंड किया ,जो एंडोस्कोपी के एक्सपर्ट थे,उन्होंने बताया कि एहतियात के लिए ERCP करा ली जाय , डा अहमद को पैंक्रियास कैंसर का .05 % शक था !अभिनव मजबूर थे ,डॉक्टर भगवान होता है,झूठ तो नहीं बोलेगा , सो पैंक्रियास और गाल ब्लैडर की बायोप्सी की गई !! रिपोर्ट नेगेटिव आई मगर बॉयोप्सी और एंडोस्कोपी की प्रक्रिया के बाद माँ को भयंकर दर्द शुरू हो गया ! गाल ब्लैडर के ऑपरेशन को छोड़, माँ को पेट दर्द और इंटर्नल ब्लीडिंग के शक में ICU में पंहुचा दिया गया ! आगे पढ़ने के लिए धैर्य और मज़बूत दिल चाहिए !!
                जब अभिनव की माँ अस्पताल में भर्ती  हुई थीं तो लिवर,हार्ट,किडनी और सारे ब्लड रिपोर्ट पूरी तरह नार्मल थे ! डॉक्टरों ने बताना शुरू किया कि अब लिवर अफेक्टेड हो गया है, फिर किडनी के लिए कह दिया गया कि  डायलिसिस होगा ! एक दिन कहा अब बीपी बहुत 'लो' जा रहा है तो पेस मेकर लगाना पड़ेगा, पेस मेकर लग गया मगर हालात बद से बदतर हो गए ! पेट का दर्द भी बढ़ता जा रहा था और शरीर के अंग एक-एक कर साथ छोड़ रहे थे ! अब तक अभिनव की माँ को फोर्टिस ICU में एक माह से ऊपर हो चुका था !
                   एक दिन डॉक्टर ने कहा कि बॉडी में शरीर के ऑक्सीजन सप्लाई में कुछ गड़बड़ हो गई अतः ऑपरेशन करना होगा ! ऑपरेशन टेबल पर लिटाने के बाद डॉक्टर, ऑपरेशन थिएटर के बाहर निकल कर तुरंत कई लाख की रकम जमा कराने को कहता है और उसके बाद ही ऑपरेशन करने की बात करता है ! अभिनव तुरंत दौड़ता है और अपने रिश्तेदारों ,मित्रों के सामने गिड़गिड़ाता है,रकम उसी दिन इकट्ठी कर फोर्टिस में जमा कराई गई,पैसे जमा होने के बाद भी डॉक्टर ऑपरेशन कैंसिल कर देते हैं !
                  हालात क्यों बिगड़ रहे हैं,इंफेक्शन क्यों होते जा रहे थे,डॉक्टर अभिनव को कुछ नहीं बताते ! सिर्फ दवा,ड्रिप,खून की बोतलें और माँ की बेहोशी में अभिनव स्वयं आर्थिक और मॉनसिक रूप से टूट चुका था ! डॉक्टरों को जब अभिनव से पैसा जमा कराना होता था तब ही वह अभिनव से बात करते थे ! 
                  माँ बेहोशी में कराहती थी ! अभिनव माँ को देख कर रोता था कि इस माँ को कभी -कभी हलके पेट दर्द के अलावा कोई तकलीफ न थी ! उसकी हॅसमुख और खूबसूरत माँ को फोर्टिस की नज़र लग गई थी ! 50 दिन ICU में रहने के बाद दर्द में कराहते हुए मां ने दुनिया से विदा ले ली ! खर्चा-अस्पताल का बिल रु 43 लाख ,दवाइयों का बिल 12 लाख और 50 यूनिट खून ! अभिनव की माँ की देह को शवग्रह में रखवा दिया गया और अभिनव को शेष भुगतान जमा कराने के लिए कहा गया और शव के इर्द गिर्द बाउंसर्स लगा दिए गए ! अभिनव ने सिर्फ एक छोटी सी शर्त रखी कि मेरी माँ की सारी रिपोर्ट्स और माँ के शरीर की जांच एक स्वतंत्र डॉक्टरों की टीम द्वारा कराइ जाए ! फोर्टिस ने बमुश्किल अनुमति दी  !!! 

 रिपोर्ट आई ............... अभिनव वर्मा की माँ के गाल ब्लैडर में कभी कोई पथरी नहीं थी ..............!

जामुन का पेड़

👉A VERY BIG & STRONG TRUTH OF:- *INDIAN ADMINISTRATIVE SYSTEM* 👇👇👇

  ☺  *जामुन का पेड़* 😀
          ~~~~~~~~~
(इस व्यंग्यात्मक कहानी का मैं इतना फैन हूं कि इसको मैंने अपने घर के सदस्यों को भी पढ़ाया।)👇👇👇

👉रात को बड़े जोर का अंधड़ चला। सेक्रेटेरिएट के लॉन में जामुन का एक पेड़ गिर पडा। सुबह जब माली ने देखा तो उसे मालूम हुआ कि पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा है।
माली दौड़ा दौड़ा चपरासी के पास गया, चपरासी दौड़ा दौड़ा क्‍लर्क के पास गया, क्‍लर्क दौड़ा दौड़ा सुपरिन्‍टेंडेंट के पास गया। सुपरिन्‍टेंडेंट दौड़ा दौड़ा बाहर लॉन में आया। मिनटों में ही गिरे हुए पेड़ के नीचे दबे आदमी के इर्द गिर्द मजमा इकट्ठा हो गया।
''बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।'' एक क्‍लर्क बोला।
''इसकी जामुन कितनी रसीली होती थी।'' दूसरा क्‍लर्क बोला।
''मैं फलों के मौसम में झोली भरके ले जाता था। मेरे बच्‍चे इसकी जामुनें कितनी खुशी से खाते थे।'' तीसरे क्‍लर्क का यह कहते हुए गला भर आया।
''मगर यह आदमी?'' माली ने पेड़ के नीचे दबे आदमी की तरफ इशारा किया।
''हां, यह आदमी'' सुपरिन्‍टेंडेंट सोच में पड़ गया।
''पता नहीं जिंदा है कि मर गया।'' एक चपरासी ने पूछा।
''मर गया होगा। इतना भारी तना जिसकी पीठ पर गिरे, वह बच कैसे सकता है?'' दूसरा चपरासी बोला।
''नहीं मैं जिंदा हूं।'' दबे हुए आदमी ने बमुश्किल कराहते हुए कहा।
''जिंदा है?'' एक क्‍लर्क ने हैरत से कहा।
''पेड़ को हटा कर इसे निकाल लेना चाहिए।'' माली ने मशविरा दिया।
''मुश्किल मालूम होता है।'' एक काहिल और मोटा चपरासी बोला। ''पेड़ का तना बहुत भारी और वजनी है।''
''क्‍या मुश्किल है?'' माली बोला। ''अगर सुपरिन्‍टेंडेंट साहब हुकम दें तो अभी पंद्रह बीस माली, चपरासी और क्‍लर्क जोर लगा के पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकाल सकते हैं।''
''माली ठीक कहता है।'' बहुत से क्‍लर्क एक साथ बोल पड़े। ''लगाओ जोर हम तैयार हैं।''
एकदम बहुत से लोग पेड़ को काटने पर तैयार हो गए।
''ठहरो'', सुपरिन्‍टेंडेंट बोला- ''मैं अंडर-सेक्रेटरी से मशविरा कर लूं।''
सु‍परिन्‍टेंडेंट अंडर सेक्रेटरी के पास गया। अंडर सेक्रेटरी डिप्‍टी सेक्रेटरी के पास गया। डिप्‍टी सेक्रेटरी जाइंट सेक्रेटरी के पास गया। जाइंट सेक्रेटरी चीफ सेक्रेटरी के पास गया। चीफ सेक्रेटरी ने जाइंट सेक्रेटरी से कुछ कहा। जाइंट सेक्रेटरी ने डिप्‍टी सेक्रेटरी से कहा। डिप्‍टी सेक्रेटरी ने अंडर सेक्रेटरी से कहा। फाइल चलती रही। इसी में आधा दिन गुजर गया।
दोपहर को खाने पर, दबे हुए आदमी के इर्द गिर्द बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मनचले क्‍लर्कों ने मामले को अपने हाथ में लेना चाहा। वह हुकूमत के फैसले का इंतजार किए बगैर पेड़ को खुद से हटाने की तैयारी कर रहे थे कि इतने में, सुपरिन्‍टेंडेंट फाइल लिए भागा भागा आया, बोला- हम लोग खुद से इस पेड़ को यहां से नहीं हटा सकते। हम लोग वाणिज्‍य विभाग के कर्मचारी हैं और यह पेड़ का मामला है, पेड़ कृषि विभाग के तहत आता है। इसलिए मैं इस फाइल को अर्जेंट मार्क करके कृषि विभाग को भेज रहा हूं। वहां से जवाब आते ही इसको हटवा दिया जाएगा।
दूसरे दिन कृषि विभाग से जवाब आया कि पेड़ हटाने की जिम्‍मेदारी तो वाणिज्‍य विभाग की ही बनती है।
यह जवाब पढ़कर वाणिज्‍य विभाग को गुस्‍सा आ गया। उन्‍होंने फौरन लिखा कि पेड़ों को हटवाने या न हटवाने की जिम्‍मेदारी कृषि विभाग की ही है। वाणिज्‍य विभाग का इस मामले से कोई ताल्‍लुक नहीं है।
दूसरे दिन भी फाइल चलती रही। शाम को जवाब आ गया। ''हम इस मामले को हार्टिकल्‍चर विभाग के सुपुर्द कर रहे हैं, क्‍योंकि यह एक फलदार पेड़ का मामला है और कृषि विभाग सिर्फ अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला करने का हक रखता है। जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ है, इसलिए पेड़ हार्टिकल्‍चर विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।
रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया। हालांकि लॉन के चारों तरफ पुलिस का पहरा था, कि कहीं लोग कानून को अपने हाथ में लेकर पेड़ को खुद से हटवाने की कोशिश न करें। मगर एक पुलिस कांस्‍टेबल को रहम आ गया और उसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की इजाजत दे दी।
माली ने दबे हुए आदमी से कहा- ''तुम्‍हारी फाइल चल रही है। उम्‍मीद है कि कल तक फैसला हो जाएगा।''
दबा हुआ आदमी कुछ न बोला।
माली ने पेड़ के तने को गौर से देखकर कहा, अच्‍छा है तना तुम्‍हारे कूल्‍हे पर गिरा। अगर कमर पर गिरता तो रीढ़ की हड्डी टूट जाती।
दबा हुआ आदमी फिर भी कुछ न बोला।
माली ने फिर कहा ''तुम्‍हारा यहां कोई वारिस हो तो मुझे उसका अता-पता बताओ। मैं उसे खबर देने की कोशिश करूंगा।''
''मैं लावारिस हूं।'' दबे हुए आदमी ने बड़ी मुश्किल से कहा।
माली अफसोस जाहिर करता हुआ वहां से हट गया।
तीसरे दिन हार्टिकल्‍चर विभाग से जवाब आ गया। बड़ा कड़ा जवाब लिखा गया था। काफी आलोचना के साथ। उससे हार्टिकल्‍चर विभाग का सेक्रेटरी साहित्यिक मिजाज का आदमी मालूम होता उसने लिखा था- ''हैरत है, इस समय जब 'पेड़ उगाओ' स्‍कीम बड़े पैमाने पर चल रही है, हमारे मुल्‍क में ऐसे सरकारी अफसर मौजूद हैं, जो पेड़ काटने की सलाह दे रहे हैं, वह भी एक फलदार पेड़ को! और वह भी जामुन के पेड़ को !! जिसके फल जनता बड़े चाव से खाती है। हमारा विभाग किसी भी हालत में इस फलदार पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दे सकता।''
''अब क्‍या किया जाए?'' एक मनचले ने कहा- ''अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को काटकर निकाल लिया जाए! यह देखिए, उस आदमी ने इशारे से बताया। अगर इस आदमी को बीच में से यानी धड़ की जगह से काटा जाए, तो आधा आदमी इधर से निकल आएगा और आधा आदमी उधर से बाहर आ जाएगा और पेड़ भी वहीं का वहीं रहेगा।''
''मगर इस तरह से तो मैं मर जाऊंगा !'' दबे हुए आदमी ने एतराज किया।
''यह भी ठीक कहता है।'' एक क्‍लर्क बोला।
आदमी को काटने का नायाब तरीका पेश करने वाले ने एक पुख्‍ता दलील पेश की- ''आप जानते नहीं हैं। आजकल प्‍लास्टिक सर्जरी के जरिए धड़ की जगह से, इस आदमी को फिर से जोड़ा जा सकता है।''
अब फाइल को मेडिकल डिपार्टमेंट में भेज दिया गया।
अब फाइल को मेडिकल डिपार्टमेंट में भेज दिया गया। मेडिकल डिपार्टमेंट ने फौरन इस पर एक्‍शन लिया और जिस दिन फाइल मिली उसने उसी दिन विभाग के सबसे काबिल प्‍लास्टिक सर्जन को जांच के लिए मौके पर भेज दिया गया। सर्जन ने दबे हुए आदमी को अच्‍छी तरह टटोल कर, उसकी सेहत देखकर, खून का दबाव, सांस की गति, दिल और फेफड़ों की जांच करके रिपोर्ट भेज दी कि, ''इस आदमी का प्‍लास्टिक ऑपरेशन तो हो सकता है, और ऑपरेशन कामयाब भी हो जाएगा, मगर आदमी मर जाएगा।
लिहाजा यह सुझाव भी रद्द कर दिया गया।
रात को माली ने दबे हुए आदमी के मुंह में खिचड़ी डालते हुए उसे बताया ''अब मामला ऊपर चला गया है। सुना है कि सेक्रेटेरियट के सारे सेक्रेटरियों की मीटिंग होगी। उसमें तुम्‍हारा केस रखा जाएगा। उम्‍मीद है सब काम ठीक हो जाएगा।''
दबा हुआ आदमी एक आह भर कर आहिस्‍ते से बोला- ''हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन खाक हो जाएंगे हम, तुमको खबर होने तक।''
माली ने अचंभे से मुंह में उंगली दबाई। हैरत से बोला- ''क्‍या तुम शायर हो।''
दबे हुए आदमी ने आहिस्‍ते से सर हिला दिया।
दूसरे दिन माली ने चपरासी को बताया, चपरासी ने क्‍लर्क को और क्‍लर्क ने हेड-क्‍लर्क को। थोड़ी ही देर में सेक्रेटेरिएट में यह बात फैल गई कि दबा हुआ आदमी शायर है। बस फिर क्‍या था। लोग बड़ी संख्‍या में शायर को देखने के लिए आने लगे। इसकी खबर शहर में फैल गई। और शाम तक मुहल्‍ले मुहल्‍ले से शायर जमा होना शुरू हो गए। सेक्रेटेरिएट का लॉन भांति भांति के शायरों से भर गया। सेक्रेटेरिएट के कई क्‍लर्क और अंडर-सेक्रेटरी तक, जिन्‍हें अदब और शायर से लगाव था, रुक गए। कुछ शायर दबे हुए आदमी को अपनी गजलें सुनाने लगे, कई क्‍लर्क अपनी गजलों पर उससे सलाह मशविरा मांगने लगे।
जब यह पता चला कि दबा हुआ आदमी शायर है, तो सेक्रेटेरिएट की सब-कमेटी ने फैसला किया कि चूंकि दबा हुआ आदमी एक शायर है लिहाजा इस फाइल का ताल्‍लुक न तो कृषि विभाग से है और न ही हार्टिकल्‍चर विभाग से बल्कि सिर्फ संस्‍कृति विभाग से है। अब संस्‍कृति विभाग से गुजारिश की गई कि वह जल्‍द से जल्‍द इस मामले में फैसला करे और इस बदनसीब शायर को इस पेड़ के नीचे से रिहाई दिलवाई जाए।
फाइल संस्‍कृति विभाग के अलग अलग सेक्‍शन से होती हुई साहित्‍य अकादमी के सचिव के पास पहुंची। बेचारा सचिव उसी वक्‍त अपनी गाड़ी में सवार होकर सेक्रेटेरिएट पहुंचा और दबे हुए आदमी से इंटरव्‍यू लेने लगा।
''तुम शायर हो उसने पूछा।''
''जी हां'' दबे हुए आदमी ने जवाब दिया।
''क्‍या तखल्‍लुस रखते हो''
''अवस''
''अवस''! सचिव जोर से चीखा। क्‍या तुम वही हो जिसका मजमुआ-ए-कलाम-ए-अक्‍स के फूल हाल ही में प्रकाशित हुआ है।
दबे हुए शायर ने इस बात पर सिर हिलाया।
''क्‍या तुम हमारी अकादमी के मेंबर हो?'' सचिव ने पूछा।
''नहीं''
''हैरत है!'' सचिव जोर से चीखा। इतना बड़ा शायर! अवस के फूल का लेखक!! और हमारी अकादमी का मेंबर नहीं है! उफ उफ कैसी गलती हो गई हमसे! कितना बड़ा शायर और कैसे गुमनामी के अंधेरे में दबा पड़ा है!
''गुमनामी के अंधेरे में नहीं बल्कि एक पेड़ के नीचे दबा हुआ… भगवान के लिए मुझे इस पेड़ के नीचे से निकालिए।''
''अभी बंदोबस्‍त करता हूं।'' सचिव फौरन बोला और फौरन जाकर उसने अपने विभाग में रिपोर्ट पेश की।
दूसरे दिन सचिव भागा भागा शायर के पास आया और बोला ''मुबारक हो, मिठाई खिलाओ, हमारी सरकारी अकादमी ने तुम्‍हें अपनी साहित्‍य समिति का सदस्‍य चुन लिया है। ये लो आर्डर की कॉपी।''
''मगर मुझे इस पेड़ के नीचे से तो निकालो।'' दबे हुए आदमी ने कराह कर कहा। उसकी सांस बड़ी मुश्किल से चल रही थी और उसकी आंखों से मालूम होता था कि वह बहुत कष्‍ट में है।
''यह हम नहीं कर सकते'' सचिव ने कहा। ''जो हम कर सकते थे वह हमने कर दिया है। बल्कि हम तो यहां तक कर सकते हैं कि अगर तुम मर जाओ तो तुम्‍हारी बीवी को पेंशन दिला सकते हैं। अगर तुम आवेदन दो तो हम यह भी कर सकते हैं।''
''मैं अभी जिंदा हूं।'' शायर रुक रुक कर बोला। ''मुझे जिंदा रखो।''
''मुसीबत यह है'' सरकारी अकादमी का सचिव हाथ मलते हुए बोला, ''हमारा विभाग सिर्फ संस्‍कृति से ताल्‍लुक रखता है। आपके लिए हमने वन विभाग को लिख दिया है। अर्जेंट लिखा है।''
शाम को माली ने आकर दबे हुए आदमी को बताया कि कल वन विभाग के आदमी आकर इस पेड़ को काट देंगे और तुम्‍हारी जान बच जाएगी।
माली बहुत खुश था। हालांकि दबे हुए आदमी की सेहत जवाब दे रही थी। मगर वह किसी न किसी तरह अपनी जिंदगी के लिए लड़े जा रहा था। कल तक… सुबह तक… किसी न किसी तरह उसे जिंदा रहना है।
दूसरे दिन जब वन विभाग के आदमी आरी, कुल्‍हाड़ी लेकर पहुंचे तो उन्‍हें पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश मंत्रालय से हुक्‍म आया है कि इस पेड़ को न काटा जाए। वजह यह थी कि इस पेड़ को दस साल पहले पिटोनिया के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरिएट के लॉन में लगाया था। अब यह पेड़ अगर काटा गया तो इस बात का पूरा अंदेशा था कि पिटोनिया सरकार से हमारे संबंध हमेशा के लिए बिगड़ जाएंगे।
''मगर एक आदमी की जान का सवाल है'' एक क्‍लर्क गुस्‍से से चिल्‍लाया।
''दूसरी तरफ दो हुकूमतों के ताल्‍लुकात का सवाल है'' दूसरे क्‍लर्क ने पहले क्‍लर्क को समझाया। और यह भी तो समझ लो कि पिटोनिया सरकार हमारी सरकार को कितनी मदद देती है। क्‍या हम इनकी दोस्‍ती की खातिर एक आदमी की जिंदगी को भी कुरबान नहीं कर सकते।
''शायर को मर जाना चाहिए?''
''बिलकुल''
अंडर सेक्रेटरी ने सुपरिंटेंडेंट को बताया। आज सुबह प्रधानमंत्री दौरे से वापस आ गए हैं। आज चार बजे विदेश मंत्रालय इस पेड़ की फाइल उनके सामने पेश करेगा। वो जो फैसला देंगे वही सबको मंजूर होगा।
शाम चार बजे खुद सुपरिन्‍टेंडेंट शायर की फाइल लेकर उसके पास आया। ''सुनते हो?'' आते ही खुशी से फाइल लहराते हुए चिल्‍लाया ''प्रधानमंत्री ने पेड़ को काटने का हुक्‍म दे दिया है। और इस मामले की सारी अंतर्राष्‍ट्रीय  जिम्‍मेदारी अपने सिर पर ले ली है। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा और तुम इस मुसीबत से छुटकारा पा लोगे।''
''सुनते हो आज तुम्‍हारी फाइल मुकम्‍मल हो गई।'' सुपरिन्‍टेंडेंट ने शायर के बाजू को हिलाकर कहा। मगर शायर का हाथ सर्द था। आंखों की पुतलियां बेजान थीं और चींटियों की एक लंबी कतार उसके मुंह में जा रही थी।
उसकी जिंदगी की फाइल मुकम्‍मल हो चुकी थी।

*-पद्म भूषण कृश्न चन्दर(1914-1977)*
यह कहानी एनसीईआरटी की 11 वीं कक्षा की हिन्दी में भी है।
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Saturday, 9 June 2018

Importance of Charnamrit

चरणामृत का महत्व (Importance of Charnamrit)
अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है. क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की. कि चरणामृतका क्या महत्व है. शास्त्रों में कहा गया है
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।
"अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियोंका शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।
जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता" जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता, जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है. जब भगवान का वामन अवतार हुआ, और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे मेंऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने कमंडलु में से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने कमंडल में रख लिया. वह चरणामृत गंगा जी बन गई, जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोती है, ये शक्ति उनके पास कहाँ से आई ये शक्ति है भगवान के चरणों की. जिस पर ब्रह्मा जी ने साधारण जल चढाया था पर चरणों का स्पर्श होते ही बन गई गंगा जी . जब हम बाँके बिहारी जी की आरती गाते है तो कहते है -
"चरणों से निकली गंगा प्यारी जिसने सारी दुनिया तारी "
धर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।
चरणामृत का सेवन अमृत के समान माना गया है।
कहते हैं भगवान श्री राम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गया बल्कि उसने अपने पूर्वजों को भी तार दिया।
चरणामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं चिकित्सकीय भी है। चरणामृत का जल हमेशा तांबे के पात्र में रखा जाता है। आयुर्वेदिक मतानुसार तांबे के पात्र में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है जो उसमें रखे जल में आ जाती है।
उस जल का सेवन करने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता पैदा हो जाती है तथा रोग नहीं होते। इसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है जिससे इस जल की रोगनाशक क्षमता और भी बढ़ जाती है। तुलसी के पत्ते पर जल इतने परिमाण में होना चाहिए कि सरसों का दाना उसमें डूब जाए। ऐसा माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
इसीलिए यह मान्यता है कि भगवान का चरणामृत औषधी के समान है। यदि उसमें तुलसी पत्र भी मिला दिया जाए तो उसके औषधीय गुणों में और भी वृद्धि हो जाती है। कहते हैं सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ काम
या अच्छे काम का जल्द परिणाम मिलता है। इसीलिए चरणामृत हमेशा सीधे हाथ से लेना चाहिये, लेकिन चरणामृत लेने के बाद अधिकतर लोगों की आदत होती है कि वे अपना हाथ सिर पर फेरते हैं।
चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं?
दरअसल शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना अच्छा नहीं माना जाता है। कहते हैं इससे विचारों में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती है। इसीलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ नहीं फेरना चाहिए।""

भारत भ्रमण

अचानक USA मे रहने वाले भारतीयों का भारत भ्रमण कुछ ज्यादा ही होने लगा ! 
पहले ये समझा गया कि विदेश मे रहने वाले भारतीयों के मन मे भारत के प्रति अचानक प्रेम बढ गया है ...लेकिन मिसेज गोस्वामी के कन्सलटेंसी  सेंटर पर जाने पर कुछ और ही माजरा समझ मे आया ....!
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मिस्टर और मिसेज गोस्वामी USA मे सेटल हो जरूर हो गये परंतु अपना भारतीय कल्चर नही छोडा था ! 

गोस्वामी दम्पत्ति के एक बेटा 16 वर्ष का व एक 13 वर्षीय  बेटी थी ! बेटे-बेटी को भी भारतीय संस्कारों मे ढालना चाहती थी मिसेज गोस्वामी ! 
मिसेज गोस्वामी अपने बेटे को कुछ अमेरिकी दोस्तों के साथ सिगरेट फूँकते हुये देख लिया ! 

फिर क्या शाम को बेटे के घर वापस आने पर मिसेज गोस्वामी भारतीय परम्परा के अनुसार झाडू उठा कर बेटे को सुधारने की ठान लिया था ! 

अभी मिसेज गोस्वामी दो चार झाडू ही बेटे की पीठ पर चिपका पायी थी कि बेटे ने फोन से 911 डायल कर दिया ! आनन फानन मे लाँस ऐंजल्स पुलिस आयी और मिसेज गोस्वामी को बेटे को मारने के जुर्म मे गिरफ्तार कर एक हफ्ते जेल मे ऱखा ..!

 फिलहाल मिसेज गोस्वामी जमानत पर थी , लेकिन बेटे को सुधारने की जिद न छोडी ! 
 
जेल से छूटने के बाज मिसेज गोस्वामी बेटे को प्यार से समझाया कि चलों तुम्हे इंडिया घुमा लाये .गुरूग्राम नानी के घर जाना है .! बेटा तैयार हो गया ! 

दिल्ली के अन्तर्राष्ट्रीय हावई अड्डे से जैसे मिसेज गोस्वामी बाहर निकली .. अपनी चप्पल उतार कर बेटे को पीटना शुरू कर दिया .. तडाक तडाक .. और सिगरेट पियेगा ..फटाक फटाक .. बुला अब पुलिस को ... फटाक ! 

बेटा एयरपोर्ट के पास ड्युटी पर तैनात पुलिस वाले को देख मदद के लिये चिल्लाया ..! 

क्या हुआ बहन जी ..! 

अरे ये नालायक ..16 साल की उमर मे ही सिगरेट पीता है ..दोस्तों के साथ दिन भर मटरगस्ती करता है ..! 

" अच्छे से धुलाई करिये बहन जी " ये सलाह दे कर पुलिस वाला चला गया ..!  

अब तक बेटे को पता चल चुका था कि माँ-बाप के हाथों बेटे का पिटना पुनीत भारतीय संस्कार है .. सो माफी माँगते हुये ये प्रामिस करना उचित समझा कि भविष्य मे वो सिगरेट नही पियेगा ! 

मिसेज गोस्वामी भी दस पंद्रह चप्पल ..और इतनी ही संख्या मै थप्पड मारने के बाद .बेटे को कडक आवाज मे बोली जा अब वाशरूम से मुँह धोकर जल्दी आ USA वापस जाने वाली फ्लाईट का समय हो गया है .. गुरूग्राम  नानी के  घर अगली बार आयेंगे ! 
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यू.ए.एस. लौटने के बाद मिसेज गोस्वामी ने एक कंसल्टेंसी सेंटर खोल लिया ..अब वो सलाह देती है कि " अपने बेटे बेटी को कैसे भारतीय परम्परा के अनुसार , बिना जेल जाने का खतरा मोल लिये सुधारे .." 
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जरूरी नही है ..भारत भ्रमण पर आने वाले अमरीकी-भारतीय भारत प्रेम के कारण ही भारत आया हो ? मिसेज गोस्वामी की सलाह के अनुसार भी आ सकता है ..!

आखिर भारत , बेटे-बेटी की पिटाई के लिये सर्वथा अनुकूल  वातावरण वाला प्लेस जो है ..?

😀😂😝😄😜😇

Friday, 8 June 2018

How to get health

Japanese professor did surprising research.

1. *Acidity* not only caused by diet errors, but more dominated because of *stress*.

2. *Hypertension* not only caused by too much consumption of salty foods, but mainly because of errors in *managing emotions*.

3. *Cholesterol* is not only caused by fatty foods, but the *excessive laziness* is more responsible.

4. *Asthma* not only because of the disruption of oxygen supply to lungs, but often *sad feelings* make lungs unstable.

5. *Diabetes* not only because of too much consumption of glucose, but selfish & *stubborn attitude* disrupts the function of the pancreas.

True cause of any disease are :
*Spiritual*   50% 
*Psychic*    25% 
*Social*       15% 
*Physical*   10%

If we want to be healthy, *fix our mind*.